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Sambhav-2025

  • 15 Feb 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस- 66: भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को अक्सर 'अप्रलेखित आश्चर्य' कहा जाता है। भारतीय लोकतंत्र में इसकी भूमिका, प्रभावशीलता और चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। साथ ही, इसके कार्यप्रणाली और स्वायत्तता को मज़बूत करने के लिये आवश्यक सुधार सुझाइये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • भारतीय लोकतंत्र को मज़बूत करने में ECI के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
    • अपने अधिदेश को पूरा करने में आने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
    • इसकी कार्यप्रणाली और स्वायत्तता बढ़ाने के लिये सुधार सुझाइये।
    • उचित निष्कर्ष निकालिये।

    परिचय: 

    भारतीय चुनाव आयोग (ECI) एक संवैधानिक निकाय है जो देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिये ज़िम्मेदार है, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित किया गया है। इसे "अलिखित आश्चर्य" के रूप में वर्णित किया गया है क्योंकि इसकी पूर्ण शक्तियों और स्वायत्तता को रेखांकित करने वाले स्पष्ट कानूनी प्रावधानों की कमी के बावजूद यह कुशलतापूर्वक चुनाव कराने की क्षमता रखता है।

    मुख्य भाग: 

    भारतीय लोकतंत्र को मज़बूत करने में चुनाव आयोग का महत्त्व: 

    • स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराना: 
      • भारतीय निर्वाचन आयोग (ECE) ने देश भर में अनेक चुनावों का सफलतापूर्वक आयोजन किया है तथा यह सुनिश्चित किया है कि ये चुनाव निष्पक्ष और पक्षपात रहित तरीके से सम्पन्न हों। 
        • इसने वर्ष 1947 से अब तक 18 राष्ट्रीय और 370 से अधिक राज्य चुनावों की निष्पक्षता - स्वतंत्र एवं निष्पक्षता - सुनिश्चित की है।
      • यह विश्व स्तर पर सबसे बड़े और सबसे लंबे चुनावों में से कुछ का आयोजन करता है। 
        • उदाहरण के लिये, वर्ष 2019 के संसदीय चुनावों में 900 मिलियन पात्र मतदाता थे और ये चुनाव 39 दिनों में नौ चरणों में हुए थे।
    • समावेशी भागीदारी के लिये पहल: 
      • इसने अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों जैसे विशेष प्रावधानों को लागू किया है और साथ ही, बूथ कैप्चरिंग, मतदाताओं को डराने-धमकाने व रिश्वतखोरी जैसी चुनावी अनियमितताओं को रोकने के उपाय किये हैं, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता तथा विश्वसनीयता बनी रही है।
    • मतदाता पहचान-पत्र का परिचय: 
      • भारतीय मतदाता पहचान-पत्र (आधिकारिक तौर पर निर्वाचक फोटो पहचान-पत्र (EPIC)) पहली बार वर्ष 1993 में मुख्य चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन के कार्यकाल के दौरान प्रस्तुत किया गया था।
      • मतदाता पहचान-पत्र पहचान और पते के प्रमाण के रूप में कार्य करते हैं, जिससे मतदाता सूची की विश्वसनीयता बनाए रखने तथा छद्मवेश धारण की घटनाओं को कम करने में मदद मिलती है।
    • इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का परिचय: 
      • ECI द्वारा EVM को अपनाने से मतदान प्रक्रिया काफी सुव्यवस्थित हो गई है, जिससे यह अधिक कुशल हो गई है और चुनावी धोखाधड़ी की संभावना कम हो गई है। 
    • आदर्श आचार संहिता (MCC) का कार्यान्वयन: 
      • भारतीय निर्वाचन आयोग चुनावों के दौरान सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिये समान अवसर सुनिश्चित करने हेतु आदर्श आचार संहिता को प्रभावी रूप से लागू करता है।
    • प्रौद्योगिकी का नवोन्मेषी उपयोग:
      • निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिये तकनीकी प्रगति को अपनाया है, जैसे मतदाता पंजीकरण पोर्टल, ऑनलाइन मतदाता सत्यापन प्रणाली तथा मतदाता शिक्षा और सूचना प्रसार के लिये मोबाइल ऐप की शुरुआत। 

    भारत निर्वाचन आयोग से जुड़े मुद्दे: 

