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Sambhav-2025

  • 01 Jan 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    दिवस-27:महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को प्राप्त करने की उनकी रणनीतियों और तरीकों के बीच वैचारिक मतभेदों का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • उनके वैचारिक मतभेदों का विश्लेषण कीजिये।
    • अंत में, भारत के स्वतंत्रता संघर्ष को आकार देने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार कीजिये।

    परिचय:

    महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख नेता थे, जिन्हें अहिंसा (अहिंसा) और सविनय अवज्ञा के अपने सिद्धांतों के लिये जाना जाता था। इसके विपरीत, सुभाष चंद्र बोस ने अहिंसा को अस्वीकार कर दिया और सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से ब्रिटिश शासन का विरोध करने का समर्थन किया। भारतीय राष्ट्रवाद को प्राप्त करने पर उनकी अलग-अलग विचारधाराएँ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान विपरीत रणनीतियों, तरीकों और दर्शन को उजागर करती हैं।

    मुख्य भाग:

    उनके भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों की तुलना:

    पहलू

    महात्मा गांधी

    सुभाष चंद्र बोस

    दर्शन और दृष्टिकोण

    अहिंसा: गांधी जी का यह दृढ़ विश्वास था कि भारत की स्वतंत्रता का मार्ग केवल अहिंसक साधनों से ही प्रशस्त हो सकता है। उन्होंने नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान को अपनी रणनीति का मूल आधार बनाया।

    सशस्त्र प्रतिरोध: बोस का मानना था कि स्वतंत्रता केवल अहिंसा के माध्यम से प्राप्त नहीं की जा सकती और उन्होंने सैन्य संघर्ष का समर्थन किया।

    प्रतिरोध के तरीके

    सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा: गांधी जी के संघर्ष के साधनों में अहिंसक विरोध, सविनय अवज्ञा और ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ बहिष्कार शामिल थे।

    भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए): बोस ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से लड़ने के लिये सैन्य तरीकों और जापान जैसी बाहरी शक्तियों के साथ सहयोग का उपयोग करते हुए आईएनए का नेतृत्व किया।

    सामाजिक और राजनीतिक लक्ष्य

    सामाजिक सुधार और ग्रामीण विकास: गांधी जी के भारत के दृष्टिकोण में अछूतों (हरिजनों) का उत्थान और ग्रामीण उद्योगों तथा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना शामिल था।

    राजनीतिक एकता और सशक्त सरकार: बोस ने स्वतंत्रता के बाद एक केंद्रीकृत, सत्तावादी सरकार का समर्थन किया, जिसमें सैन्य शक्ति और राजनीतिक एकता पर ध्यान केंद्रित किया गया।

    आर्थिक दृष्टि

    स्वदेशी और आत्मनिर्भरता: 

    • स्वतंत्रता के बाद के भारत के लिये गांधी जी का दृष्टिकोण आत्मनिर्भरता, ग्रामीण विकास और विकेंद्रित अर्थव्यवस्था पर आधारित था। 
    • उन्होंने औद्योगीकरण का विरोध किया और हाथ से बुनी खादी को आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक बताया। 

    केंद्रीकृत आर्थिक योजना: 

    • बोस ने एक अधिक आधुनिक और औद्योगिक भारत की कल्पना की थी, जिसके लिये एक मज़बूत केंद्रीय सरकार, तीव्र विकास और एक शक्तिशाली सेना की आवश्यकता होगी।
    • राष्ट्रीय योजना समिति की स्थापना अक्तूबर 1938 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा की गई थी।

    नेतृत्व शैली

    समावेशी और गैर-पदानुक्रमिक: गांधी जी का नेतृत्व समावेशी था, जो अक्सर आम सहमति बनाने और गैर-पदानुक्रमिक निर्णय लेने पर ज़ोर देता था तथा समाज के सभी वर्गों की भागीदारी चाहता था।

    सत्तावादी और सैन्य अनुशासन: बोस का नेतृत्व अधिक सत्तावादी था, विशेष रूप से आई.एन.ए. के भीतर, जहाँ अनुशासन और पदानुक्रम इसकी कार्यप्रणाली के लिये महत्त्वपूर्ण थे।

    निष्कर्ष:

    महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के पास भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये दो अलग-अलग दृष्टिकोण थे। गांधी जी ने अहिंसा, जन भागीदारी और सामाजिक सुधार पर ज़ोर दिया, जबकि बोस सशस्त्र प्रतिरोध, सैन्य एकता तथा बाहरी गठबंधन में विश्वास करते थे। भले ही दोनों नेताओं के दृष्टिकोण भिन्न थे, उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान दिया। उनकी विरासत आज भी देश के राजनीतिक और सामाजिक ढाँचे को गहराई से प्रभावित करती है।

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