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06 Dec 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस 15
प्रश्न.1 भारत में केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) के निर्माण एवं विकास के पीछे के तर्क का विश्लेषण कीजिये। प्रशासन और शासन की दृष्टि से ये सामान्य राज्यों से किस प्रकार भिन्न हैं? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) की संक्षिप्त परिभाषा देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- उन कारकों पर चर्चा कीजिये जिनके कारण केंद्रशासित प्रदेशों का निर्माण हुआ तथा बताइये कि वे प्रशासन और शासन के मामले में राज्यों से किस प्रकार भिन्न हैं।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत के केंद्रशासित प्रदेश (UTs) ऐसे प्रशासनिक प्रभाग हैं जो प्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार द्वारा शासित होते हैं। यह व्यवस्था उन राज्यों के विपरीत है जिनकी अपनी निर्वाचित सरकारें होती हैं। केंद्रशासित प्रदेश विभिन्न ऐतिहासिक, राजनीतिक और भौगोलिक कारणों से बनाए गए थे।
मुख्य भाग:
केंद्रशासित प्रदेशों के विकास हेतु ज़िम्मेदार कारक:
- राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण: दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे कुछ क्षेत्रों को क्रमशः राष्ट्रीय राजधानी और दो राज्यों की संयुक्त राजधानी का प्रभावी प्रशासन और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये केंद्रशासित प्रदेशों का दर्जा दिया गया था।
- सांस्कृतिक विशिष्टता: कुछ क्षेत्र, जैसे– पुदुचेरी, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव, फ्राँस एवं पुर्तगाल के पूर्व उपनिवेश थे जिनका उनकी स्वतंत्रता के बाद भारत में विलय किया गया था। उनकी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करने के लिये उन्हें केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया।
- इसी तरह अधिक स्वायत्तता और विकास के क्रम में बौद्ध बहुसंख्यक आबादी की मांगों को संबोधित करने के लिये वर्ष 2019 में लद्दाख को जम्मू और कश्मीर से अलग किया गया था।
- सामरिक महत्त्व: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा तथा क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिये कुछ क्षेत्रों जैसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था। ये द्वीप हिंद महासागर और अरब सागर में स्थित हैं तथा भारत के समुद्री एवं रक्षा हितों के लिये रणनीतिक महत्त्व रखते हैं।
- इसी तरह सीमा पार आतंकवाद से उत्पन्न आंतरिक सुरक्षा स्थिति को देखते हुए, जम्मू और कश्मीर को UT का दर्जा दिया गया था।
- पिछड़े और आदिवासी लोगों को अधिक प्राथमिकता: कुछ क्षेत्रों, जैसे– मिज़ोरम, मणिपुर, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश को शुरू में केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था ताकि वहाँ रहने वाले पिछड़े एवं आदिवासी लोगों के विकास तथा कल्याण पर विशेष ध्यान दिया जा सके और इन्हें सहायता प्रदान की जा सके। बाद में एक निश्चित स्तर की आर्थिक और सामाजिक प्रगति हासिल करने के बाद इन्हें राज्य का दर्जा दिया गया।
केंद्र शासित प्रदेश निम्नलिखित तरीकों से प्रशासन और शासन के मामले में राज्यों से भिन्न हैं:
राज्य केंद्रशासित प्रदेश केंद्र के साथ इनका संबंध संघीय होता है। केंद्र के साथ इनका संबंध एकात्मक होता है। केंद्र के साथ इनका शक्तियों का पृथक्करण होता है। ये केंद्र के साथ शक्तियों को साझा करते हैं। इन्हें स्वायत्तता होती है। इन्हें स्वायत्तता नहीं होती है। इनके कार्यकारी प्रमुख को राज्यपाल कहा जाता है। उनके कार्यकारी प्रमुख को विभिन्न पदनामों से जाना जाता है - प्रशासक या लेफ्टिनेंट गवर्नर या मुख्य आयुक्त। राज्यपाल, राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है। प्रशासक, राष्ट्रपति का एजेंट होता है। असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर संसद राज्यों के संबंध में राज्य सूची के विषयों पर कानून नहीं बना सकती है। संसद, केंद्रशासित प्रदेशों के संबंधों को छोड़कर राज्यों के संबंध में तीन सूचियों (राज्य सूची) में से किसी भी विषय पर कानून बना सकती है। निष्कर्ष:
भारत में केंद्रशासित प्रदेशों का विकास विविध ऐतिहासिक, रणनीतिक और प्रशासनिक चुनौतियों से निपटने के लिये शासन के व्यावहारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। केंद्रशासित प्रदेश की राज्यों से कुछ समानताएँ हैं लेकिन इनकी अनूठी विशेषताएँ, शासन संरचनाएँ और केंद्र सरकार के साथ संबंध, इन्हें भारत के प्रशासनिक ढाँचे के तहत एक अलग श्रेणी के रूप में वर्गीकृत करते हैं।