Sambhav-2025

दिवस-36: महासागरीय धाराओं की दिशा और शक्ति को प्रभावित करने वाले कारकों पर चर्चा कीजिये। ये धाराएँ वैश्विक जलवायु को कैसे प्रभावित करती हैं? (250 शब्द)

11 Jan 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • समुद्री धाराओं और उनके महत्त्व का संक्षेप में परिचय दीजिये।
  • महासागरीय धाराओं को प्रभावित करने वाले कारकों पर उदाहरण सहित विस्तार से चर्चा कीजिये।
  • प्रासंगिक डेटा और उदाहरणों का उपयोग करके वैश्विक जलवायु पर महासागरीय धाराओं के प्रभाव की व्याख्या कीजिये।
  • उचित निष्कर्ष निकालिये।

परिचय:

महासागरीय धाराएँ समुद्री जल की सतत् प्रवाहमान धाराएँ हैं, जो हवा, तापमान भिन्नताओं और पृथ्वी के घूर्णन जैसी ताकतों से संचालित होती हैं। ये धाराएँ गर्मी, पोषक तत्त्वों और गैसों के परिवहन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिससे वैश्विक मौसम तथा जलवायु प्रारूप को आकार मिलता है। वैश्विक जलवायु गतिशीलता और इसके निहितार्थों को समझने के लिये उनकी कार्यप्रणाली को समझना महत्त्वपूर्ण है।

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मुख्य भाग:

महासागरीय धाराओं की दिशा और शक्ति को प्रभावित करने वाले कारक:

  • सौर ऊर्जा द्वारा तापन:
    • सूर्य की गर्मी से पानी के विस्तार के कारण भूमध्य रेखा के पास समुद्र की सतह मध्य अक्षांशों की तुलना में लगभग 8 सेमी ऊँची हो जाती है, जिससे एक मामूली ढाल बनता है। यह ढाल पानी को नीचे की ओर बहने के लिये प्रेरित करता है, जिससे धाराओं की गति प्रारंभ होती है।
  • पवन:
    • समुद्र की सतह पर बहने वाली पवनें पानी को धकेलती हैं, घर्षण के माध्यम से ऊर्जा स्थानांतरित करती हैं। यह सतही धाराओं का एक प्रमुख चालक है और उनकी दिशा एवं शक्ति में योगदान देता है।
  • गुरुत्वाकर्षण:
    • गुरुत्वाकर्षण गर्मी और पवन द्वारा बनाए गए ढाल से पानी को नीचे की ओर खींचता है, जिससे समुद्री धाराओं का प्रवाह सुनिश्चित होता है। यह प्रक्रिया वैश्विक स्तर पर पानी के संतुलित वितरण में सहायक होती है।
  • कोरिओलिस बल:
    • पृथ्वी के घूर्णन के कारण, कोरिओलिस बल के कारण पानी उत्तरी गोलार्द्ध में दाईं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। 
    • यह विक्षेपण विशाल घूर्णनशील जल प्रणालियाँ बनाता है, जिन्हें वलय कहा जाता है, जो सभी प्रमुख महासागरीय बेसिनों में जल प्रवाह को नियंत्रित करती हैं।
  • लवणता और तापमान:
    • अधिक लवणता वाला जल सघन होता है और इसलिये गर्म जल की तुलना में ठंडा जल भी सघन होता है। सघन जल डूबने लगता है, जबकि हल्का जल ऊपर उठता है, जिससे ऊर्ध्वाधर धाराएँ चलती हैं।
    • ठंडे जल की धाराएँ: ये तब बनती हैं जब ध्रुवों का ठंडा और घना जल नीचे की ओर गिरता है तथा धीरे-धीरे भूमध्य रेखा की ओर प्रवाहित होता है।
    • गर्म जल धाराएँ: भूमध्य रेखा से गर्म जल सतह के साथ ध्रुवों की ओर बहता है तथा डूबते हुए ठंडे जल की जगह ले लेता है।
  • महासागर बेसिन का आकार:
    • महासागर तल की स्थलाकृति, जिसमें कटक और खाइयाँ शामिल हैं, धाराओं की दिशा एवं गति को आकार देती है।
    • उदाहरण: अफ्रीका के निकट अगुलहास धारा को महाद्वीपीय शेल्फ द्वारा पुनर्निर्देशित किया जाता है।

