-
09 Mar 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 3
विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दिवस- 96
प्रश्न 1. समसामयिक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में वन हेल्थ अवधारणा के महत्त्व की व्याख्या कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- वन हेल्थ अवधारणा का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में वन हेल्थ अवधारणा के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
वन हेल्थ अवधारणा एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण है जिसके तहत मानव, पशु एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य के अंतर्संबंध को महत्त्व दिया जाता है। इससे इस बात को बल मिलता है कि ये तीन पहलू अंतर्संबंधित हैं। इसका तात्पर्य है कि लोक स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा एवं पर्यावरण विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्र अंतर्संबंधित होने से सभी स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान में निर्णायक हैं। वन हेल्थ ज़ूनोटिक रोगों (ऐसी बीमारियाँ जो जानवरों एवं मनुष्यों के बीच फैल सकती हैं) और रोगाणुरोधी प्रतिरोध जैसे मुद्दों के लिये विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
मुख्य भाग:
वन हेल्थ अवधारणा कुछ प्रमुख कारणों से वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में निर्णायक है:
- अंतर्संबंध: वन हेल्थ दृष्टिकोण के तहत यह माना जाता है कि मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य एवं पर्यावरण जटिल रूप से अंतर्संबंधित हैं। विभिन्न बीमारियाँ इन प्रजातियों के बीच प्रसारित हो सकती हैं तथा प्रदूषण हर किसी को प्रभावित करता है और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र से लोगों एवं जानवरों का स्वास्थ्य बेहतर होता है। एकीकृत दृष्टिकोण अपनाकर हम इन समस्याओं के मूल कारणों को अधिक प्रभावी ढंग से हल कर सकते हैं।
- ज़ूनोज़: ये बीमारियाँ जानवरों एवं मनुष्यों के बीच फैलती हैं। वन हेल्थ पशु चिकित्सकों एवं लोक स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देता है। जानवरों में बीमारियों का शीघ्र पता लगाना (जैसे संभावित SARS जैसे वायरस के लिये चमगादड़ों की निगरानी करना), भविष्य में मानव में इनके प्रकोप को रोक सकता है।
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR): जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग से प्रतिरोधी बैक्टीरिया बनता है जिससे फिर मनुष्य संक्रमित हो सकते हैं। वन हेल्थ के तहत सभी क्षेत्रों में ज़िम्मेदार एंटीबायोटिक उपयोग को प्रोत्साहन मिलता है। उदाहरण के लिये, यूरोप में वन हेल्थ दृष्टिकोण के तहत पालतू पशुओं में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को कम कर दिया गया, जिससे मनुष्यों में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी संक्रमण के स्तर में गिरावट आई।
- खाद्य जनित बीमारी: दूषित भोजन से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा होता है। वन हेल्थ दृष्टिकोण किसानों, पशु चिकित्सकों एवं खाद्य सुरक्षा निरीक्षकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। पशु स्वास्थ्य की निगरानी एवं संपूर्ण आपूर्ति शृंखला में कठोर खाद्य सुरक्षा प्रथाओं को लागू करके, दूषित सब्जियों से होने वाले ई. कोलाई जैसे प्रकोप को रोका जा सकता है।
- वेक्टर-जनित रोग: जलवायु परिवर्तन के कारण मच्छरों और किलनी जैसे कीटों से फैलने वाली बीमारियाँ बढ़ रही हैं। वन हेल्थ दृष्टिकोण में पारंपरिक मच्छर नियंत्रण विधियों के साथ-साथ पर्यावरणीय कारकों पर विचार करते हुए एकीकृत कीट प्रबंधन को प्रोत्साहन दिया जाता है। यह बहुआयामी दृष्टिकोण मलेरिया एवं लाइम रोग जैसी बीमारियों के प्रसार को कम करने में अधिक प्रभावी हो सकता है।
निष्कर्ष:
वन हेल्थ अवधारणा जटिल लग सकती है लेकिन यह इस आधार पर निर्णायक है कि मनुष्यों, जानवरों एवं पर्यावरण के बीच अटूट अंतर्संबंध होता है। इनके बीच सहयोग को बढ़ावा देकर, वन हेल्थ दृष्टिकोण हमें वैश्विक स्वास्थ्य खतरों के खिलाफ अधिक व्यापक बचाव हेतु उपकरणों से लैस बनाता है। यह आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य एवं कल्याण की रक्षा करने की क्षमता वाला एक शक्तिशाली दृष्टिकोण है।