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12 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
पर्यावरण
दिवस- 87: भारत में जैवविविधता संरक्षण नीतियों के निर्माण में जैवविविधता पर कन्वेंशन (CBD) की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- जैवविविधता पर कन्वेंशन (CBD) और इसके उद्देश्यों का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- भारत की जैवविविधता संरक्षण नीतियों को आकार देने में CBD की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
वर्ष 1992 के रियो अर्थ समिट में अपनाए गए जैवविविधता पर कन्वेंशन (CBD) का उद्देश्य जैवविविधता को संरक्षित करना, सतत् उपयोग सुनिश्चित करना और उचित लाभ-साझाकरण को बढ़ावा देना है। भारत, जो दुनिया की 7-8% जैवविविधता वाला एक महाविविध देश है, वर्ष 1994 में CBD का हस्ताक्षरकर्त्ता बन गया, जिसने इसकी पर्यावरण नीतियों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।
मुख्य भाग:
भारत की जैवविविधता संरक्षण नीतियों में CBD की भूमिका:
- विधायी ढाँचा
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002 को CBD दिशा-निर्देशों के जवाब में अधिनियमित किया गया। इसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित की स्थापना हुई:
- राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण (NBA) द्वारा वर्ष 2003 में अनुमोदित।
- राज्य जैवविविधता बोर्ड (SBB) और जैवविविधता प्रबंधन समितियाँ (BMC) (वर्ष 2023 तक 2.7 लाख से अधिक BMC गठित)।
- जैवविविधता संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करते हुए वन अधिकार अधिनियम, 2006 को मज़बूत बनाया गया।
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002 को CBD दिशा-निर्देशों के जवाब में अधिनियमित किया गया। इसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित की स्थापना हुई:
- नीतिगत उपाय
- राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना (NBAP), 2008, जिसे वर्ष 2014 में संशोधित किया गया, पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण के लिये CBD के आईची लक्ष्यों (2010-2020) के अनुरूप बनाई गई है।
- राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (NMSA) और जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (NAFCC) में जैवविविधता संरक्षण का एकीकरण।
- संरक्षण रणनीतियाँ
- भारत का संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क वर्ष 1992 में 4.2% से बढ़कर वर्ष 2023 में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 5.3% हो जाएगा।
- प्रोजेक्ट टाइगर (1973) और प्रोजेक्ट एलीफेंट (1992) जैसी पहलों को CBD सिद्धांतों के तहत मज़बूत किया गया।
- आवास विनाश को रोकने के लिये 1014 संरक्षित क्षेत्रों के आस-पास पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्रों की स्थापना की।
- सतत् उपयोग और लाभ साझाकरण
- जन जैवविविधता रजिस्टर (PBR) स्वदेशी ज्ञान को संरक्षित करने के लिये लाखों प्रजातियों का दस्तावेज़ीकरण करता है।
- पहुँच और लाभ साझाकरण (ABS) तंत्र का कार्यान्वयन, जिससे जैवविविधता आधारित उद्योगों से राजस्व सृजन होगा।
निष्कर्ष:
CBD के कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता ढाँचे (2022) के तहत भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 30% खराब हो चुके पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना है। CBD ने भारत के कानूनी, नीतिगत और संरक्षण ढाँचे में जैवविविधता संरक्षण को शामिल करने एवं पारिस्थितिक स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।