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20 Nov 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस 1
प्रश्न.2 प्रस्तावना की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं जिन्हें इसके संस्थापकों ने अपनाया? (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारतीय संविधान की प्रस्तावना तथा उसके महत्त्व का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- प्रस्तावना में उल्लिखित प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये।
- यह समझाते हुए निष्कर्ष लिखिये कि प्रस्तावना इसके संस्थापकों द्वारा अपनाई गई सामूहिक दृष्टि को दर्शाती है।
परिचय:
भारत के संविधान की प्रस्तावना एक संक्षिप्त कथन है जो पंडित नेहरू द्वारा तैयार तथा संविधान सभा द्वारा अपनाए गए 'उद्देश्य प्रस्ताव' की रूपरेखा तैयार करता है। यह भारतीय संविधान के संस्थापकों के स्रोत, प्रकृति, उद्देश्यों एवं आकांक्षाओं को दर्शाता है।
मुख्य भाग:
प्रस्तावना की मुख्य विशेषताएँ जिन्हें इसके संस्थापकों ने अपनाया, उनमें शामिल हैं:
- संप्रभु: "संप्रभु" शब्द भारत की पूर्ण स्वतंत्रता एवं विदेशी प्रभुत्व से मुक्ति को दर्शाता है।
- लोकतांत्रिक: यह जनता की, जनता द्वारा और जनता के लिये सरकार के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। इसमें समता का अधिकार (अनुच्छेद 14), भाषण की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19), मतदान का अधिकार (अनुच्छेद 326) शामिल हैं।
- गणतंत्र: यह इंगित करता है कि भारत सरकार की एक प्रतिनिधि प्रणाली वाला देश है, जहाँ वंशानुगत राजशाही के बजाय राज्य का प्रमुख चुना जाता है।
- न्याय: इसका उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय के विचारों का पालन करके एक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज की स्थापना करना है।
- स्वतंत्रता: यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं मूल अधिकारों की सुरक्षा पर ज़ोर देती है। संविधान के संस्थापकों ने सभी नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा करने की मांग की।
- समानता: यह जाति, पंथ, लिंग या आर्थिक स्थिति के बावजूद समान अवसर सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालती है।
- भाईचारा: यह भारत के विविध लोगों के बीच भाईचारे और एकता की भावना का प्रतीक है।
1976 में 42वें संशोधन द्वारा शामिल की गई मुख्य विशेषताएँ:
- समाजवादी: "समाजवादी" शब्द सामाजिक न्याय, समानता एवं लोगों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
- पंथनिरपेक्ष: शब्द "पंथनिरपेक्ष" धार्मिक तटस्थता बनाए रखने तथा राज्य से धर्म को पृथक करने के महत्त्व पर ज़ोर देता है।
- अखंडता: यह देश के भीतर क्षेत्रों, भाषाओं एवं संस्कृतियों की समृद्ध विविधता को स्वीकार करते हुए, भारत की एकता एवं क्षेत्रीय अखंडता को संरक्षित करने के समर्पण को रेखांकित करता है।
निष्कर्ष:
संविधान सभा की प्रारूप समिति के एक प्रमुख सदस्य के.एम. मुंशी ने प्रस्तावना को 'हमारे संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के भविष्यफल' के रूप में उचित माना है। यह प्रस्तावना संस्थापकों की सामूहिक दृष्टि के सकारात्मक प्रतिनिधित्व के रूप में कार्य करती है जो उन मूल्यों एवं सिद्धांतों का निरंतर स्मरण कराती है जो राष्ट्र को आकार देते हैं और एक उज्ज्वल भविष्य की ओर राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करते हैं।