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07 Jan 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 1
भूगोल
दिवस-32:मृदा निर्माण की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों का विवरण दीजिये और मृदा निर्माण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- मृदा निर्माण को परिभाषित करके आरंभ कीजिये।
- मृदा निर्माण के चरणों का वर्णन कीजिये।
- मृदा निर्माण को नियंत्रित करने वाले प्रमुख कारकों का विश्लेषण कीजिये।
- अंत में, स्थायी मृदा प्रबंधन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिये।
परिचय:
मृदा एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है, जो कृषि, जैवविविधता और पारिस्थितिक संतुलन का समर्थन करता है। मृदा का निर्माण एक गतिशील प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक और मानवीय कारकों के परस्पर प्रभाव से प्रभावित एक जटिल, बहु-चरणीय प्रक्रिया के माध्यम से मूल सामग्री का मृदा में रूपांतरण शामिल है।
मुख्य भाग:
मृदा निर्माण के चरण
- मूल सामग्री का अपक्षय
- भौतिक अपक्षय: चट्टानें तापमान में उतार-चढ़ाव, हिम प्रभाव या घर्षण के कारण छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं।
- उदाहरण: रेगिस्तानी क्षेत्रों में विस्तार और संकुचन से चट्टान का विघटन होता है।
- रासायनिक अपक्षय: हाइड्रोलिसिस, ऑक्सीकरण और कार्बोनेशन जैसी रासायनिक प्रतिक्रियाएँ चट्टान की खनिज संरचना को बदल देती हैं।
- उदाहरण: चूना पत्थर अम्लीय वर्षा जल में घुलकर मृदा का निर्माण करता है।
- भौतिक अपक्षय: चट्टानें तापमान में उतार-चढ़ाव, हिम प्रभाव या घर्षण के कारण छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं।
- कार्बनिक पदार्थों का संचय
- अपघटन: पौधे और जानवर अपने अपघटन के माध्यम से कार्बनिक सामग्री में योगदान करते हैं।
- पोषक तत्त्वों से भरपूर घटक ह्यूमस का निर्माण मृदा की उर्वरता को बढ़ाता है।
- उदाहरण: वन मृदा पत्तियों के कूड़े और सड़े हुए पदार्थों से समृद्ध होती है।
- मृदा संस्तर का विकास
- मृदा संस्तर खनिजों, कार्बनिक पदार्थों और जल की आवाजाही के कारण विकसित होता है:
- O संस्तर: जैविक परत।
- A संस्तर: उर्वरक मृदा, जिसमें ह्यूमस की भरपूर मात्रा होती है।
- B संस्तर: उपमृदा, जिसमें खनिज जमा होते हैं।
- C संस्तर: अपक्षयित मूल सामग्री।
- मृदा संस्तर खनिजों, कार्बनिक पदार्थों और जल की आवाजाही के कारण विकसित होता है:
- परिपक्व मृदा का निर्माण
- समय के साथ, मृदा परिच्छेदिका स्पष्ट रूप से परिभाषित हो जाती है तथा पर्यावरणीय परिस्थितियों से प्रभावित होकर अलग-अलग परतें दिखाई देने लगती हैं।
- उदाहरण: नदी घाटियों में उपजाऊ जलोढ़ मृदा।
- समय के साथ, मृदा परिच्छेदिका स्पष्ट रूप से परिभाषित हो जाती है तथा पर्यावरणीय परिस्थितियों से प्रभावित होकर अलग-अलग परतें दिखाई देने लगती हैं।
मृदा निर्माण को नियंत्रित करने वाले प्रमुख कारक
- मूल सामग्री: मूल चट्टान की खनिज संरचना और बनावट मृदा के गुणों को प्रभावित करती है।
- उदाहरण: बेसाल्ट पोषक तत्त्वों से भरपूर काली मृदा बनाता है।
- जलवायु
- तापमान और वर्षा:
- अधिक वर्षा से रासायनिक अपक्षय और निक्षालन को बढ़ावा मिलता है, जिससे लैटेराइट मृदा का निर्माण होता है।
- शुष्क जलवायु न्यूनतम अपक्षय के कारण मृदा विकास को धीमा कर देती है।
- उदाहरण: केरल में लैटेराइट मृदा बनाम राजस्थान में रेगिस्तानी मृदा।
- तापमान और वर्षा:
- तलरूप
- ढलान और ऊँचाई:
- पार्श्व ढलानों के कारण मृदा का कटाव होता है, जिसके परिणामस्वरूप मृदा उथली हो जाती है।
- निचले इलाकों में तलछट जमा रहती है, जिससे गहरी, उपजाऊ मृदा बनती है।
- उदाहरण: हिमालय में पतली पहाड़ी मृदा बनाम सिंधु-गंगा के मैदानों में गहरी जलोढ़ मृदा।
- जैविक कारक
- पौधे और सूक्ष्मजीव:
- जड़ें चट्टानों को तोड़ती हैं और कार्बनिक पदार्थों में योगदान देती हैं।
- सूक्ष्मजीव पोषक चक्रण और ह्यूमस निर्माण में सहायक होते हैं।
- उदाहरण: केंचुए मृदा की संरचना और उर्वरता में सुधार करते हैं।
- पौधे और सूक्ष्मजीव:
- समय
- मृदा निर्माण एक क्रमिक प्रक्रिया है जिसके लिये हज़ारों वर्ष लगते हैं।
- उदाहरण: समशीतोष्ण क्षेत्रों में चेर्नोज़म जैसी परिपक्व मृदा को विकसित होने में सहस्राब्दियों का समय लगता है।
- मृदा निर्माण एक क्रमिक प्रक्रिया है जिसके लिये हज़ारों वर्ष लगते हैं।
निष्कर्ष:
पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में मृदा का निर्माण एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस सीमित संसाधन को संरक्षित करने, कटाव, लवणता और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए खाद्य सुरक्षा तथा पर्यावरणीय स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिये संधारणीय मृदा प्रबंधन प्रथाएँ आवश्यक हैं।