    • संवैधानिक सीमाएँ:
      • संविधान में चुनाव आयोग के सदस्यों की योग्यताएँ (कानूनी, शैक्षिक, प्रशासनिक या न्यायिक) निर्धारित नहीं की गई हैं।
      • संविधान में चुनाव आयोग के सदस्यों का कार्यकाल निर्दिष्ट नहीं किया गया है।
    • चयन समिति में सरकार का वर्चस्व है: 
      • मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023 के तहत एक चयन समिति गठित की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।
      • इस प्रकार, चयन समिति में तत्कालीन सरकार के सदस्यों का बहुमत है, जो भारत निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता को कमज़ोर कर सकता है।
    • कार्यकाल की सुरक्षा: 
      • चुनाव आयुक्तों के लिये कार्यकाल की सुरक्षा की गारंटी नहीं है, क्योंकि उन्हें औपचारिक महाभियोग प्रक्रिया के बजाय मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर सत्ता में बैठी सरकार द्वारा हटाया जा सकता है, जिससे वे असुरक्षित हो जाते हैं और उनकी स्वतंत्रता पर प्रभाव पड़ सकता है।
    • चुनावी कदाचार: 
      • इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में छेड़छाड़, मतदाता प्रतिरूपण और मतदाता सूचियों में हेराफेरी जैसी चुनावी अनियमितताएँ चुनावों की निष्पक्षता तथा विश्वसनीयता के लिये गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती हैं।

    भारत निर्वाचन आयोग को सशक्त बनाने के लिये कदम उठाए जाने चाहिये: 

    • स्वतंत्र चयन समिति का गठन: 
      • सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ विभिन्न हितधारकों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक स्वतंत्र चयन समिति का गठन किया जाए, जो नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिये इसकी निगरानी करे।
      • अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ, 2023 मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की पाँच-न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से निर्णय दिया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाएगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शामिल होंगे।
    • चुनाव आयुक्तों को वैधानिक सुरक्षा प्रदान करना: 
      • ऐसा कानून बनाएँ जो स्पष्ट रूप से उन शर्तों को परिभाषित करे जिनके तहत चुनाव आयुक्तों को पद से हटाया जा सकता है। 
      • इस कानून में मनमाने ढंग से बर्खास्तगी को रोकने के लिये कड़े मानदंड और प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय शामिल किये जाने चाहिये।
    • पारदर्शी वित्तपोषण तंत्र: 
      • ECI को धन आवंटित करने के लिये पारदर्शी तंत्र लागू करें, जैसे कि संसदीय विनियोजन प्रक्रिया या स्वतंत्र बजटीय निरीक्षण समिति के माध्यम से। 
    • आनुपातिक दंड की शक्ति: 
      • उल्लंघन के दोषी पाए गए राजनीतिक दलों के लिये विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों और दंडों को लागू करने के लिये ECI को सशक्त बनाना, जिसमें ज़ुर्माना, विशेषाधिकारों का निलंबन तथा अस्थायी या स्थायी रूप से पंजीकरण रद्द करना शामिल है। 
    • चुनावी अखंडता को बढ़ावा देना
      • आयोग को अधिक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल सिस्टम (VVPATS) स्थापित करके लोगों के बीच अपना विश्वास स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • तकनीकी एकीकरण: 
      • इसमें सुरक्षा बढ़ाने और छेड़छाड़ या धोखाधड़ी के जोखिम को कम करने के लिये ब्लॉकचेन-आधारित मतदान प्रणाली जैसी उन्नत मतदान प्रौद्योगिकियों को अपनाना शामिल है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: 
      • अंतर्राष्ट्रीय चुनाव प्रबंधन निकायों और संगठनों के साथ सहयोग एवं सहभागिता को मज़बूत करने से ज्ञान के आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण की पहल तथा चुनावी शासन में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने में मदद मिल सकती है। 

    निष्कर्ष:

    भविष्य की ओर देखते हुए, भारत के चुनाव आयोग का भविष्य तकनीकी प्रगति के अनुकूल होने, विनियामक ढाँचे को मज़बूत करने, समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देने और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखने की इसकी क्षमता पर निर्भर करता है। भारत चुनाव आयोग को सशक्त बनाकर और उसकी चुनावों के प्रभावी संचालन एवं निगरानी क्षमता को बढ़ाकर न केवल लोकतांत्रिक शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मज़बूत कर सकता है, बल्कि अपने नागरिकों के बीच चुनावी प्रणाली में विश्वास तथा विश्वासनीयता भी बढ़ा सकता है।

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