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19 Dec 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस- 16: अकबर की प्रशासनिक और सांस्कृतिक नीतियों पर चर्चा कीजिये जिसके कारण उसे "असाधारण चरित्र वाले संप्रभु" की उपाधि मिली। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- अकबर के शासनकाल के संक्षिप्त परिचय से आरंभ कीजिये।
- अकबर की प्रमुख प्रशासनिक और सांस्कृतिक नीतियों पर चर्चा कीजिये।
- उनकी नीतियों की विरासत को स्वीकार करते हुए निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
तीसरे मुगल सम्राट अकबर ने 1556 ई. से 1605 ई. तक शासन किया और उन्हें भारत के महानतम शासकों में से एक माना जाता है। उनके शासनकाल को अक्सर उनकी प्रशासनिक और सांस्कृतिक नीतियों के कारण भारतीय इतिहास में सबसे उल्लेखनीय अवधियों में से एक माना जाता है, जिसके कारण उन्हें "असाधारण चरित्र वाले संप्रभु" की उपाधि मिली।
मुख्य भाग:
प्रशासनिक नीतियाँ
- सत्ता का केंद्रीकरण: अकबर ने एक मज़बूत नौकरशाही बनाकर प्रशासन को केंद्रीकृत किया, जिसमें दक्षता सुनिश्चित करने के लिये मनसबदारी प्रणाली भी शामिल थी।
- उदाहरण के लिये, उन्होंने सैन्य अधिकारियों को पद (मनसब) प्रदान किये, जिन्हें सेवा के बदले में भू-राजस्व दिया जाता था।
- भू-राजस्व प्रणाली: ज़ब्त प्रणाली ने भूमि माप के आधार पर कुशल भू-राजस्व संग्रह की अनुमति दी, जिसने साम्राज्य की स्थिरता में योगदान दिया।
- प्रांतीय प्रशासन: अकबर ने अपने साम्राज्य को प्रांतों (सूबों) में विभाजित किया, जिनमें से प्रत्येक पर एक सूबेदार (गवर्नर) शासन करता था। इस प्रशासनिक विभाजन ने अकबर को विशाल साम्राज्य पर अधिक प्रभावी नियंत्रण स्थापित करने और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में मदद की।
सांस्कृतिक नीतियाँ
- धार्मिक सहिष्णुता: अकबर की धार्मिक सहिष्णुता की नीति का उदाहरण राजपूत राजकुमारियों से विवाह और गैर-मुसलमानों पर जजिया कर को समाप्त करना है।
- इस्लाम, हिंदू धर्म और अन्य धर्मों के तत्त्वों को मिलाकर एक समन्वित धर्म दीन-ए-इलाही की स्थापना उनके समावेशी दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करती है।
- अकबर की सुलह-ए-कुल (सभी के साथ शांति) की नीति ने विविध परंपराओं के सह-अस्तित्व को प्रोत्साहित किया।
- कला और वास्तुकला का संरक्षण: अकबर ने मुगल कला और वास्तुकला के विकास को बढ़ावा दिया, जिसे फतेहपुर सीकरी के भव्य निर्माण एवं बसावन तथा दसवंत जैसे कलाकारों की देखरेख में मुगल लघु चित्रकला के उत्कर्ष में देखा जा सकता है।
- बुलंद दरवाज़ा और दीवान-ए-खास जैसी इमारतें फारसी मेहराबों, भारतीय छतरियों (गुंबददार मंडप) और स्थानीय परंपराओं से प्रेरित जटिल नक्काशी को दर्शाती हैं जो इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का प्रमाण है।
- साहित्यिक योगदान: रामायण, महाभारत और पंचतंत्र जैसे ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया गया, जिससे विद्वानों को भारतीय दार्शनिक तथा साहित्यिक परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिला।
- उनके दरबारी इतिहासकार अबुल फज़ल ने अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी की रचना की, जिसमें अकबर की नीतियों का दस्तावेज़ीकरण किया गया तथा फारसी गद्य को भारतीय विषय-वस्तु के साथ संश्लेषित किया गया।
निष्कर्ष
अकबर का शासन काल उनकी प्रशासनिक विशेषज्ञता, धार्मिक सहिष्णुता के प्रति प्रतिबद्धता और कलाओं के प्रति समर्थन से चिह्नित था, जिसे दूरदर्शी नीतियों द्वारा आकार दिया गया था। इन नीतियों ने न केवल एक समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से जीवंत साम्राज्य सुनिश्चित किया, बल्कि भारतीय इतिहास पर भी स्थायी प्रभाव डाला, जिसने देश के राजनीतिक तथा सांस्कृतिक परिदृश्य को लंबे समय तक प्रभावित किया।