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06 Mar 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 1
भूगोल
दिवस 93
Q1. ट्रांसजेनिक और सिसजेनिक जीवों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि एवं मानव स्वास्थ्य पर जीन एडिटिंग के प्रभावों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- उत्तर की शुरुआत परिचय के साथ कीजिये, जो प्रश्न के लिये एक संदर्भ निर्धारित करता है।
- कृषि और मानव स्वास्थ्य पर जीन संपादन के प्रभावों को बताइये।
- ट्रांसजेनिक और सिसजेनिक जीवों पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्याख्या कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
जीन एडिटिंग, विशेष रूप से CRISPR-Cas9 जैसी तकनीकों के माध्यम से, ने कृषि में क्रांति ला दी है और मानव स्वास्थ्य के लिये इसमें अपार संभावनाएँ हैं। यह तकनीक किसी जीव की आनुवंशिक सामग्री के सटीक संशोधन की अनुमति देती है, जो कृषि और मानव स्वास्थ्य दोनों में विभिन्न चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करती है।
मुख्य भाग:
कृषि उत्पादकता बढ़ाने वाले ट्रांसजेनिक जीव:
- बढ़ी हुई उपज:
- ट्रांसजेनिक फसलों को कीटों, बीमारियों और शाकनाशियों के प्रति प्रतिरोधी बनाने के लिये तैयार किया जाता है, जिससे फसल की उपज अधिक होती है।
- Bt कॉटन, जो बॉलवॉर्म के लिये विषैला प्रोटीन उत्पन्न करती है, ने भारत में कपास की उपज में वृद्धि की है।
- अध्ययनों से पता चलता है, कि आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) तकनीक के कारण फसल की उपज में औसतन 21-22% की वृद्धि होती है।
- बेहतर पोषण सामग्री:
- आनुवंशिक संशोधन कुपोषण को दूर करते हुए फसलों के पोषण मूल्य को बढ़ा सकता है।
- बीटा-कैरोटीन का उत्पादन करने के लिये निर्मित गोल्डन राइस विकासशील देशों में विटामिन A की कमी को पूरा करता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव में कमी:
- ट्रांसजेनिक फसलें रासायनिक कीटनाशकों और शाकनाशियों की आवश्यकता को कम कर सकती हैं, जिससे पर्यावरण को लाभ होगा। शाकनाशी-सहिष्णु फसलें पर्यावरण की दृष्टि से हानिकारक शाकनाशी के उपयोग को कम करती हैं।
सुरक्षित और सतत् विकल्प के रूप में सिसजेनिक जीव:
- स्थिरता वृद्धि:
- सिसजेनिक फसलें यौन अनुकूल जीवों के जीन का उपयोग करके विकसित की जाती हैं, जो आनुवंशिक अनुकूलता सुनिश्चित करती हैं और अनपेक्षित प्रभावों के जोखिम को कम करती हैं।
- सिसजेनिक आलू को एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन का उपयोग किये बिना तुषार प्रतिरोध के लिये तैयार किया गया है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता:
- सिसजेनिक फसलों को रोग प्रतिरोधक क्षमता, फसल के नुकसान को कम करने और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिये तैयार किया जा सकता है।
- पनामा रोग के प्रतिरोधी आनुवंशिक रूप से संशोधित केले, जो विश्व भर में केले की फसलों के लिये खतरा है, एक कवक रोग है, जिसे बढ़ावा दिया जा रहा है।
- उपभोक्ता स्वीकृति:
- आनुवंशिक संशोधन के उपयोग के बारे में चिंतित उपभोक्ताओं द्वारा सिसजेनिक फसलों को अधिक आसानी से स्वीकार किया जा सकता है।
- नॉन ब्राउनिंग गुणों के लिये तैयार किये गए सिसजेनिक सेब की उपभोक्ता स्वीकृति को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- आहार संबंधी लाभ:
- जीन एडिटिंग फसलों की पोषण सामग्री को बढ़ा सकता है, कमियों को दूर कर सकता है और मानव स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
- फोर्टिफाइड फसलें आहार में कमी वाले आवश्यक पोषक तत्त्व प्रदान कर सकती हैं, जैसे कि आयरन, ज़िंक और फोलिक एसिड की खुराक आदि। आहार में पोषक तत्त्वों की कमी को दूर करने के लिये चावल, गेहूँ एवं मक्का की बायोफोर्टिफाइड किस्में विकसित की गई हैं।
- उदाहरण के लिये, "गोल्डन राइस" एक आनुवंशिक रूप से संशोधित चावल की किस्म है जो बीटा-कैरोटीन से समृद्ध है, जो विटामिन A का अग्रदूत है। इस नवाचार का उद्देश्य विटामिन A की कमी से निपटना है, जो कई विकासशील देशों में अंधापन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का एक प्रमुख कारण है, जहाँ चावल एक मुख्य भोजन है।
- रोग प्रतिरोध:
- जीन एडिटिंग, दोषपूर्ण जीन को ठीक करके या प्रतिस्थापित करके, सिकल सेल एनीमिया जैसी आनुवंशिक बीमारियों के लिये संभावित उपचार प्रदान करता है।
- आनुवंशिक दोषों को ठीक करने के लिये मानव भ्रूण के DNA को संपादित करने के लिये CRISPR-Cas9 तकनीक का उपयोग किया गया है।
- रोग निवारण में जीन एडिटिंग:
- चिकित्सीय अनुप्रयोगों से परे, जीन एडिटिंग को लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से रोग की रोकथाम के लिये भी नियोजित किया जा सकता है और HIV या मलेरिया जैसे संक्रामक रोगों के प्रति प्रतिरोध प्रदान करने के लिये प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संपादित करना।
नैतिक प्रतिपूर्ति:
- जीन एडिटिंग नैतिक प्रश्न उठाता है, विशेष रूप से जर्मलाइन एडिटिंग और डिज़ाइनर शिशुओं की क्षमता के संबंध में।
- हे जियानकुई का मामला, जिसने जुड़वाँ बच्चों के जीन को संपादित करके उन्हें HIV के प्रति प्रतिरोधी बनाने का दावा किया था, ने अंतर्राष्ट्रीय विवाद को जन्म दिया।
निष्कर्ष:
ट्रांसजेनिक और सिसजेनिक दोनों दृष्टिकोणों के माध्यम से जीन एडिटिंग ने उत्पादकता, स्थिरता एवं पोषण मूल्य को बढ़ाकर कृषि में क्रांति ला दी है। इसके अतिरिक्त, यह आनुवांशिक बीमारियों के इलाज तथा मानव स्वास्थ्य में सुधार के लिये आशाजनक संभावनाएँ प्रदान करता है। हालाँकि इस शक्तिशाली प्रौद्योगिकी के ज़िम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये सावधानीपूर्वक विनियमन और नैतिक विचार आवश्यक हैं।