17 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- परिचय: AMR को परिभाषित कीजिये तथा बताइये कि किस प्रकार एंटीबायोटिक दवाओं का अति प्रयोग और दुरुपयोग प्रतिरोध को बढ़ाता है, जो एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा उत्पन्न करता है।
- मुख्य भाग:
- अति प्रयोग और दुरुपयोग किस प्रकार AMR में योगदान करते हैं - स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, पर्यावरण प्रदूषण और जागरूकता की कमी में अत्यधिक उपयोग पर उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये।
- AMR से निपटने के लिये नीतिगत उपाय - सख्त नियमन, जन-जागरूकता, अस्पताल संक्रमण नियंत्रण, निगरानी और अनुसंधान निवेश का सुझाव दीजिये।
- निष्कर्ष : AMR के खतरों का सारांश दीजिये तथा इसके प्रसार को रोकने के लिये बहु-क्षेत्रीय "एक स्वास्थ्य" दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दीजिये।
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परिचय
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) तब होता है जब सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, वायरस, कवक) रोगाणुरोधी दवाओं का सामना करने के लिये विकसित हो जाते हैं, जिससे संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो जाता है। स्वास्थ्य सेवा, कृषि और पशुपालन में एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग एवं दुरुपयोग से प्रतिरोधी बैक्टीरिया का प्रसार तेज़ी से होता है। AMR भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिये एक गंभीर खतरा है।
मुख्य भाग
एंटीबायोटिक्स का अति प्रयोग और दुरुपयोग AMR में कैसे योगदान देता है
- मानव स्वास्थ्य देखभाल में अत्यधिक उपयोग - अनियमित नुस्खे और स्व-दवा प्रतिरोध को बढ़ावा देते हैं; उदाहरण के लिये, COVID-19 के दौरान एज़िथ्रोमाइसिन के अत्यधिक उपयोग से दवा की प्रभावशीलता कम हो गई।
- एंटीबायोटिक कोर्स पूरा न करना - रोगी द्वारा दवा का सेवन समय से पहले बंद कर देने से आंशिक रूप से प्रतिरोधी बैक्टीरिया जीवित रहते हैं और बढ़ते हैं, जिससे प्रतिरोध बिगड़ जाता है।
- एंटीबायोटिक दवाओं की अनियमित बिक्री - ओवर-द-काउंटर उपलब्धता के कारण अंधाधुंध उपयोग होता है, जैसा कि फ्लोरोक्विनोलोन के व्यापक, अनियंत्रित उपयोग में देखा गया है।
- पशुपालन में अति प्रयोग - मुर्गीपालन और डेयरी पालन में एंटीबायोटिक्स भारतीय पशुओं में पाए जाने वाले कोलिस्टिन-प्रतिरोधी बैक्टीरिया जैसे प्रतिरोधी उपभेदों को बढ़ावा देते हैं।
- कृषि और जलीय कृषि में उपयोग - फसल की खेती और मछली पालन में एंटीबायोटिक्स मिट्टी और पानी को दूषित करते हैं, जिससे मनुष्यों में प्रतिरोधी जीन फैलते हैं।
- अस्पताल और सामुदायिक संचरण - अस्पतालों में खराब संक्रमण नियंत्रण और स्वच्छता मेथिसिलिन-प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस (MRSA) जैसे प्रतिरोधी रोगजनकों के प्रसार को सक्षम बनाती है।
- पर्यावरण प्रदूषण - फार्मास्यूटिकल अपशिष्ट और सीवेज निपटान से जल निकायों में एंटीबायोटिक अवशेष प्रवेश करते हैं, जिससे प्रतिरोध जोखिम बढ़ जाता है।
- जागरूकता और निगरानी का अभाव - स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और जनता के बीच अपर्याप्त ज्ञान के कारण अतार्किक एंटीबायोटिक उपयोग एवं खराब नियामक अनुपालन होता है।
भारत में एएमआर से निपटने के लिये नीतिगत उपाय
- एंटीबायोटिक विनियमों को सुदृढ़ बनाना - एंटीबायोटिक दवाओं की ओवर-द-काउंटर बिक्री को रोकने के लिये अनुसूची एच1 नियमों का सख्त कार्यान्वयन।
- जन-जागरूकता अभियान - लोगों को ज़िम्मेदार एंटीबायोटिक उपयोग के बारे में शिक्षित करने के लिये "मेडसेफ" और "AMR जागरूकता सप्ताह" जैसी पहल।
- यूट्यूब जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग कीजिये। उदाहरण के लिये, RBI ने साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिये TVF की पंचायत वेब सीरीज़ के साथ सहयोग किया है।
- अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण - अस्पताल-अधिग्रहित प्रतिरोध को रोकने के लिये स्वच्छता प्रोटोकॉल, एंटीबायोटिक प्रबंधन कार्यक्रम और त्वरित नैदानिक परीक्षण लागू करना।
- कृषि एंटीबायोटिक उपयोग को कम करना - पशुधन में गैर-चिकित्सीय एंटीबायोटिक उपयोग को समाप्त करना और प्रोबायोटिक्स जैसे विकल्पों को बढ़ावा देना।
- उन्नत निगरानी प्रणालियाँ - विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिरोध पैटर्न पर नज़र रखने के लिये राष्ट्रीय AMR निगरानी नेटवर्क (NARS-नेट) का विस्तार करना।
- नए एंटीबायोटिक्स का अनुसंधान और विकास - नवीन रोगाणुरोधी चिकित्सा विकसित करने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी और स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना।
- अपशिष्ट जल और औषधि विनियमन - पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिये औषधि उद्योगों के लिए सख्त अपशिष्ट उपचार दिशानिर्देशों को लागू करना।
- वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग - एएमआर पर डब्ल्यूएचओ की वैश्विक कार्य योजना और समन्वित कार्रवाई के लिये दक्षिण एशियाई पहलों के अंतर्गत साझेदारी को मज़बूत करना।
निष्कर्ष
अनियंत्रित एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग AMR के मुख्य कारण हैं, जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है तथा स्वास्थ्य सेवा की लागत बढ़ जाती है। भारत में AMR से निपटने के लिये विनियामक सुधार, जन-जागरूकता, बेहतर संक्रमण नियंत्रण और सतत् कृषि पद्धतियाँ आवश्यक हैं। इस बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को कम करने के लिये "वन हेल्थ" के तहत एक बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है।