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23 Dec 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस-20: क्षेत्रीय शक्तियों के प्रतिरोध के बावजूद भारत में ब्रिटिशों की शक्ति को मज़बूत करने के कारणों पर चर्चा कीजिये और यह कैसे ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की स्थापना में योगदान करता है? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में ब्रिटिश एकीकरण के संदर्भ का परिचय दीजिये।
- विस्तृत उदाहरणों के साथ ब्रिटिश सफलता के पीछे प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिये।
- इन कारकों के योगदान के साथ औपनिवेशिक शासन की स्थापना पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिये।
परिचय:
मराठों, मैसूर और बंगाल जैसी शक्तिशाली क्षेत्रीय ताकतों के प्रतिरोध के बावजूद अंग्रेज़ों ने भारत में अपनी सत्ता को प्रभावी ढंग से मज़बूत किया। यह सफलता उनकी बेहतर रणनीति, सैन्य शक्ति और भारतीय राज्यों की अंतर्निहित कमज़ोरियों का फायदा उठाने की उनकी क्षमता से उपजी थी। इन कारकों ने सामूहिक रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
मुख्य भाग:
सत्ता को मज़बूत करने में ब्रिटिश सफलता के कारण
- श्रेष्ठ सैन्य प्रौद्योगिकी और संगठन:
- उन्नत हथियार: ब्रिटिश सेना आधुनिक आग्नेयास्त्रों और तोपों पर निर्भर थी, जिससे उन्हें भारतीय सेनाओं पर सामरिक बढ़त मिली।
- सैन्य अनुशासन और संरचना: नियमित वेतन और एक पेशेवर स्थायी सेना ने अंग्रेज़ों की वफादारी एवं प्रभावशीलता सुनिश्चित की, जबकि भारतीय सेनाएँ अक्सर अनियमित और किराये पर आधारित होती थीं।
- रणनीतिक नेतृत्व: रॉबर्ट क्लाइव और आर्थर वेलेस्ली जैसे ब्रिटिश नेताओं ने बेहतर योजना के माध्यम से प्लासी (1757) तथा अस्से (1803) जैसी प्रमुख लड़ाइयों में भारतीय शक्तियों को मात दी।
- प्रशासनिक एवं आर्थिक सशक्तता:
- संसाधन जुटाना: वैश्विक व्यापार राजस्व, स्थायी बंदोबस्त जैसी नीतियों के साथ मिलकर सैन्य अभियानों के लिये वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करता है।
- योग्यता आधारित शासन: ब्रिटिश अधिकारियों का चयन योग्यता के आधार पर किया जाता था, जिससे सक्षम प्रशासन और सैन्य नेतृत्व सुनिश्चित होता था।
- संस्थागत सामंजस्य: सर्वोच्च न्यायालय और कानूनी संहिताओं जैसी संस्थाओं ने भारतीय राज्यों की खंडित प्रणालियों के विपरीत एक एकीकृत प्रशासनिक ढाँचा प्रदान किया।
- भारतीय कमज़ोरियों का शोषण:
- राजनीतिक विखंडन: अंग्रेज़ों ने एकीकृत राष्ट्रीय पहचान के अभाव का फायदा उठाया और भारतीय शासकों के बीच प्रतिद्वंद्विता का फायदा उठाया।
- फूट डालो और राज करो: समान शत्रुओं के विरुद्ध हैदराबाद और अवध जैसी क्षेत्रीय शक्तियों के साथ गठबंधन ने भारतीय प्रतिरोध को कमज़ोर कर दिया।
- आंतरिक प्रतिद्वंद्विता: मराठा सरदारों के बीच आपसी लड़ाई और वंशगत विवादों ने विपक्ष को और अधिक खंडित कर दिया।
- कूटनीतिक और रणनीतिक नीतियाँ:
- सहायक संधि और व्यपगत का सिद्धांत: इन नीतियों ने प्रत्यक्ष संघर्ष के बिना विलय की अनुमति दी, जैसा कि अवध (1856) और सतारा (1848) में देखा गया।
- गठबंधनों में हेरफेर: इलाहाबाद की संधि (1765) जैसी रणनीतिक संधियों का आभास बनाए रखते हुए ब्रिटिशों ने अपने नियंत्रण को मज़बूत कर लिया।
औपनिवेशिक शासन की स्थापना
- केंद्रीकृत प्रशासन:
- एकीकरण के दौरान शुरू किया गया व्यवस्थित शासन मॉडल ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन की रीढ़ बन गया।
- रेग्युलेटिंग एक्ट (1773) और सिविल सेवाओं की स्थापना जैसे कानूनों ने नियंत्रण को संस्थागत बना दिया।
- आर्थिक शोषण:
- स्थायी बंदोबस्त और बाद में धन-हरण तंत्र जैसी नीतियों ने ब्रिटिश आर्थिक प्रभुत्व को मज़बूत किया तथा भारत के संसाधनों को ब्रिटिश औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप बना दिया।
- भारतीय व्यापार पर नियंत्रण ने यह सुनिश्चित किया कि स्थानीय अर्थव्यवस्थाएँ औपनिवेशिक हितों के अधीन रहें।
- शासन का सैन्यीकरण:
- अंग्रेज़ों ने अपनी सैन्य श्रेष्ठता का उपयोग पुलिस राज्य स्थापित करने के लिये किया तथा 1857 के विद्रोह जैसे विद्रोहों को दबा दिया।
- रणनीतिक स्थानों पर स्थापित स्थायी चौकियों ने अंग्रेज़ों का निरंतर प्रभुत्व सुनिश्चित किया।
- राजनीतिक वर्चस्व:
- हड़प नीति और सहायक गठबंधन के तहत राज्यों के विलय से क्षेत्रीय शक्तियाँ अधीनस्थ सहयोगियों या विघटित संस्थाओं में परिवर्तित हो गईं।
- इससे अंग्रेज़ों को भारत में स्वयं को एकमात्र वैध प्राधिकारी के रूप में प्रस्तुत करने का अवसर मिला।
- सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व:
- अंग्रेजों ने खुद को तकनीकी और प्रशासनिक दृष्टि से श्रेष्ठ प्रदर्शित किया तथा अपने शासन को अपरिहार्य बनाने की कहानी को बढ़ावा दिया।
निष्कर्ष:
ब्रिटिशों की सत्ता को मज़बूत करने में सफलता सैन्य, प्रशासनिक और रणनीतिक कौशल से प्राप्त हुई, जिसने भारत की विभाजित राजनीति का पूरा लाभ उठाया। इसने प्रतिरोध को दबा दिया, शासन प्रणाली स्थापित की और भारत के सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक परिदृश्य को आकार दिया, जिसकी विरासत स्वतंत्रता के बाद भी कायम रही।