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Sambhav-2025

  • 25 Jan 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस- 48: वैश्विक प्रतिसपर्द्धात्मकता प्राप्त करने में भारत के विनिर्माण क्षेत्र के सामने कौन-सी प्रमुख चुनौतियाँ हैं? उनसे निपटने के उपाय सुझाइये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत की अर्थव्यवस्था में विनिर्माण के महत्त्व का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • तथ्यों और आँकड़ों के आधार पर प्रमुख चुनौतियों की सूची बनाएँ एवं उन्हें समझाते हुए उनके समाधान हेतु उपाय सुझाइये।
    • उचित निष्कर्ष निकालिये।

    परिचय:

    विनिर्माण क्षेत्र भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक आर्थिक अभिकर्त्ता बनने की आकांक्षाओं के लिये महत्त्वपूर्ण है। सकल घरेलू उत्पाद में 17% योगदान देने के बावजूद, यह क्षेत्र वैश्विक प्रतिसपर्द्धात्मकता प्राप्त करने के लिये संघर्ष करता है, जिसके लिये प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने हेतु लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

    मुख्य भाग:

    प्रमुख चुनौतियाँ:

    • बुनियादी ढाँचे की बाधाएँ: वैश्विक मानदंडों (चीन में ~ 8%) की तुलना में उच्च रसद लागत (GDP का 14%)।
      • अपर्याप्त औद्योगिक संपर्क आपूर्ति शृंखला दक्षता में बाधा डालता है।
      • उदाहरण: औद्योगिक गलियारों के निर्माण में देरी से निर्यात-संचालित उद्योगों पर प्रभाव पड़ता है।
    • कौशल की कमी: कार्यबल में AI और IoT जैसी उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकियों के लिये पर्याप्त कौशल का अभाव है।
      • उदाहरण: वैश्विक कौशल रिपोर्ट 2023 में भारत 132वें स्थान पर है, जो महत्त्वपूर्ण कौशल अंतर को दर्शाता है।
    • तकनीकी का अभाव: अनुसंधान एवं विकास में सीमित निवेश (GDP का ~0.7%) नवाचार और उत्पादकता को प्रतिबंधित करता है।
      • पुरानी मशीनरी पर निर्भरता विनिर्माण दक्षता को कम करती है।
    • आयात पर निर्भरता: विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी में आयातित घटकों पर अत्यधिक निर्भरता से उत्पादन लागत बढ़ जाती है।
      • उदाहरण: भारत अपने 70% इलेक्ट्रॉनिक घटकों का आयात करता है, जिससे इसकी निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता कम हो जाती है।
    • नीतिगत एवं विनियामक चुनौतियाँ: जटिल भूमि अधिग्रहण और कठोर श्रम कानून विदेशी एवं घरेलू निवेश को बाधित करते हैं।
      • विवाद समाधान में लंबा समय लगने से व्यापार करने की सुगमता प्रभावित होती है।
    • पर्यावरणीय चिंता:
      • पुरानी प्रौद्योगिकियों के उपयोग से उत्सर्जन बढ़ता है, जिससे ज़ुर्माना और अनुपालन लागत लगती है।

    चुनौतियों पर नियंत्रण करने के उपाय:

    • बुनियादी ढाँचे का विकास: मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी बढ़ाने और लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिये PM गति शक्ति को तेज़ करना चाहिये।
      • विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ निर्यात अनुकूल विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित करना चाहिये।
    • आवश्यक उपाय: उद्योग 4.0 के साथ विनिर्माण का आधुनिकीकरण, PLI योजनाओं का विस्तार, व्यापार समझौतों के माध्यम से निर्यात में वृद्धि, बुनियादी ढाँचे का विकास और वस्त्र एवं चमड़ा उद्योगों के लिये कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा देना चाहिये।
      • PM मित्र पार्क, वस्त्र उद्योग के लिये PLI और समर्थ योजना का उद्देश्य इन क्षेत्रों में उत्पादन, निर्यात एवं रोज़गार सृजन को बढ़ावा देना है।
    • कौशल संवर्द्धन: उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कौशल भारत मिशन को मज़बूत बनाना चाहिये।
      • सेमीकंडक्टर और EV जैसे क्षेत्रों में उद्योग-विशिष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना चाहिये।
    • अनुसंधान एवं विकास तथा प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना: कर लाभ और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास निवेश को प्रोत्साहित करना।
      • उद्योग 4.0 को अपनाने में सुविधा प्रदान करने के लिये समर्थ उद्योग भारत 4.0 जैसी पहल।
    • घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करना: आयात निर्भरता कम करने और निर्यात बढ़ाने के लिये PLI योजनाओं का विस्तार करना चाहिये।
      • मेक इन इंडिया पहल के तहत एप्पल के 14 बिलियन डॉलर के भारत उत्पादन की सफलता।
    • विनियामक ढाँचे को सरल बनाना: सिंगल विंडो क्लियरेंस लागू करना चाहिये तथा भूमि एवं श्रम सुधारों को सुव्यवस्थित करना चाहिये।
      • मध्यस्थता और सुलह अधिनियम के तहत तेज़ी से अनुबंध प्रवर्तन लागू करना चाहिये।
    • हरित विनिर्माण: स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिये सब्सिडी के माध्यम से सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देना चाहिये।
      • वस्त्र और रसायन में ऊर्जा-कुशल प्रक्रियाओं की ओर संक्रमण।

    निष्कर्ष:

    बुनियादी ढाँचे की कमियों को दूर करके, कौशल में सुधार करके और नवाचार को बढ़ावा देकर, भारत खुद को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है। मेक इन इंडिया और PLI योजना जैसे सुधार एवं पहल सतत् विकास को बढ़ावा देंगे तथा इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने में सक्षम बनाएंगे।

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