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Sambhav-2025

  • 01 Mar 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस- 78:  सेबी कॉर्पोरेट प्रथाओं में पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) मानदंडों के एकीकरण को कैसे बढ़ावा देता है? इसके नियामक उपायों का विश्लेषण कीजिये और स्थायी वित्त पर इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय में, FPI को आकर्षित करने और बाज़ार पारदर्शिता एवं दक्षता सुनिश्चित करने में सेबी की भूमिका पर संक्षेप में प्रकाश डालिये। 
    • सरलीकृत पंजीकरण, जोखिम-आधारित प्रकटीकरण, FPI समर्थन और उसी दिन निपटान सहित सेबी के वर्ष 2024 सुधारों एवं राउंड-ट्रिपिंग तथा अवैध निधि प्रवाह को रोकने में उनकी भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष निकालिये।

    परिचय:

    भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) कॉर्पोरेट प्रथाओं में पर्यावरण, सामाजिक एवं शासन (ESG) मानदंडों को एकीकृत करने को प्रोत्साहित कर रहा है, जिससे पारदर्शिता, स्थिरता तथा ज़िम्मेदार निवेश को बढ़ावा मिले। संरचित विनियमों और प्रकटीकरण अधिदेशों के माध्यम से, सेबी का लक्ष्य कॉर्पोरेट जवाबदेही सुनिश्चित करना तथा भारत में दीर्घकालिक स्थायी वित्त को बढ़ावा देना है।

    मुख्य भाग:

    कॉर्पोरेट प्रथाओं में ESG मानदंडों को एकीकृत करने में सेबी की भूमिका:

    • BRSR फ्रेमवर्क का परिचय:
      • भारतीय कंपनियों में ESG प्रकटीकरण को मानकीकृत करने के लिये, सेबी ने व्यवसाय उत्तरदायित्व और स्थिरता रिपोर्टिंग (BRSR) ढाँचे की शुरुआत की।
      • वित्त वर्ष 2022-23 से, शीर्ष 1,000 सूचीबद्ध कंपनियों को इस ढाँचे के तहत अपने ESG प्रदर्शन की रिपोर्ट करनी होगी।
      • वित्त वर्ष 2023-24 से, डाटा की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये ESG प्रकटीकरण में तृतीय-पक्ष आश्वासन को अनिवार्य कर दिया गया है।
    • मूल्य शृंखला भागीदारों के लिये ESG अनुपालन को सरल बनाना:
      • इससे पहले, शीर्ष 250 कंपनियों को मूल्य शृंखला भागीदारों के लिये ESG मेट्रिक्स की रिपोर्ट करनी होती थी, जो उनकी खरीद या बिक्री का 75% कवर करती थी
      • सेबी ने इस नियम में ढील देते हुए केवल उन साझेदारों से ही खुलासे की अपेक्षा की है जो कंपनी के व्यापार मूल्य में 2% या उससे अधिक का योगदान करते हैं।
      • प्रथम वर्ष की रिपोर्टिंग स्वैच्छिक होगी, जिससे छोटे खिलाड़ियों पर अनुपालन का बोझ कम हो जाएगा
    • ESG रेटिंग और प्रकटीकरण मानकों का विनियमन:
      • सेबी ने अब ESG रेटिंग एजेंसियों को क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (CRA) मानदंडों के तहत पंजीकरण करना अनिवार्य कर दिया है, जिससे अधिक विश्वसनीय ESG मूल्यांकन सुनिश्चित होगा
      • कंपनियों को महँगे तृतीय-पक्ष ऑडिट से बचाते हुए, केवल सत्यापित ESG डाटा का खुलासा करना आवश्यक है, जिससे अनुपालन लागत में कमी आती है।
    • सख्त मानदंडों के साथ ग्रीनवाशिंग का मुकाबला:
      • सेबी ने भ्रामक स्थिरता दावों को रोकने के लिये ESG म्यूचुअल फंड के लिये नए प्रकटीकरण नियम प्रस्तुत किया।
      • ESG फंड की कम-से-कम 65% परिसंपत्तियों को सुनिश्चित प्रकटीकरण के साथ BRSR-अनुपालन कंपनियों में निवेश किया जाना चाहिये
      • बेहतर पारदर्शिता के लिये म्यूचुअल फंडों को ESG-संबंधित प्रस्तावों पर अपने मतदान प्रतिरूप का खुलासा करना चाहिये
    • सतत् कंपनियों के लिये ग्रीन क्रेडिट की शुरुआत:
      • सेबी ने पर्यावरणीय रूप से ज़िम्मेदार कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिये BRSR में एक नेतृत्व संकेतक के रूप में ग्रीन क्रेडिट को शामिल करने की सिफारिश की है।
      • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEFCC) ने पहले ही हरित ऋण गणना के लिये कार्यप्रणाली निर्धारित कर दी है।

