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Sambhav-2025

  • 29 Jan 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस- 51: अनुच्छेद 14 समानता और न्याय की अवधारणा को कैसे सशक्त बनाता है, चर्चा कीजिये। उपयुक्त उदाहरणों सहित, 'कानून के समक्ष समानता' और 'कानूनों के समान संरक्षण' के बीच के अंतर को स्पष्ट कीजिये।

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अनुच्छेद 14 और उसके महत्त्व का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • उदाहरण सहित "विधि के समक्ष समानता" और "विधियों के समान संरक्षण" के बीच अंतर को विस्तार से समझाइये।
    • मौलिक अधिकारों की रक्षा में उनकी भूमिका की व्याख्या कीजिये।
    • समानता को बढ़ावा देने में अनुच्छेद 14 की उपयोगिता बताते हुए उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय: 

    भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 ‘विधि के समक्ष समानता’ और ‘विधियों के समान संरक्षण’ को सुनिश्चित करता है, जो समानता एवं न्याय का आधार है। मनमाने भेदभाव पर प्रतिबंध लगाकर और सामाजिक असमानताओं को दूर करके, यह निष्पक्ष शासन तथा समावेशिता के आदर्शों को दर्शाता है।

    मुख्य भाग:

    • विधि के समक्ष समानता:
      • ब्रिटिश विधि प्रणाली से ली गई एक नकारात्मक अवधारणा, जो विधियों के एक समान अनुप्रयोग को सुनिश्चित करती है
      • इसमें यह प्रावधान किया गया है कि सभी व्यक्ति, चाहे उनकी स्थिति कुछ भी हो, समान विधि प्रावधानों के अधीन होंगे।
      • विधि प्रवर्तन में मनमाने भेदभाव के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है।
      • उदाहरण: अपराध करने वाले लोक सेवक पर एक सामान्य नागरिक के समान ही प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाया जाता है।
    • विधियों का समान संरक्षण:
      • अमेरिकी संविधान से प्रेरित एक सकारात्मक अवधारणा, जो सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिये विधियों को सक्षम बनाती है।
      • वंचित समूहों के लिये न्याय सुनिश्चित करने हेतु उचित वर्गीकरण की अनुमति देता है।
      • किंतु वर्गीकरण पक्षपात रहित तथा तर्कसंगत होना चाहिये।
      • उदाहरण: समानता को बढ़ावा देने के लिये अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिलाओं के लिये आरक्षण नीतियाँ।
    • दोनों के बीच अंतर:
      • विधि के समक्ष समानता औपचारिक समानता सुनिश्चित करती है तथा सभी के साथ समान व्यवहार करती है।
      • विधियों का समान संरक्षण प्रक्रियात्मक समानता को सुनिश्चित करता है और पूर्ववर्ती अन्यायों को सुधारने में सहायता करता है।
      • ये साथ मिलकर एकरूपता और समानता के बीच संतुलन स्थापित करते हैं।
    • समानता और न्याय सुनिश्चित करने में महत्त्व:
      • राज्य द्वारा भेदभाव पर प्रतिबंध लगाकर मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है।
      • हाशिये पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिये आरक्षण जैसी सकारात्मक नीतियों को सशक्त बनाता है।
      • राज्य की मनमानी नीतियों पर अंकुश लगाने के लिये न्यायिक निगरानी की सुविधा प्रदान करता है।
      • ऐतिहासिक मामले:
        • शायरा बानो बनाम भारत संघ: अनुच्छेद 14 के तहत तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया गया।
        • नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ: समलैंगिकता को अपराध से मुक्त किया गया, समानता और न्याय को बढ़ावा दिया गया।

    निष्कर्ष: 

    अनुच्छेद 14 विधि समानता और सामाजिक समता के बीच सेतु का काम करता है तथा विधि की उचित प्रक्रिया के सिद्धांत के साथ एक न्यायपूर्ण तथा समावेशी समाज सुनिश्चित करता है। यह एकरूपता बनाए रखते हुए असमानताओं को दूर करता है, जिससे शासन में समानता और न्याय सुनिश्चित करने की भारत की संवैधानिक प्रतिबद्धता सशक्त होती है।

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