Sambhav-2024

दिवस 15

प्रश्न.2 संविधान की छठी अनुसूची की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? इसमें अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र के प्रशासन तथा कल्याण के संबंध में क्या प्रावधान हैं?(150 शब्द)

06 Dec 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • संविधान की छठी अनुसूची के महत्त्व को बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • छठी अनुसूची की मुख्य विशेषताओं पर चर्चा कीजिये।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में चार पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन तथा कल्याण से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।

मुख्य भाग:

छठी अनुसूची की मुख्य विशेषताएँ:

  • इसमें इन राज्यों में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिये स्वायत्त ज़िला परिषदों (ADCs) और क्षेत्रीय परिषदों (RCs) के निर्माण का प्रावधान है।
  • ADCs और RCs के पास भूमि, जंगल, नहर का जल, ग्राम प्रशासन, संपत्ति की विरासत, विवाह और तलाक, सामाजिक रीति-रिवाज़ों आदि जैसे कुछ निर्दिष्ट मामलों पर विधायी, कार्यकारी, न्यायिक और वित्तीय शक्तियाँ हैं।
  • ADCs और RCs राज्य के राज्यपाल की सहमति से इन मामलों पर कानून बना सकते हैं। वे भूमि, भवन, व्यापार, व्यवसायों, टोल आदि पर भी कर लगा और एकत्र कर सकते हैं।
  • ADCs और RCs जनजातियों के बीच मुकदमों और मामलों की सुनवाई के लिये ग्राम परिषदों या न्यायालयों का गठन कर सकते हैं। वे इन परिषदों या अदालतों से अपील भी सुन सकते हैं। इन मुकदमों और मामलों पर उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है।
  • संसद या राज्य विधानमंडल के अधिनियम स्वायत्त ज़िलों और क्षेत्रों पर लागू नहीं होते हैं या निर्दिष्ट संशोधनों और अपवादों के साथ लागू होते हैं। राज्यपाल स्वायत्त ज़िलों या क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित किसी भी मामले की जाँच और रिपोर्ट करने के लिये एक आयोग नियुक्त कर सकता है।
  • राज्यपाल के पास स्वायत्त ज़िलों और क्षेत्रों को संगठित तथा पुनर्गठित करने की शक्ति है। वह नए स्वायत्त ज़िले या क्षेत्र भी बना सकता है या किसी मौजूदा स्वायत्त ज़िले या क्षेत्र का नाम या क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार बदल सकता है।

छठी अनुसूची में निम्नलिखित तरीकों से अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र के प्रशासन और कल्याण से संबंधित प्रावधान शामिल हैं:

  • छठी अनुसूची को इन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के विशिष्ट सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक हितों की रक्षा के लिये बनाया गया था।
  • छठी अनुसूची के प्रावधानों का उद्देश्य भारतीय संविधान के ढाँचे के तहत इन आदिवासी क्षेत्रों को काफी हद तक स्वायत्तता प्रदान करना है।
  • इसने उन्हें अपने स्वयं के मामलों का प्रबंधन करने, अपनी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने और अपनी विकास आकांक्षाओं को प्रदर्शित करने का एक मंच मिला है।

निष्कर्ष:

छठी अनुसूची के तहत अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों को काफी स्वायत्तता प्रदान की गई है, जो ज़िला और क्षेत्रीय परिषदों के माध्यम से स्थानीय स्वशासन को सक्षम बनाती है। इसका उद्देश्य आदिवासी अधिकारों, हितों और संस्कृति की रक्षा करना, उनकी विशिष्ट पहचान को संरक्षित करना तथा बाहरी लोगों द्वारा होने वाले इनके शोषण को रोकना है।