Sambhav-2025

दिवस-31:  विश्लेषण कीजिये कि प्लेट टेक्टोनिक्स की अवधारणा भू-पर्पटी और आंतरिक संरचना की उत्पत्ति तथा विकास को समझने के लिये कैसे एक समग्र ढाँचा प्रदान करती है। (150 शब्द)

06 Jan 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • प्लेट टेक्टोनिक्स की अवधारणा और इसकी प्रासंगिकता का परिचय दीजिये।
  • समझाइये कि यह भू-पर्पटी और आंतरिक प्रक्रियाओं को किस प्रकार जोड़ता है।
  • उदाहरण सहित उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

प्लेट टेक्टोनिक्स मैकेंजी और पार्कर द्वारा प्रतिपादित एक वैज्ञानिक सिद्धांत है जो पृथ्वी की लिथोस्फेरिक प्लेटों की गति तथा परस्पर क्रिया को समझाता है। यह भू-पर्पटी और उसके अंदरूनी हिस्से में भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को समझने के लिये एक एकीकृत ढाँचा प्रदान करता है। यह सिद्धांत भूकंप, ज्वालामुखी और पर्वत निर्माण जैसी सतही घटनाओं को मेंटल संवहन और कोर से ऊष्मा स्थानांतरण जैसी गहरी प्रक्रियाओं से जोड़ता है।

मुख्य भाग:

  • एकीकृत ढाँचा:
    • प्लेट टेक्टोनिक्स विभिन्न भू-वैज्ञानिक घटनाओं, जैसे- महाद्वीपीय विस्थापन, समुद्रतल विस्तार और पर्वत निर्माण, की व्याख्या प्रदान करता है।
    • यह सतही प्रक्रियाओं (जैसे- भूकंप, ज्वालामुखी) और उपसतह मेंटल संवहन और कोर ताप गतिशीलता के बीच संबंध स्थापित करता है।
  • उत्पत्ति और विकास में भूमिका:
    • प्रमुख और लघु प्लेटें: प्रशांत प्लेट जैसी बड़ी प्लेटें नाज़का प्लेट जैसी छोटी प्लेटों के साथ परस्पर क्रिया करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न भू-वैज्ञानिक विशेषताएँ उत्पन्न होती हैं।
      • उदाहरण के लिये, प्रशांत प्लेट की उत्तरी अमेरिकी प्लेट के साथ परस्पर क्रिया से सैन एंड्रियास फॉल्ट के पास महत्त्वपूर्ण भूकंपीय गतिविधि उत्पन्न होती है।
    • महाद्वीपों और महासागरों का निर्माण: अपसारी प्लेट सीमाएँ (जैसे- मध्य-अटलांटिक रिज) महासागरीय बेसिनों का निर्माण करती हैं, जबकि अभिसारी सीमाएँ (जैसे- हिमालय) महाद्वीपीय उत्थान और पर्वत निर्माण का कारण बनती हैं।
    • सबडक्शन और पुनर्चक्रण: सबडक्शन क्षेत्रों में महासागरीय प्लेटों के अवरोहण से क्रस्टल सामग्री का पुनर्चक्रण होता है, जिससे मेंटल पिघलने और ज्वालामुखीय चापों (जैसे- एंडीज़) के निर्माण में योगदान होता है।
    • सुपरकॉन्टिनेंट चक्र: पैंजिया जैसे सुपरकॉन्टिनेंट के आवधिक संयोजन और विखंडन ने पृथ्वी के भू-वैज्ञानिक, जलवायु तथा जैविक विकास को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है।
  • पृथ्वी की आंतरिक प्रक्रियाएँ:
    • मेंटल प्लम्स, जैसे कि हवाई द्वीपों के निर्माण के लिये ज़िम्मेदार, यह दर्शाते हैं कि मेंटल से उठने वाली सामग्री किस प्रकार सतही भू-आकृतियाँ बना सकती है। पृथ्वी की आंतरिक गर्मी टेक्टोनिक प्लेटों की गति को प्रेरित करती है, जो ज्वालामुखी और भूकंपीय गतिविधियों को प्रभावित करती है।
    • उदाहरण:
      • अग्नि वलय: प्रशांत प्लेट के आस-पास ज्वालामुखीय और भूकंपीय गतिविधि टेक्टोनिक अंतर्क्रियाओं का एक प्रमुख उदाहरण है।
      • पूर्वी अफ्रीकी दरार: यह दरार एक अलग सीमा को चिह्नित करती है जहाँ अफ्रीकी महाद्वीप धीरे-धीरे विभाजित हो रहा है, जो महाद्वीपीय विखंडन की प्रक्रिया को दर्शाता है।
      • हिमालय और तिब्बती पठार: भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव से निर्मित, यह टेक्टोनिक्स तथा स्थलाकृति के बीच परस्पर क्रिया को दर्शाता है।

निष्कर्ष:

प्लेट टेक्टोनिक्स भू-पर्पटी और आंतरिक प्रक्रियाओं को जोड़ता है, जिससे ग्रह की उत्पत्ति, विकास और चल रही भू-गर्भीय गतिविधि के बारे में जानकारी मिलती है। इसके संसाधन वितरण और पर्यावरणीय प्रभावों, जैसे खनिजों का स्थानीयकरण तथा जलवायु पर ज्वालामुखी विस्फोटों के प्रभाव के लिये समकालीन निहितार्थ भी हैं।