Sambhav-2024

दिवस 91

Q2. पर्यावरण संरक्षण में विभिन्न संस्थानों एवं उपायों की भूमिका को उदाहरण सहित बताते हुए सतत् विकास पर इनके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

04 Mar 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | पर्यावरण

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • पर्यावरण संरक्षण का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • पर्यावरण संरक्षण में संस्थानों की भूमिका और उपायों को बताइये।
  • सतत् विकास पर संस्थानों के प्रभाव पर प्रकाश डालिये।
  • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

संस्थाएँ और उपाय पर्यावरण संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से सतत् विकास को प्रभावित करते हैं। ये तंत्र प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और पर्यावरणीय क्षरण को कम करने के लिये रूपरेखा, दिशानिर्देश एवं प्रवर्तन रणनीतियाँ स्थापित करते हैं।

मुख्य भाग:

पर्यावरण संरक्षण के लिये संस्थाएँ:

  • सरकारी एजेंसियाँ: अमेरिका में EPA (पर्यावरण संरक्षण एजेंसी) तथा भारत में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय जैसी एजेंसियाँ पर्यावरण संरक्षण के लिये नीतियाँ और नियम बनाती हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठन: संगठन पर्यावरणीय मुद्दों के लिये वैश्विक रूपरेखा और मूल्यांकन प्रदान करते हैं।
    • यूएनईपी (संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम): वैश्विक पर्यावरण गतिविधियों का समन्वय करता है, सतत् विकास को बढ़ावा देता है और पर्यावरण नीतियों को लागू करने में देशों की सहायता करता है।
    • UNFCCC (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन): इसका उद्देश्य वातावरण में ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को स्थिर करना, जलवायु प्रणाली में खतरनाक मानवीय हस्तक्षेप को रोकना है।
  • गैर-सरकारी संगठन: गैर-सरकारी संगठन पर्यावरण संरक्षण का समर्थन करने और संरक्षण परियोजनाओं को लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • WWF (वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर): लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण, आवासों की सुरक्षा और सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देने पर काम करता है।
    • ग्रीनपीस: जलवायु परिवर्तन, वनाच्छादन और प्रदूषण पर अपने अभियानों, नीतिगत बदलावों एवं सतत् समाधानों के समर्थन के लिये जाना जाता है।
    • TERI (द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट): सतत् विकास, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करता है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय:

  • विधान: वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1986 जैसे कानून पर्यावरण संरक्षण के लिये कानूनी ढाँचा स्थापित करते हैं।
  • विनियम: विनियम उत्सर्जन, अपशिष्ट निपटान और संसाधन निष्कर्षण के लिये मानक निर्धारित करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि उद्योग पर्यावरणीय रूप से सतत् सीमाओं के भीतर काम करते हैं।
  • प्रोत्साहन: कार्बन मूल्य निर्धारण और नवीकरणीय ऊर्जा के लिये सब्सिडी जैसे आर्थिक उपकरण पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं।
  • तकनीकी नवाचार: इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर ऊर्जा समाधानों में टेस्ला की प्रगति स्थिरता में तकनीकी योगदान का उदाहरण है।
  • जागरूकता और शिक्षा: अर्थ आवर जैसे अभियान ऊर्जा संरक्षण को प्रोत्साहित करते हैं, जबकि शैक्षिक पहल स्थायी जीवन शैली और प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के उदाहरण:

  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: प्रोटोकॉल ने पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करते हुए, ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया है।
  • चिपको आंदोलन: भारत में शुरू हुए इस आंदोलन में लोग पेड़ों की कटाई को रोकने के लिये उन्हें गले लगाते थे, जो पर्यावरण संरक्षण के लिये ज़मीनी स्तर की सक्रियता को उजागर करता था।
  • कोस्टा रिका का पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये भुगतान (PES): यह कार्यक्रम भूमि मालिकों को वनों के संरक्षण के लिये भुगतान करता है, जिससे वन क्षेत्र और जैवविविधता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
  • ग्रेट बैरियर रीफ मरीन पार्क, ऑस्ट्रेलिया: पर्यटन और मत्स्याग्रहण गतिविधियों के साथ संरक्षण को संतुलित करते हुए, स्थायी उपयोग हेतु प्रबंधित किया गया है।

सतत् विकास पर प्रभाव:

  • आर्थिक लाभ: संरक्षण उपायों से हरित रोज़गार, सतत् पर्यटन और उन्नत पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का निर्माण हो सकता है, जो आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है।
  • सामाजिक लाभ: पर्यावरण संरक्षण प्रदूषण को कम करके और स्वच्छ जल एवं वायु प्रदान करके सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है।
    • उदाहरण के लिये, हरित जलवायु कोष जैसी पहल का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकासशील देशों का समर्थन करना है।
  • पर्यावरणीय लाभ: संरक्षण प्रयास जैवविविधता को संरक्षित करने, पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करते हैं, जिससे भावी पीढ़ियों के लिये एक स्थायी वातावरण सुनिश्चित होता है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन: उदाहरण के लिये, मैंग्रोव वनों को संरक्षित करने से न केवल जैवविविधता की रक्षा होती है, बल्कि तटीय अपरदन भी कम होता है और तूफानों से बचाव होता है, जिससे समुदायों की आजीविका की सुरक्षा होती है।

निष्कर्ष:

सतत् विकास के लिये पर्यावरण संरक्षण हेतु संस्थाएँ और उपाय आवश्यक हैं। प्रभावी शासन, विनियमों एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से, ये तंत्र पर्यावरणीय गिरावट को कम कर सकते हैं तथा सभी के लिये एक स्वस्थ ग्रह को बढ़ावा दे सकते हैं।