वैश्विक जलवायु पर महासागरीय धाराओं का प्रभाव:

  • ऊष्मा वितरण:
    • महासागरीय धाराएँ भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक ऊष्मा का परिवहन करती हैं, जिससे वैश्विक तापमान नियंत्रित रहता है और चरम जलवायु परिस्थितियों को रोका जा सकता है।
    • उदाहरण: गल्फ स्ट्रीम उत्तरी यूरोप को गर्म करती है, जबकि कैलिफोर्निया करंट उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट को ठंडा करता है।
  • मानसून प्रणाली और वर्षा:
    • गर्म समुद्री धाराएँ वायुमंडल में नमी की उपलब्धता बढ़ाती हैं, जिससे वर्षा प्रारूप और मानसून प्रभावित होता है।
    • उदाहरण: प्रशांत महासागर में कुरोशियो धारा पूर्वी एशिया में मानसून गतिविधि को संचालित करने में भूमिका निभाती है।
  • चक्रवातों की तीव्रता:
    • गर्म धाराएँ ऊर्जा और नमी प्रदान करती हैं, जिससे उष्णकटिबंधीय चक्रवात एवं तूफान तीव्र हो जाते हैं।
    • उदाहरण: कैरेबियन सागर का गर्म पानी अटलांटिक महासागर में तूफानों को बढ़ावा देता है, जिससे वे अधिक विनाशकारी हो जाते हैं।
  • कार्बन पृथक्करण:
    • महासागरीय धाराएँ कार्बन चक्र का अभिन्न अंग हैं, जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को गहरे महासागरीय परतों तक पहुँचाती हैं।
    • उदाहरण: उत्तरी अटलांटिक गहन जल धारा कार्बन डाइऑक्साइड को एकत्रित करने में मदद करती है तथा ग्रीनहाउस गैस के प्रभाव को कम करती है।
  • एल नीनो और ला नीना घटना:
    • एल नीनो और ला नीना घटनाओं के दौरान समुद्री धाराओं में परिवर्तन से वैश्विक मौसम प्रारूप बाधित होता है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ क्षेत्रों में बाढ़ आती है, तो अन्य में सूखा पड़ता है।
    • उदाहरण: अल नीनो भारत और ऑस्ट्रेलिया में सूखे का कारण बनता है, जबकि दक्षिण अमेरिका में वर्षा को बढ़ाता है।
  • समुद्री जैवविविधता के लिये समर्थन:
    • हम्बोल्ट धारा जैसी ठंडी धाराएँ पोषक तत्त्वों से भरपूर होती हैं, जो उच्च समुद्री जैवविविधता और उत्पादक मत्स्य पालन को बढ़ावा देती हैं। 
    • इसके विपरीत, गर्म धाराएँ प्रवाल विरंजन जैसी घटनाओं को उत्पन्न कर सकती हैं।
  • क्षेत्रीय समुद्र स्तर पर प्रभाव:
    • महासागरीय धाराएँ जल राशियों को पुनर्वितरित करके क्षेत्रीय समुद्र स्तर को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों में तटीय बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।
    • उदाहरण: क्यूरोशियो धारा की ताकत में परिवर्तन से एशियाई तट पर समुद्र का स्तर बढ़ सकता है।

निष्कर्ष:

महासागरीय धाराएँ पृथ्वी की जलवायु प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण घटक हैं, जो मौसम, जैवविविधता और मानव जीवन को प्रभावित करती हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से इन धाराओं में आने वाले बदलावों को समझना आवश्यक है, ताकि भविष्य की जलवायु परिस्थितियों का आकलन किया जा सके और प्रभावी अनुकूलन व शमन रणनीतियाँ विकसित की जा सकें।