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28 Feb 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस- 77: वस्तु एवं सेवा कर (GST) ने भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को एकीकृत करके "एक राष्ट्र, एक कर" की अवधारणा को साकार किया है। यह कर प्रशासन और अनुपालन को कैसे सुव्यवस्थित करता है और इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये किन अतिरिक्त सुधारों की आवश्यकता है? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) तथा "एक राष्ट्र, एक कर" की अवधारणा को प्रस्तुत करना।
- बताइये कि GST किस प्रकार कर प्रशासन और अनुपालन को सुव्यवस्थित करता है।
- GST कार्यान्वयन में चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
- GST की प्रभावशीलता बढ़ाने के उपाय सुझाइये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
वर्ष 2017 में भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की शुरुआत ने "एक राष्ट्र, एक कर" के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया, जिसका उद्देश्य एक एकीकृत कर संरचना बनाना था। GST ने खंडित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को बदलने का प्रयास किया, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए वैट, उत्पाद शुल्क और सेवा कर जैसे कई कर शामिल थे। कर प्रशासन और अनुपालन को सुव्यवस्थित करके, GST ने अधिक पारदर्शिता, दक्षता और आर्थिक एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया है।
मुख्य भाग:
GST के अंतर्गत कर प्रशासन और अनुपालन को सुव्यवस्थित करना:
- GST आधार विस्तार: GST करदाताओं की संख्या वित्त वर्ष 2017-18 में 6 मिलियन से बढ़कर वित्त वर्ष 2020-21 में 12 मिलियन से अधिक हो गई। (GSTN वार्षिक रिपोर्ट 2020-21)
- राजस्व वृद्धि: वित्त वर्ष 2021-22 में कई महीनों तक GST राजस्व प्रति माह ₹1 लाख करोड़ से अधिक रहा, जो कर संग्रह में प्रणाली की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
- GST नेटवर्क (GSTN):
- एक डिजिटल प्लेटफॉर्म जो कर दाखिल करने, रिटर्न और भुगतान जैसी प्रक्रियाओं को स्वचालित करता है, जिससे मानवीय हस्तक्षेप कम होता है।
- उदाहरण: वित्त वर्ष 2020-21 में 1.2 अरब से अधिक GST रिटर्न फाइल किये गए, जो डिजिटल अनुपालन की व्यापकता को दर्शाता है।
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC):
- ITC तंत्र यह सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय केवल मूल्य-वर्द्धित हिस्से पर ही कर का भुगतान करें, जिससे कैस्केडिंग कर प्रभाव समाप्त हो जाता है।
- उदाहरण: NIPFP अध्ययन से पता चलता है कि कैस्केडिंग करों में 40% से अधिक की कमी हो सकती है, जिससे उत्पादन लागत कम हो सकती है और कीमतें स्थिर हो सकती हैं।
- GST रिटर्न फाइल करना:
- GSTR 1, GSTR 2 और GSTR 3B प्रणाली आपूर्ति शृंखला में बिक्री एवं खरीद के विवरण को ट्रैक करने में मदद करती है, जिससे पारदर्शिता में सुधार होता है।
- चुनौती: प्रारंभ में, बार-बार रिटर्न फाइल करना बोझिल था, लेकिन समय के साथ इसे सरल बना दिया गया है।
- मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण:
- यह सुनिश्चित करता है कि व्यवसाय कर लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचाएँ।
- उदाहरण: वर्ष 2018 में, प्राधिकरण ने उन व्यवसायों के खिलाफ कार्रवाई की, जिन्होंने उपभोक्ताओं को GST का लाभ नहीं दिया।
- SME को लाभ: कंपोजिशन स्कीम से लघु एवं मध्यम उद्यमों (SME) को लाभ मिला, जिससे कर दाखिल करने की प्रक्रिया आसान हुई और अनुपालन का बोझ कम हुआ।
- उदाहरण: 1.5 करोड़ रुपए तक के वार्षिक कारोबार वाले व्यवसाय GST पंजीकरण के लिये सरलीकृत कर संरचना का विकल्प चुन सकते हैं।
GST कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियाँ:
- जटिल दर संरचना:
- GST की बहु-स्लैब प्रणाली (5%, 12%, 18%, 28%) के कारण भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है, विशेषकर रियल एस्टेट और निर्माण जैसे क्षेत्रों में।
- ITC समाधान:
- समस्या तब उत्पन्न हुई जब क्रय बिल बिक्री कर क्रेडिट से मेल नहीं खाते थे, जिसके कारण देरी और विसंगतियाँ उत्पन्न हो गईं।
- छोटे व्यवसायों पर अनुपालन बोझ:
- डिजिटलीकरण के कारण छोटे व्यवसायों, विशेषकर अनौपचारिक क्षेत्र में, को अनुपालन आवश्यकताओं को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- असंगठित क्षेत्र का धीमा समावेशन:
- प्रयासों के बावजूद, कृषि और निर्माण जैसे क्षेत्र, जहाँ दस्तावेज़ीकरण न्यूनतम है, GST अपनाने में पिछड़ गए।
- सहकारी संघवाद पर प्रभाव:
- GST क्षतिपूर्ति उपकर भुगतान को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच विवाद ने संघीय संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है।
GST प्रभावशीलता में सुधार के उपाय:
- दर संरचना को सरल बनाएँ:
- बहु-स्लैब प्रणाली को कम कर स्लैब या एकल कर दर के लिये युक्तिसंगत बनाना, जिससे भ्रम कम हो और अनुपालन बढ़े।
- IT प्रणालियों को सुव्यवस्थित करना:
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (ICT) के स्वचालित समाधान के लिये IT प्रणालियों को एकीकृत करना, जिससे रिफंड में विसंगतियाँ और विलंब कम हो।
- लघु व्यवसायों के लिये त्रैमासिक फाइलिंग:
- प्रशासनिक बोझ को कम करने के लिये सभी व्यवसायों, विशेषकर SME के लिये त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने की व्यवस्था लागू करें।
- केंद्र-राज्य समन्वय में सुधार:
- GST परिषद में नियमित परामर्श के माध्यम से सहकारी संघवाद को मज़बूत करने से राज्यों की चिंताओं का प्रभावी ढंग से समाधान किया जा सकता है।
- जागरूकता और प्रशिक्षण बढ़ाएँ:
- GST को सुचारु रूप से अपनाना और उसका अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये छोटे व्यवसायों, अनौपचारिक क्षेत्र एवं कृषि जैसे उद्योगों के लिये लक्षित कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना।
निष्कर्ष:
GST ने कर प्रशासन को सरल बनाकर और कर के बढ़ते प्रभाव को कम करके "एक राष्ट्र, एक कर" के दृष्टिकोण को महत्त्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाया है। कर संरचना को सुव्यवस्थित करने, डिजिटल बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने और छोटे व्यवसायों को समर्थन देने के लिये निरंतर सुधार GST की प्रभावशीलता तथा भारत की आर्थिक वृद्धि एवं कर अनुपालन को बढ़ावा देने की इसकी क्षमता में और सुधार कर सकते हैं।