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01 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस- 78: भारतीय पूंजी बाज़ार पर विदेशी संस्थागत निवेश (FII) और घरेलू संस्थागत निवेश (DII) के प्रभाव का आकलन कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- FII और DII तथा भारतीय पूंजी बाज़ार में उनकी भूमिका का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- चर्चा कीजिये कि FII और DII शेयर बाज़ार के रुझान, तरलता, अस्थिरता तथा आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं।
- बाज़ार स्थिरता और भविष्य की संभावनाओं पर उनके प्रभाव का सारांश देकर निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
विदेशी संस्थागत निवेश (FII) और घरेलू संस्थागत निवेश (DII) भारत के पूंजी बाज़ार की गतिशीलता को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। FII जहाँ विदेशी पूंजी प्रवाह सुनिश्चित करते हैं, वहीं DII बाज़ार में स्थिरता बनाए रखने में सहायक होते हैं, क्योंकि वे विदेशी निवेशकों की गतिविधियों से उत्पन्न उतार-चढ़ाव को संतुलित करते हैं। उनका प्रभाव बाज़ार की तरलता, अस्थिरता और आर्थिक विकास में परिलक्षित होता है।
मुख्य भाग:
भारतीय पूंजी बाज़ार पर FII का प्रभाव:
- बाज़ार में तरलता में वृद्धि: FII शेयर बाज़ारों में तरलता बढ़ाकर कंपनियों को पूंजी जुटाने में सहायक होते हैं, जिससे उन्हें विस्तार और नवाचार के नए अवसर मिलते हैं।
- बाज़ार के रुझान को बढ़ाता है: बड़े पैमाने पर FII प्रवाह से शेयर सूचकांकों को बढ़ावा मिलता है, जैसा कि वर्ष 2021 में देखा गया जब FII ने ₹2.74 लाख करोड़ से अधिक का निवेश किया, जिससे सेंसेक्स रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गया।
- बाज़ार में अस्थिरता: FII के बहिर्वाह से तीव्र सुधार होता है, जैसे कि वर्ष 2025 में, जब FII ने ₹1 ट्रिलियन से अधिक की निकासी की, जिससे शेयर की कीमतें प्रभावित हुईं।
- विनिमय दरों पर प्रभाव: विदेशी मुद्राओं की बढ़ती मांग के कारण भारी FII निकासी से रुपया कमज़ोर होता है।
- क्षेत्रीय प्रभाव: FII आमतौर पर आईटी और वित्तीय सेवाओं जैसे उच्च-विकास वाले क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता देते हैं, जिससे स्टॉक प्रदर्शन तथा क्षेत्रीय पूंजी प्रवाह प्रभावित होता है।
- वैश्विक रुझानों का प्रभाव: FII वैश्विक आर्थिक स्थितियों के आधार पर निवेश स्थानांतरित करते हैं। वर्ष 2025 में, सस्ते चीनी बाज़ारों में फंड रोटेशन ने भारतीय शेयरों को प्रभावित किया।
बाज़ार को स्थिर करने में DII की भूमिका:
- FII आंदोलनों का प्रतिकार: म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों सहित DII, FII के बाहर निकलने पर निवेश करके बाज़ारों को स्थिर करते हैं। वर्ष 2025 में, DII ने ₹83,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया, जिससे बाज़ार को स्थिरता और समर्थन मिला।
- दीर्घकालिक विकास पर ध्यान: FII के विपरीत, DII घरेलू आर्थिक कारकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे प्रमुख उद्योगों में निरंतर और स्थिर पूंजी प्रवाह बना रहता है।
- बाज़ार में अस्थिरता कम करता है: DII सुधार के दौरान तरलता प्रदान करके बाज़ार में भारी उतार-चढ़ाव को रोकता है।
- भारतीय कंपनियों के लिये समर्थन: DII स्थानीय व्यवसायों को समर्थन देते हैं, जिससे बेहतर कॉर्पोरेट प्रशासन और दीर्घकालिक धन सृजन संभव होता है।
निष्कर्ष:
FII पूंजी, तरलता और विकास लाते हैं, लेकिन अस्थिरता भी लाते हैं, जबकि DII स्थिरता एवं अनुकूलन सुनिश्चित करते हैं। एक मज़बूत पूंजी बाज़ार के लिये एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है। FDI को प्रोत्साहित करना, कॉर्पोरेट प्रशासन को मज़बूत करना, दीर्घकालिक घरेलू निवेश को बढ़ावा देना और नियामक निगरानी को बढ़ाना स्थायी विकास, वित्तीय स्थिरता तथा निवेशकों का विश्वास सुनिश्चित कर सकता है।