प्रश्न 2. भारत में कुपोषण को दूर करने की रणनीति के रूप में चावल फोर्टिफिकेशन की अवधारणा पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
09 Mar 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- चावल फोर्टिफिकेशन के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- कुपोषण को दूर करने की रणनीति के रूप में चावल के सुदृढ़ीकरण के महत्त्व का उल्लेख कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
चावल फोर्टिफिकेशन का आशय चावल को आवश्यक विटामिन और खनिजों से लेस करने की एक प्रक्रिया है। इससे चावल के पोषण मूल्य में सुधार होता है, जो विश्व भर में लोगों का मुख्य भोजन है। इसमें शामिल किये जाने वाले सामान्य पोषक तत्त्वों के रूप में आयरन, फोलिक एसिड एवं विटामिन B12 शामिल हैं। भारत में (जहाँ चावल आहार में प्रमुख है), कुपोषण के खिलाफ फोर्टिफिकेशन को एक संभावित उपकरण के रूप में देखा जाता है।
सरकार ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति के लिये चावल फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम शुरू किया है।
मुख्य भाग:
भारत में कुपोषण की व्यापकता:
वर्ष 2019 और 2021 के बीच किये गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (NFHS-5) में NFHS-4 की तुलना में भारत में बाल पोषण संकेतकों में कुछ सुधार देखा गया। हालाँकि कुपोषण एक बड़ी चिंता बनी हुई है।
- स्टंटिंग: पाँच वर्ष से कम उम्र के 35.5% बच्चे स्टंटिंगके शिकार हैं, जिसका तात्पर्य है कि उनकी लंबाई उनकी उम्र के हिसाब से कम है।
- वेस्टिंग: पाँच वर्ष से कम उम्र के 19.3% बच्चे वेस्टिंग के शिकार हैं, जो दर्शाता है कि उनका वज़न उनकी लंबाई के हिसाब से कम है।
- कम वजन: पाँच वर्ष से कम उम्र के 32.1% बच्चे कम वज़न वाले हैं।
चावल का फोर्टिफिकेशन निम्नलिखित कारणों से कुपोषण को रोकने में सहायक हो सकता है:
- बड़ी आबादी तक पहुँच: चावल विश्व भर (खासकर विकासशील देशों में) के अरबों लोगों के लिये मुख्य भोजन है। चावल के फोर्टिफिकेशन से यह सुनिश्चित होता है कि इतनी बड़ी आबादी को आवश्यक पोषक तत्त्व मिल सकें अन्यथा उनके आहार में पोषक तत्त्वों की कमी हो सकती है।
- उदाहरण: आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया एक व्यापक स्वास्थ्य चिंता (खासकर महिलाओं और बच्चों में) का विषय है। एनीमिया दर को कम करने के लिये चावल को आयरन से फोर्टिफाइड करना एक प्रभावी तरीका सिद्ध हुआ है।
- भारत में किये गए अध्ययनों से पता चला है कि इस चावल को नियमित रूप से खाने वाले लोगों में आयरन के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
- लागत प्रभावी: चावल में आवश्यक विटामिन और खनिज शामिल करना सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार का एक उल्लेखनीय एवं सस्ता तरीका है।
- उदाहरण के लिये, भारत के चावल फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम पर खाद्य सब्सिडी बजट का केवल 1% खर्च होने का अनुमान है। इससे न्यूनतम लागत पर महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होगा।
- सुलभ आहार: फोर्टिफाइड चावल देखने, पकने और स्वाद में साधारण चावल की तरह ही है। इसके लिये आहार संबंधी आदतों में कोई बदलाव की आवश्यकता नहीं होती है। यह इसे अत्यधिक स्वीकार्य और टिकाऊ बनाता है।
- उदाहरण के लिये, इससे चावल को पसंद करने वाले परिवारों को अपने व्यंजनों को बदलने या खाना पकाने की नई तकनीक सीखने की ज़रूरत नहीं होगी। वे आसानी से फोर्टिफाइड चावल को अपना सकते हैं तथा बेहतर पोषक तत्त्वों के साथ अपने पसंदीदा भोजन का आनंद लेना जारी रख सकते हैं। मौजूदा आहार प्रतिरूप में यह एकीकरण चावल फोर्टिफिकेशन कार्यक्रमों की दीर्घकालिक सफलता का एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
निष्कर्ष:
कुपोषण के खिलाफ संघर्ष में चावल फोर्टिफिकेशन एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरा है। मुख्य भोजन के रूप में बड़ी आबादी तक पहुँच, लागत प्रभावी और मौजूदा आहार आदतों में सहजता से एकीकृत होने के कारण इसकी प्रभावशीलता निर्णायक है। चावल को आवश्यक विटामिन और खनिजों से फोर्टिफाइड करके, इसमें विश्व भर के अरबों लोगों के स्वास्थ्य एवं कल्याण में सुधार करने की क्षमता है।