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Sambhav-2025

  • 08 Feb 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस- 60: सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद के संदर्भ में मुख्यमंत्री की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। साथ ही, यह केंद्र-राज्य संबंधों को किस प्रकार प्रभावित करता है, इसकी विवेचना कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय में सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद तथा संघीय ढाँचे में मुख्यमंत्री (CM) की भूमिका को परिभाषित कीजिये।
    • सहकारी एवं प्रतिस्पर्द्धी संघवाद में मुख्यमंत्री की भूमिका को उदाहरण सहित समझाइये।
    • प्रासंगिक डाटा, तर्कों और मामलों के साथ केंद्र-राज्य संबंधों पर प्रभाव का विश्लेषण कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष निकालिये।

    परिचय:

    केंद्र-राज्य संबंधों पर आधारित संघवाद को सहकारी और प्रतिस्पर्द्धी संघवाद में वर्गीकृत किया गया हैसहकारी संघवाद एक क्षैतिज संबंध को बढ़ावा देता है, जो सार्वजनिक हित में केंद्र-राज्य सहयोग सुनिश्चित करता है, जबकि प्रतिस्पर्द्धी संघवाद राज्यों को बेहतर शासन के लिये प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये प्रोत्साहित करता है। कार्यकारी प्रमुख (अनुच्छेद 164) के रूप में, मुख्यमंत्री (CM) दोनों गतिशीलता को संतुलित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    मुख्य भाग:

    सहकारी संघवाद में मुख्यमंत्री की भूमिका:

    • केंद्र प्रायोजित योजनाओं का कार्यान्वयन:
      • मुख्यमंत्री केंद्र के साथ समन्वय में आयुष्मान भारत, मनरेगा, PMAY जैसी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करते हैं।
      • यह अनुच्छेद 282 के अनुरूप है, जो केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को लोक कल्याण के लिये अनुदान देने की अनुमति देता है।
    • संस्थागत तंत्र में भागीदारी:
      • नीतिगत संरेखण और राजकोषीय समन्वय सुनिश्चित करने के लिये नीति आयोग, GST परिषद (अनुच्छेद 279A) तथा क्षेत्रीय परिषदों जैसे निकायों में मुख्यमंत्री महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • संकट एवं आपदा प्रबंधन:
      • प्राकृतिक आपदाओं (प्रविष्टि 23, समवर्ती सूची के अंतर्गत नियंत्रित) और कोविड-19 जैसी स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान, मुख्यमंत्रियों ने टीकाकरण नीतियों एवं प्रवासी श्रम मुद्दों पर केंद्र के साथ काम किया।
    • जल विवाद समाधान:
      • मुख्यमंत्री अंतर्राज्यीय जल-साझाकरण समझौतों पर बातचीत करते हैं (उदाहरण के लिये, कावेरी जल विवाद, जिसे अनुच्छेद 262 और अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 के तहत नियंत्रित किया जाता है)।
    • कानून एवं व्यवस्था तथा राष्ट्रीय सुरक्षा:
      • जबकि सार्वजनिक व्यवस्था राज्य का विषय है (प्रविष्टि 1, सूची II), आंतरिक सुरक्षा के मुद्दों के लिये केंद्र के साथ सहयोग की आवश्यकता होती है (उदाहरण के लिये, अनुच्छेद 355 के तहत केंद्रीय बलों की तैनाती)।

    प्रतिस्पर्द्धी संघवाद में मुख्यमंत्री की भूमिका:

