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16 Jan 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 1
भूगोल
दिवस: 40: भारत में सदाबहार वनों के वितरण और विशेषताओं पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- सदाबहार वनों का परिचय देते हुए उनकी पारिस्थितिकी और जलवायु संबंधी आवश्यकताओं पर प्रकाश डालिये।
- विशिष्ट उदाहरण देते हुए सदाबहार वनों के वितरण और विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- उनके महत्त्व और संरक्षण की आवश्यकता पर निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
सदाबहार वन, जो अधिक घनत्व वाले वनों और वर्ष भर अपनी हरियाली के लिये जाने जाते हैं, उच्च वर्षा (200 सेमी. या अधिक) और स्थिर तापमान (22 डिग्री सेल्सियस-27 डिग्री सेल्सियस) वाले क्षेत्रों में विकसित होते हैं। ये वन जैवविविधता संरक्षण, जलवायु विनियमन और भारत में अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्रों को सहारा देने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
मुख्य भाग:
भारत में सदाबहार वनों का वितरण:
- पश्चिमी घाट:
- केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में फैले ये पक्षी साइलेंट वैली (शांत घाटी) और अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिज़र्व जैसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- इन वनों में नीलगिरि तहर और मालाबार सिवेट जैसी स्थानिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- पूर्वोत्तर राज्य:
- यह असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और मणिपुर में पाया जाता है, विशेषकर काजीरंगा एवं दिबांग घाटी जैसे क्षेत्रों में।
- ये वन ऑर्किड और फर्न से समृद्ध हैं।
- अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह:
- उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों का घर, विशेष रूप से ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व में।
- निकोबार मेगापोड जैसी विचित्र प्रजातियाँ यहाँ पाई जाती हैं।
- पूर्वी घाट और तटीय क्षेत्र:
- पूर्वी घाट और तटीय क्षेत्र में ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के प्रमुख तटीय मैदान एवं डेल्टा शामिल हैं।
सदाबहार वनों की विशेषताएँ:
- वृक्षावरण: अधिक घनत्व वाले वृक्ष आवरण के कारण सूर्य का प्रकाश सीमित मात्रा में ही वन के तल तक पहुँच पाता है।
- विविध वनस्पति: महोगनी, शीशम और आबनूस जैसी प्रजातियों का प्रभुत्व, साथ ही अत्यधिक मात्रा में पाई जाने वाली वनस्पतियाँ और एपीफाइट्स।
- वर्ष भर हरियाली: अलग-अलग समय पर वृक्षों से पत्ते गिरते हैं, जिससे निरंतर हरियाली बनी रहती है।
- उच्च जैवविविधता: ये वन स्थानिक प्रजातियों के लिये आकर्षण के केंद्र हैं, जिनमें पश्चिमी घाट में लायन-टेल्ड मेकाक भी शामिल है।
- उच्च उत्पादकता: कार्बन पृथक्करण और ऑक्सीज़न उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान।
निष्कर्ष
सदाबहार वन भारत की पारिस्थितिकी स्थिरता और जैवविविधता के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। हालाँकि वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों के कारण तत्काल संरक्षण उपायों की आवश्यकता है। सतत् प्रबंधन और सामुदायिक भागीदारी भविष्य की पीढ़ियों के लिये उनके संरक्षण को सुनिश्चित कर सकती है।