दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय में एंटी-डंपिंग ड्यूटी और उसके उद्देश्य को संक्षेप में परिभाषित कीजिये।
- भारत में एंटी-डंपिंग शुल्क की प्रभावशीलता का विश्लेषण कीजिये।
- एंटी-डंपिंग उपायों को लागू करने में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
एंटी-डंपिंग शुल्क अंतर्राष्ट्रीय मूल्य भेदभाव को रोकने के लिये लागू किये जाता है, जहाँ किसी उत्पाद को निर्यात करने वाले देश के बाज़ार की तुलना में आयात करने वाले देश में कम कीमत पर बेचा जाता है। भारत ने इन उपायों का तेज़ी से उपयोग किया है, जिसका उसके उद्योगों पर काफी प्रभाव पड़ा है, विशेषकर हाल के वर्षों में।
मुख्य भाग:
घरेलू उद्योगों के संरक्षण में एंटी-डंपिंग शुल्क का उद्देश्य:
- समान अवसर: एंटी-डंपिंग शुल्क यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि भारतीय निर्माताओं को सस्ते आयातित सामानों से नुकसान न हो, जो स्थानीय उत्पादन और रोज़गार को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
- राजस्व सृजन: संरक्षण के अतिरिक्त, ये शुल्क सरकारी राजस्व भी सृजित करते हैं, जिसे औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिये पुनर्निर्देशित किया जा सकता है।
- उदाहरण: वर्ष 2023 में, भारत ने स्टील और रसायन जैसे उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाया, जिससे उन उद्योगों को सुरक्षा मिली जो सस्ते आयात, विशेष रूप से चीन से, के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे।
भारतीय संदर्भ में प्रभावशीलता:
- कमज़ोर उद्योगों का संरक्षण:
- भारत एंटी-डंपिंग उपायों का उपयोग करने वाले शीर्ष देशों में से एक है, जिसने वर्ष 2023 में 45 जाँच शुरू की हैं, जिनमें से 14 मामलों में शुल्क लगाया गया। इन उपायों से स्टील, सोलर पैनल और टेक्सटाइल जैसे उद्योगों को मदद मिली है।
- उदाहरण के लिये, भारत ने अपने नवजात सौर उद्योग की रक्षा के लिये चीनी सौर पैनलों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाया, जिससे उसे विकास का अवसर मिला।
- घरेलू प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहन:
- ये उपाय भारतीय कंपनियों के लिये प्रतिस्पर्द्धात्मक परिवेश तैयार करते हैं, जिससे उन्हें नवाचार करने तथा उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करने के लिये बाध्य होना पड़ता है।
- हालाँकि ठहराव से बचने के लिये इस सुरक्षा को संतुलित किया जाना चाहिये।
कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
- जाँच:
- एंटी-डंपिंग जाँच में समय लग सकता है। वर्ष 2023 में, भारत ने ऐसे कई मामले शुरू किये, लेकिन इस प्रक्रिया में महीनों लग गए, जिससे अंतरिम अवधि में उद्योग असुरक्षित हो गए।
- उदाहरण के लिये, इस्पात उद्योग को सस्ते चीनी आयातों के विरुद्ध जाँच प्रक्रिया में देरी का सामना करना पड़ा, जिससे क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धात्मकता प्रभावित हुई।
- उपभोक्ताओं और लागतों पर प्रभाव:
- उच्च टैरिफ़ से उपभोक्ताओं के लिये कीमतें बढ़ सकती हैं, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और स्टील जैसे क्षेत्रों में। कच्चे माल पर निर्भर भारतीय उद्योगों को उत्पादन लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है।
- इस्पात उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने से निर्माण लागत बढ़ गई और ऑटोमोटिव विनिर्माण जैसे उद्योग प्रभावित हुए।
- वैश्विक व्यापार संबंध और प्रतिशोध:
- भारत द्वारा एंटी-डंपिंग शुल्कों के बढ़ते प्रयोग से व्यापारिक साझेदारों, विशेषकर चीन के साथ तनाव पैदा हो गया है, जिसने कुछ मामलों में जवाबी कार्रवाई की है।
- वर्ष 2023 में भारत को अमेरिका जैसे देशों से एंटी-डंपिंग उपायों का सामना करना पड़ेगा, जिससे व्यापार युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा।
निष्कर्ष: एंटी-डंपिंग शुल्क भारतीय उद्योगों को अनुचित प्रतिस्पर्द्धा से बचाते हैं, लेकिन देरी, उपभोक्ता लागत और संभावित प्रतिशोध से बाधित होते हैं। दीर्घकालिक स्थिरता के लिये, भारत को एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिये जो नकारात्मक प्रभावों को कम करते हुए नवाचार को बढ़ावा देता है। डब्ल्यूटीओ निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा के लिये एंटी-डंपिंग उपायों के उपयोग की अनुमति देता है।