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24 Jan 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 1
भूगोल
दिवस- 47: "भारत में मत्स्य पालन और जलकृषि में वैश्विक अभिकर्त्ता के रूप में उभरने की महत्त्वपूर्ण क्षमता है।" नीली अर्थव्यवस्था के संदर्भ में इस क्षेत्र के विकास से जुड़े अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- नीली अर्थव्यवस्था के संदर्भ में मत्स्य पालन और जलकृषि में भारत की क्षमता का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- इसमें भारत के वैश्विक अभिकर्त्ता के रूप में उभरने के अवसरों का तथा विकास में बाधा डालने वाली चुनौतियों का उल्लेख किया गया है।
- उचित निष्कर्ष निकालिये।
परिचय:
भारत अपनी विशाल तटरेखा, व्यापक अंतर्देशीय जल निकायों और समृद्ध समुद्री जैवविविधता के साथ मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि में एक वैश्विक अभिकर्त्ता है, जो दूसरे सबसे बड़े जलीय कृषि उत्पादक और तीसरे सबसे बड़े मत्स्य उत्पादक के रूप में स्थान रखता है। यह क्षेत्र न केवल 30 मिलियन लोगों की आजीविका का समर्थन करता है, विशेष रूप से ग्रामीण और तटीय क्षेत्रों में, बल्कि खाद्य सुरक्षा, निर्यात एवं ग्रामीण विकास में योगदान करने की भी अपार क्षमता रखता है, जो ब्लू इकॉनमी विज़न के साथ संरेखित है।
मुख्य भाग:
मत्स्य पालन और जलकृषि में अवसर
- वैश्विक समुद्री खाद्य आपूर्ति में बढ़ता योगदान:
- भारत दुनिया के सबसे बड़े झींगा उत्पादकों में से एक है, जो समुद्री खाद्य निर्यात में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान इसकी आय 60,523.89 करोड़ रुपए होगी।
- अंतर्देशीय मत्स्य पालन क्षेत्र अब कुल मत्स्य उत्पादन का 70% हिस्सा उत्पन्न करता है, जो एक परिवर्तनकारी बदलाव को दर्शाता है।
- सरकारी सहायता और पहल:
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY): इसका लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक मत्स्य उत्पादन को 22 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ाना, बुनियादी ढाँचे में सुधार करना और सतत् विधियों को बढ़ावा देना है।
- समुद्री मत्स्य पालन जनगणना: संसाधन प्रबंधन के लिये डाटा-संचालित नीति-निर्माण को सक्षम बनाती है।
- नीली क्रांति योजना: उत्पादकता बढ़ाने और रोज़गार सृजन पर केंद्रित है।
- FIDF (मत्स्य पालन और जलकृषि अवसंरचना विकास निधि): वित्तीय सहायता के साथ अवसंरचना निर्माण का समर्थन करता है।
- तकनीकी नवाचार:
- पुनःपरिसंचरण जलीयकृषि प्रणालियों (RAS) और बायोफ्लोक प्रौद्योगिकी को अपनाने से उत्पादकता बढ़ती है तथा संसाधनों का उपयोग कम होता है।
- एकल खिड़की प्रणाली तटीय जलीय कृषि फार्म पंजीकरण को सरल बनाती है।
- विकास के लिये आशाजनक क्षेत्र:
- खारे और लवणीय जलकृषि का विस्तार (वर्तमान में उपयोग किये जा रहे 1.42 मिलियन हेक्टेयर का केवल 13% )।
- हिमालयी राज्यों में ठंडे जल मत्स्य पालन (जैसे- ओमेगा समृद्ध ट्राउट) को बढ़ावा देना।
- पहल के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व:
- स्वैच्छिक कार्बन बाज़ार ढाँचे का विकास टिकाऊ नीली अर्थव्यवस्था लक्ष्यों के अनुरूप है।
मत्स्य पालन और जलकृषि में चुनौतियाँ
- अत्यधिक मछली पकड़ना और समुद्री संसाधनों का ह्रास: असंवहनीय कार्यप्रणाली जैवविविधता और दीर्घकालिक उत्पादकता के लिये खतरा उत्पन्न करती है।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: बढ़ते तापमान और महासागरीय अम्लीकरण से मत्स्यों के आवास एवं प्रजनन चक्र बाधित होते हैं।
- समुद्री शैवाल की सीमित किस्में: PMMSY का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 1.12 मिलियन टन समुद्री शैवाल उत्पादन प्राप्त करना है, लेकिन कप्पाफाइकस अल्वारेज़ी की घटती संख्या पर अत्यधिक निर्भरता के कारण उत्पादकता बढ़ाने के लिये नई किस्मों का आयात करना आवश्यक हो गया है।
- बुनियादी ढाँचे की कमी: आधुनिक शीत शृंखलाओं और प्रसंस्करण इकाइयों की कमी के कारण फसल-उपरांत 20-25% की हानि।
- प्रदूषण और आवास क्षरण: प्लास्टिक सहित तटीय और समुद्री प्रदूषण, पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाता है।
- विनियामक और बाज़ार चुनौतियाँ: मछली पकड़ने के नियमों का अप्रभावी प्रवर्तन और निर्यात बाज़ारों (जैसे- यूरोपीय संघ) में गुणवत्ता मानकों के कारण विकास सीमित हो जाता है।
- संसाधनों का सीमित उपयोग: विशाल खारे और लवणीय भूमि, महत्त्वपूर्ण क्षमता के बावजूद, कम उपयोग में लाई गई है।
- मत्स्य पालन विवाद: पाक जलडमरूमध्य में मत्स्य पालन के अधिकार को लेकर अक्सर होने वाले विवादों से आजीविका बाधित होती है, द्विपक्षीय संबंधों में तनाव उत्पन्न होता है तथा भारत के दक्षिणी तटीय क्षेत्रों में सतत् मत्स्य उत्पादन प्रभावित होता है।
निष्कर्ष:
भारत का मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र इसकी नीली अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों के लिये महत्त्वपूर्ण है। सरकारी सहायता और नवाचार के साथ, भारत अतिदोहन, जलवायु परिवर्तन और बुनियादी ढाँचे की कमियों से निपटते हुए स्थिरता को बढ़ावा देते हुए विश्व स्तर पर नेतृत्व कर सकता है। अपने संसाधनों का लाभ उठाने से खाद्य सुरक्षा और समावेशी, सतत् विकास में योगदान सुनिश्चित होता है।