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22 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
आंतरिक सुरक्षा
दिवस- 93: आर्थिक अपराधों से निपटने और वित्तीय प्रणाली की पारदर्शिता सुनिश्चित करने में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) एवं भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- वित्तीय अपराधों और अर्थव्यवस्था पर उनके प्रभाव का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- इन चुनौतियों से निपटने में PMLA और FEOA की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
- आगे की राह सुझाइये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
वित्तीय अपराध, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी और आर्थिक अपराध शामिल हैं, आर्थिक स्थिरता एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को कमज़ोर करते हैं। अवैध वित्तीय गतिविधियों से निपटने और अपराधियों को न्याय से बचने से रोकने के लिये मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 और भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA), 2018 को अधिनियमित किया गया था। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में उनकी प्रभावशीलता मूल्यांकन का विषय बनी हुई है।
मुख्य भाग:
धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA):
- प्रमुख प्रावधान:
- मनी लॉन्ड्रिंग को अपराध से प्राप्त आय को छुपाना, रखना, प्राप्त करना या उपयोग करना तथा उसे वैध संपत्ति के रूप में प्रस्तुत करना कहा गया है।
- यह विधेयक प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अपराधों की जाँच करने, छापे मारने और अपराध की आय को कुर्क करने का अधिकार देता है।
- वित्तीय संस्थाओं को संदिग्ध लेन-देन की जाँच के लिये वित्तीय खुफिया इकाई - भारत (FIU-IND) को रिपोर्ट करना अनिवार्य किया गया है।
- धन शोधन के मामलों की सुनवाई में तेज़ी लाने तथा कानूनी रोकथाम सुनिश्चित करने के लिये विशेष न्यायालयों की स्थापना की गई।
- इसमें अपराधों की अनुसूची के अंतर्गत विविध प्रकार के अपराध शामिल हैं, जिनमें आर्थिक अपराध, भ्रष्टाचार, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद शामिल हैं।
- प्रभावशीलता:
- मज़बूत निवारण: PMLA प्रमुख धोखाधड़ी और आर्थिक अपराधों में सख्त जाँच, अभियोजन एवं संपत्ति ज़ब्ती के माध्यम से वित्तीय अपराधों को रोकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि: भारत अवैध धन पर नज़र रखने के लिये इंटरपोल और FATF (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) के साथ सहयोग करता है।
- बेहतर वित्तीय निगरानी: बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहक को जानो (KYC) मानदंडों को लागू करने के लिये बाध्य किया जाता है, जिससे धन शोधन के जोखिम कम हो जाते हैं।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA):
- प्रमुख प्रावधान:
- यह कानून उन आर्थिक अपराधियों पर लागू होता है जो 100 करोड़ रुपए से अधिक के अपराध के अभियोजन से बचने के लिये भारत से भाग जाते हैं।
- यह विधेयक भारत एवं विदेश दोनों जगह, बिना दोषसिद्धि के भी, संपत्तियों की कुर्की और जब्ती की अनुमति देता है।
- FEO को भारतीय न्यायालयों में दीवानी दावों का बचाव करने से रोकता है, ताकि उन्हें उनके अपराधों से लाभ प्राप्त करने से रोका जा सके।
- विशेष न्यायालयों को जाँच एजेंसियों से प्राप्त साक्ष्य के आधार पर व्यक्तियों को FEO घोषित करने में सक्षम बनाकर कानूनी प्रक्रिया को तेज़ किया गया है।
- प्रभावशीलता:
- कानूनी रोकथाम: नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे उच्च-प्रोफ़ाइल आर्थिक अपराधियों को FEO घोषित किया गया है, जिससे भारत का कानूनी रुख मज़बूत हुआ है।
- मज़बूत परिसंपत्ति वसूली तंत्र: सरकार ने अधिनियम के तहत 15,113 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियाँ ज़ब्त की हैं, जिससे धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि की वसूली में मदद मिली है।
- सफेदपोश अपराधों के लिये दंड से मुक्ति में कमी: संपत्ति जब्त होने के भय से कुछ आर्थिक अपराधी भारत से भागने से हतोत्साहित हुए हैं।
कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
- न्यायिक विलंब: PMLA के तहत धन शोधन के मुकदमे अक्सर वर्षों तक खिंच जाते हैं, जिससे निवारण कम हो जाता है।
- सबूत का बोझ: PMLA के तहत, आरोपी व्यक्तियों को अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी, जिससे उचित प्रक्रिया के उल्लंघन पर बहस हो सकती है।
- जटिल प्रत्यर्पण प्रक्रियाएँ: कई FEO विदेशी न्यायक्षेत्रों में कानूनी खामियों का फायदा उठाते हैं, जिससे प्रत्यर्पण में देरी होती है (उदाहरण के लिये, ब्रिटेन में विजय माल्या का मामला)।
- दुरुपयोग के आरोप: PMLA प्रावधानों को कभी-कभी मनमाने ढंग से लागू किया जाता है, जिससे चयनात्मक अभियोजन पर चिंता उत्पन्न होती है।
- सीमित प्रवर्तन क्षमता: सख्त कानूनों के बावजूद, कम दोषसिद्धि दर प्रवर्तन अंतराल को उजागर करती है।
आगे की राह
- फास्ट-ट्रैक न्यायालय: समर्पित वित्तीय अपराध न्यायालयों के तहत शीघ्र सुनवाई और कुशल मामले के निपटान से दोषसिद्धि दरों में सुधार हो सकता है।
- मज़बूत अंतर्राष्ट्रीय समन्वय: प्रत्यर्पण संधियों को मज़बूत करना और इंटरपोल जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करना अपराधियों के प्रत्यावर्तन में सहायता कर सकता है।
- उन्नत वित्तीय विनियमन: बैंकिंग और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में धन शोधन विरोधी अनुपालन को मज़बूत करने से अवैध वित्तीय प्रवाह को रोका जा सकता है।
- न्यायिक सुधार: PMLA और FEOA के तहत कानूनी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने से देरी को रोका जा सकता है एवं प्रवर्तन दक्षता में सुधार किया जा सकता है।
- स्वतंत्र निरीक्षण: इन कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिये एक नियामक निकाय इनके अनुप्रयोग में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित कर सकता है।
निष्कर्ष:
वित्तीय अपराधों से निपटने में PMLA और FEOA महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन न्यायिक देरी, प्रत्यर्पण संबंधी बाधाएँ एवं प्रवर्तन संबंधी कमियाँ प्रभावशीलता में बाधा डालती हैं। प्रवर्तन, वैश्विक सहयोग और न्यायिक दक्षता को मज़बूत करना आर्थिक अखंडता सुनिश्चित करने की कुंजी है।