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27 Feb 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस- 76: भारत में नीति-निर्माण प्रक्रिया में योजना आयोग से नीति आयोग में बदलाव का विश्लेषण कीजिये। इस परिवर्तन ने विकास कार्यक्रमों और परियोजनाओं के क्रियान्वयन को किस प्रकार प्रभावित किया है? (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- वर्ष 2015 में योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग की स्थापना का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- नीति-निर्माण दृष्टिकोण में बदलाव पर चर्चा कीजिये।
- विकासात्मक कार्यक्रमों के कार्यान्वयन पर इसके प्रभाव का उल्लेख कीजिये।
- उचित रूप से निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत की नीति-निर्माण प्रक्रिया में योजना आयोग से नीति आयोग की ओर बदलाव देश के विकास और शासन के प्रति दृष्टिकोण में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है। विकेंद्रीकृत निर्णय लेने और सहकारी संघवाद को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, वर्ष 2015 में योजना आयोग को भंग कर उसकी जगह नीति आयोग की स्थापना की गई।
मुख्य भाग:
नीति-निर्माण दृष्टिकोण में बदलाव
- ऊर्ध्वमुखी एवं अधोमुखी दृष्टिकोण:
- योजना आयोग (अधोमुखी दृष्टिकोण): योजना आयोग एक केंद्रीकृत, शीर्ष-से-नीचे मॉडल पर कार्य करता था, जहाँ नीतियाँ केंद्र द्वारा निर्धारित की जाती थीं, जिससे राज्यों के पास स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार नीतियों को अनुकूलित करने के सीमित अवसर होते थे।
- योजना आयोग ने पंचवर्षीय योजनाओं जैसी केंद्रीकृत योजनाओं के आधार पर संसाधन आवंटन को बड़े पैमाने पर नियंत्रित किया।
- नीति आयोग (ऊर्ध्वमुखी दृष्टिकोण): यह राज्यों को उनकी क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियाँ बनाने के लिये सक्षम बनाता है, जिससे सहकारी संघवाद को प्रोत्साहन मिलता है।
- टीम इंडिया हब राज्यों और केंद्र के बीच एक इंटरफेस के रूप में कार्य करता है।
- रणनीतिक दृष्टि: नीति आयोग ने तीन प्रमुख दस्तावेज़ों के साथ नीति नियोजन के लिये एक संरचित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया:
- 3-वर्षीय कार्य एजेंडा (अल्पकालिक कार्यान्वयन योग्य नीतियाँ)।
- 7-वर्षीय मध्यम अवधि रणनीति-पत्र (क्षेत्रीय विकास के लिये रूपरेखा)।
- 15-वर्षीय विज़न दस्तावेज़ (स्थायी विकास के लिये दीर्घकालिक रोडमैप)।
- नवाचार और अनुसंधान एकीकरण: नीति आयोग प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और उद्यमिता में नवाचार को बढ़ावा देता है तथा भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को पहचानता है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के लिये राष्ट्रीय रणनीति जैसी पहलों के माध्यम से, यह नीति-निर्माण में अत्याधुनिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को एकीकृत करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्द्धी बना रहे।
- सतत् विकास पर फोकस: नीति आयोग भारत के विकास एजेंडे में सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को एकीकृत करने में सहायक रहा है।
- योजना आयोग (अधोमुखी दृष्टिकोण): योजना आयोग एक केंद्रीकृत, शीर्ष-से-नीचे मॉडल पर कार्य करता था, जहाँ नीतियाँ केंद्र द्वारा निर्धारित की जाती थीं, जिससे राज्यों के पास स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार नीतियों को अनुकूलित करने के सीमित अवसर होते थे।
विकासात्मक कार्यक्रमों के कार्यान्वयन पर प्रभाव
- आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम (ADP):
- नीति आयोग की प्रमुख पहलों में से एक, ADP को स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढाँचे के मामले में पिछड़े 115 ज़िलों के उत्थान के लिये वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था।
- वर्ष 2023 तक, 115 में से 89 ज़िलों ने स्वास्थ्य देखभाल, साक्षरता और गरीबी उन्मूलन जैसे प्रमुख संकेतकों में सकारात्मक प्रगति दर्ज की है।
- राज्य-विशिष्ट नीतियाँ:
- नीति आयोग ने राज्यों को अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियाँ विकसित करने के लिये एक मंच प्रदान किया है।
- उदाहरण के लिये, बिहार में, जहाँ कृषि अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख आधार है, नीति आयोग ने राज्य सरकार के सहयोग से कृषि विकास योजनाएँ शुरू की हैं, जो फसल विविधीकरण, उन्नत सिंचाई प्रणाली और ग्रामीण बुनियादी ढाँचे के सुदृढ़ीकरण पर केंद्रित हैं।
- निगरानी और मूल्यांकन:
- नीति आयोग ने विकास कार्यक्रमों की निगरानी और मूल्यांकन तंत्र को मज़बूत किया है, जिससे प्रगति पर बेहतर नज़र रखी जा सके।
- नीति आयोग द्वारा जारी कुछ सूचकांक हैं- स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक, राज्य स्वास्थ्य सूचकांक, समग्र जल प्रबंधन सूचकांक, सतत् विकास लक्ष्य सूचकांक, भारत नवाचार सूचकांक और निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक।
- वित्तीय स्वायत्तता और चुनौतियाँ:
- जहाँ योजना आयोग राज्यों को पर्याप्त वित्तीय अनुदान प्रदान करता था, वहीं नीति आयोग मुख्य रूप से एक सलाहकारी निकाय के रूप में कार्य करता है, जिसका प्रत्यक्ष वित्तीय आवंटन में कोई भूमिका नहीं होती।
निष्कर्ष:
योजना आयोग से नीति आयोग में बदलाव ने भारत की नीति-निर्माण प्रक्रिया में अधिक गतिशील, विकेंद्रीकृत और सहकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। भावी वर्षों में, नीति आयोग से अपेक्षा की जाती है कि वह भारत के विकास को अधिक समावेशी, सतत् और इसकी विविध क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप दिशा देने में अपनी भूमिका को और सशक्त करेगा।