Sambhav-2025

दिवस- 80: भारत के आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के योगदान का मूल्यांकन कीजिये। साथ ही, FDI प्रवाह को बढ़ाने के लिये लागू किये गए नीतिगत उपायों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
 

04 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को परिभाषित कीजिये तथा आर्थिक विकास में इसकी भूमिका की व्याख्या कीजिये।
  • प्रासंगिक उदाहरणों और आँकड़ों के साथ FDI के आर्थिक लाभों पर चर्चा कीजिये।
  • FDI आकर्षित करने के लिये भारत सरकार द्वारा उठाए गए नीतिगत उपायों पर प्रकाश डालिये।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) गैर-ऋण वित्तीय संसाधन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और रोज़गार सृजन लाकर भारत के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत एक वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में उभरा है, जहाँ अप्रैल 2000 से कुल FDI प्रवाह 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में FDI में 26% की वृद्धि होकर 42.1 बिलियन डॉलर हो जाना वैश्विक निवेशकों के लिये भारत की बढ़ती अपील को रेखांकित करता है।

मुख्य भाग:

  • भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में FDI की भूमिका:
    • पूंजी प्रवाह और आर्थिक विकास: भारत ने अप्रैल 2014 से सितंबर 2024 के बीच 709.84 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया, जो पिछले 24 वर्षों में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 68.69% है। इसने आर्थिक विस्तार के लिये स्थिर वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए हैं।
    • रोज़गार सृजन: FDI समर्थित उद्योगों ने लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित किये हैं, विशेष रूप से विनिर्माण, सेवा एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में।
    • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और नवाचार: भारत विश्व प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक 2024 में 40वें स्थान पर तथा वैश्विक नवाचार सूचकांक 2024 में 39वें स्थान पर पहुँच गया है, जो FDI द्वारा संचालित उन्नत तकनीकी क्षमताओं एवं नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाता है।
  • प्रमुख क्षेत्रों का विस्तार:
    • विनिर्माण: "मेक इन इंडिया" पहल ने ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर क्षेत्र की प्रमुख वैश्विक कंपनियों को आकर्षित किया है।
    • अवसंरचना: विश्व निवेश रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत अंतर्राष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों का दूसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता बन गया, जिससे बड़े पैमाने पर अवसंरचना विकास संभव हो सका।
    • ग्रीनफील्ड निवेश: वर्ष 2023 में 1,008 परियोजनाओं की घोषणा के साथ भारत ग्रीनफील्ड परियोजनाओं में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है।
    • बेहतर कारोबारी माहौल: विश्व बैंक की डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट में भारत ने वर्ष 2014 में 142वें स्थान से सुधार करते हुए वर्ष 2019 में 63वें स्थान तक पहुँचकर 79 स्थानों की छलाँग लगाई, जिससे निवेशकों का विश्वास मज़बूत हुआ।
  • FDI आकर्षित करने के लिये नीतिगत उपाय:
    • उदारीकृत FDI नीति: रणनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग के तहत 100% FDI के लिये खुले हैं।
    • कर सुधार: आयकर अधिनियम, 1961 में वर्ष 2024 में संशोधन किया गया ताकि एंजल टैक्स को समाप्त किया जा सके और विदेशी कंपनियों के लिये कर की दरें कम की जा सकें, जिससे निवेशकों की धारणा में सुधार होगा।
    • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना: इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विनिर्माण क्षेत्रों में FDI को प्रोत्साहित करती है।
    • उभरते क्षेत्रों में अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश: वैश्विक रुझानों के अनुरूप अंतरिक्ष क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिये खोल दिया गया है।
    • बुनियादी ढाँचा और डिजिटल प्रोत्साहन: स्मार्ट शहरों, पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, डिजिटल भुगतान और लॉजिस्टिक्स आधुनिकीकरण का समर्थन करने वाली नीतियों ने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया है।

निष्कर्ष:

भारत का 1 ट्रिलियन डॉलर का FDI मील का पत्थर इसकी आर्थिक लचीलापन, वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता और निवेशक-अनुकूल नीतियों को दर्शाता है। FDI प्रवाह में वृद्धि, नीति उदारीकरण और मज़बूत क्षेत्रीय विकास भारत को वैश्विक निवेश परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है। सतत् सुधार, बुनियादी ढाँचे का विस्तार और नवाचार-संचालित विकास आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक प्रगति को और मज़बूत करेगा।