    • आर्थिक और निवेश वृद्धि को बढ़ावा देना: अनुच्छेद 301 के तहत मुक्त व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देते हुए, मुख्यमंत्री FDI आकर्षित करने, औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने तथा बुनियादी ढाँचे के विस्तार में अहम भूमिका निभाते हैं।
      • गुजरात की गिफ्ट सिटी, कर्नाटक का IT क्षेत्र और तमिलनाडु की EV नीति सक्रिय आर्थिक नेतृत्व को उजागर करती है।
    • कर और नीति सुधारों का कार्यान्वयन: मुख्यमंत्री राज्य को अधिक व्यापार-अनुकूल बनाने, अनुमोदन को सुव्यवस्थित करने और अधिक राजस्व उत्पन्न करने के लिये प्रविष्टि 50, सूची II के अंतर्गत कराधान नीतियों को रणनीतिक रूप से समायोजित करते हैं।
      • तेलंगाना के TS-आईपास ने नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाकर व्यापार करने में आसानी में सुधार किया है।
    • लोक कल्याण और शासन उत्कृष्टता को आगे बढ़ाना: मुख्यमंत्री ने राज्य के सामाजिक और आर्थिक संकेतकों को बढ़ाने के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा तथा डिजिटल सेवाओं में परिवर्तनकारी सुधार प्रस्तुत किये।
      • दिल्ली की शिक्षा पहल, केरल की व्यापक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और मध्य प्रदेश की ई-गवर्नेंस उन्नति इस दृष्टिकोण के उदाहरण हैं।
    • अंतर्राज्यीय प्रदर्शन रैंकिंग में प्रतिस्पर्द्धा: मुख्यमंत्री नीति आयोग के SDG सूचकांक, स्वास्थ्य सूचकांक और व्यवसाय सुधार कार्य योजना में राज्य की स्थिति को सुधारने के लिये सक्रिय रूप से काम करते हैं तथा परिणाम-आधारित शासन मॉडल को बढ़ावा देते हैं।
      • ये रैंकिंग राज्यों को राष्ट्रीय रैंकिंग में आगे रहने के लिये शासन प्रभावशीलता, नीति कार्यान्वयन और सेवा वितरण को बढ़ाने के लिये प्रेरित करती हैं।

    केंद्र-राज्य संबंधों पर प्रभाव:

    • सकारात्मक पहलू:
      • वित्त आयोग की सिफारिशों के माध्यम से राजकोषीय संघवाद को मज़बूत करता है (अनुच्छेद 280)
      • अंतर्राज्य परिषद (अनुच्छेद 263) जैसे मंचों के माध्यम से केंद्र-राज्य नीति अभिसरण को बढ़ाता है।
      • राष्ट्रीय नीति की निरंतरता सुनिश्चित करते हुए राज्यों को शासन में नवीनता लाने के लिये प्रोत्साहित करता है।
    • चुनौतियाँ और संघर्ष:
      • वित्तीय निर्भरता: राज्य अनुच्छेद 275 के तहत अधिक वित्तीय स्वायत्तता चाहते हैं तथा उच्च कर हस्तांतरण का तर्क देते हैं।
      • राज्यपाल की भूमिका: अनुच्छेद 163 के तहत नियुक्ति और विवेकाधीन शक्तियाँ कभी-कभी शासन में तनाव का कारण बनती हैं।
      • विधायी विवाद: राज्य के विषयों को प्रभावित करने वाले केंद्रीय कानूनों (जैसे- कृषि कानून) ने अनुच्छेद 246 के तहत अधिक परामर्श की मांग को जन्म दिया है।

    निष्कर्ष:

    केंद्र और राज्य के बीच सेतु के रूप में मुख्यमंत्री सहकारी तथा प्रतिस्पर्द्धी संघवाद को संतुलित करते हैं, जिससे आर्थिक विकास, नीतिगत नवाचार एवं शासन दक्षता सुनिश्चित होती है। हालाँकि संघीय चुनौतियों का समाधान करने के लिये अंतर्राज्य परिषद और GST परिषद जैसे संस्थागत तंत्र को मज़बूत किया जाना चाहिये। संविधान के मूल ढाँचे के रूप में एस.आर. बोम्मई मामले में जिस संघवाद की कल्पना की गई थी, उसकी भावना को बनाए रखना भारत के लोकतांत्रिक शासन के लिये आवश्यक है।

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