    सतत् वित्त पर सेबी के ESG एकीकरण का प्रभाव:

    • ज़िम्मेदार निवेश को प्रोत्साहित करता है:
      • मानकीकृत ESG प्रकटीकरण उन नैतिक और दीर्घकालिक निवेशकों को आकर्षित करते हैं जो स्थिरता एवं सामाजिक उत्तरदायित्व को सर्वोच्च महत्त्व देते हैं।
    • कॉर्पोरेट पारदर्शिता और प्रशासन को बढ़ाता है:
      • BRSR संरचित स्थिरता रिपोर्टिंग को अनिवार्य बनाता है, जिससे कंपनियों के ESG प्रदर्शन और दीर्घकालिक रणनीति में निवेशकों का विश्वास बढ़ता है
    • भारत को वैश्विक ESG मानकों के अनुरूप बनाना:
      • सेबी के ESG अधिदेश भारत को वैश्विक प्रकटीकरण मानदंडों के अनुरूप बनाते हैं, जिससे भारतीय बाज़ार विदेशी ज़िम्मेदार निवेशकों के लिये आकर्षक बन जाते हैं
      • उदाहरण: इसी प्रकार के ESG ढाँचे यूरोपीय संघ (कॉर्पोरेट स्थिरता रिपोर्टिंग निर्देश - CSRD) और अमेरिका (SEC ESG नियम) में मौजूद हैं
    • सतत् वित्त में ग्रीनवाशिंग जोखिम का न्यूनीकरण:
      • सेबी के नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि कंपनियाँ ESG अनुपालन का झूठा दावा न करें, जिससे निवेशकों का विश्वास और बाज़ार की अखंडता मज़बूत होती है
      • उदाहरण: परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (AMC) को अब ESG-अनुरूप व्यवसायों में पारदर्शी रूप से निवेश करना आवश्यक है
    • दीर्घकालिक सतत् विकास को प्रोत्साहित करता है:
      • जलवायु कार्रवाई, सामाजिक ज़िम्मेदारी और नैतिक शासन पर ध्यान केंद्रित करने वाली कंपनियाँ निरंतर पूंजी प्रवाह एवं सकारात्मक सार्वजनिक धारणा से लाभान्वित होती हैं।

    निष्कर्ष:

    सेबी के ESG विनियमन कॉर्पोरेट संधारणीयता रिपोर्टिंग को बदल रहे हैं, जिससे अधिक जवाबदेही, निवेशकों का विश्वास और संधारणीय वित्तीय विकास सुनिश्चित हो रहा है। BRSR, ESG रेटिंग विनियमन और ग्रीन क्रेडिट प्रोत्साहनों को शुरू करके, सेबी भारत के वित्तीय बाज़ारों को वैश्विक संधारणीयता रुझानों के साथ जोड़ रहा है। यह पहल न केवल कॉर्पोरेट ज़िम्मेदारी को मज़बूत करती है बल्कि नैतिक निवेश को भी आकर्षित करती है, जिससे भारत संधारणीय वित्त एवं शासन में अग्रणी बन जाता है।

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