Sambhav-2024

दिवस 90

प्रश्न 2. ओज़ोन क्षरण को कम करने के साथ ओज़ोन परत के संरक्षण में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जैसी वैश्विक पहलों की प्रभावशीलता का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

02 Mar 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | पर्यावरण

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का संक्षिप्त परिचय लिखिये।
  • ओज़ोन क्षय को कम करने और ओज़ोन परत को बहाल करने में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के सफल कार्यान्वयन के बाद बनी रहने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
  • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल अब तक लागू किये गए सबसे सफल वैश्विक पर्यावरण समझौतों में से एक है, जिसे विशेष रूप से ओज़ोन रिक्तीकरण के मुद्दे को संबोधित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। वर्ष 1987 में अधिनियमित इस प्रोटोकॉल का उद्देश्य क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) और हेलोन जैसे- ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थों (ODS) के उत्पादन एवं उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना था।

मुख्य भाग:

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल निम्नलिखित तरीकों से प्रभावी रहा है:

  • ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थों में कमी: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ODS के उत्पादन और खपत को कम करने में अत्यधिक प्रभावी रहा है। जो देश प्रोटोकॉल के पक्षकार हैं, उन्होंने इन पदार्थों के उपयोग में काफी कमी कर दी है, जिससे उनकी वायुमंडलीय सांद्रता में काफी गिरावट आई है।
    • ODS के उपयोग पर अंकुश लगाकर, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ने जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध संघर्ष में अप्रत्याशित लाभ प्रदान किया है, जिससे वर्ष 2100 तक अनुमानित 0.5 से 1 डिग्री सेल्सियस की अतिरिक्त वृद्धि को रोका जा सका है।
  • ओज़ोन परत की पुनर्प्राप्ति: टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत लागू किये गए उपायों ने ओज़ोन परत के स्थिरीकरण और आंशिक पुनर्प्राप्ति में योगदान दिया है। जबकि पूर्ण रूप से ठीक होने में कई दशक लगने की उम्मीद है, प्रोटोकॉल की त्वरित कार्रवाई ने अग्रिम चुनौतियों को रोक दिया है और ओज़ोन परत के क्रमिक उपचार की अनुमति दी है।
    • परिणामस्वरूप, प्रोटोकॉल के कारण वर्ष 1990 के स्तर की तुलना में वैश्विक स्तर पर 98% की चरणबद्ध समाप्ति के साथ ओज़ोन -क्षयकारी पदार्थों (ODS) में उल्लेखनीय कमी आई है।
  • वैज्ञानिक निगरानी और मूल्यांकन: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ने ओज़ोन रिक्तीकरण और पुनर्प्राप्ति के वैज्ञानिक अनुसंधान, निगरानी एवं मूल्यांकन के लिये तंत्र स्थापित किया। चल रही वैज्ञानिक जाँच ने ओज़ोन परत की स्थिति में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की है, जिससे नीति निर्माताओं को सूचित निर्णय लेने और आवश्यकतानुसार रणनीतियों को अपनाने में मदद मिली है।
  • तकनीकी नवाचार: प्रोटोकॉल ने महत्त्वपूर्ण तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दिया है, जिससे वैकल्पिक पदार्थों और प्रौद्योगिकियों के विकास एवं अपनाने को बढ़ावा मिला है जो ओज़ोन के अनुकूल हैं।
    • उदाहरण के लिये, उद्योगों ने CFC और हेलोन के विकल्प के रूप में हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC) एवं हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिनमें ओज़ोन-क्षयकारी क्षमता बहुत कम है।
  • वैश्विक सहयोग: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जटिल पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करता है। संधि ने लगभग सार्वभौमिक अनुसमर्थन हासिल कर लिया है, लगभग सभी देश इसके उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। प्रोटोकॉल के प्रावधानों को लागू करने में वैश्विक सहयोग का यह स्तर महत्त्वपूर्ण रहा है।

इसकी उल्लेखनीय सफलता के बावजूद, ओज़ोन रिक्तीकरण को पूर्ण रूप से संबोधित करने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  • चरणबद्ध अनुपालन: कई देशों ने ODS को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, प्रोटोकॉल का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करना एक चुनौती बनी हुई है। कुछ देशों विशेष रूप से विकासशील देशों को आर्थिक बाधाओं या विकल्पों तक पहुँच की कमी के कारण ODS से दूर जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • उभरते ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थ: ODS की चरणबद्ध समाप्ति के बावजूद, ओज़ोन-क्षयकारी क्षमता वाले नवीन पदार्थ का उभरना जारी हैं। प्रोटोकॉल को इन नई चुनौतियों का समाधान करने और उभरते ODS के उपयोग को प्रभावी ढंग से विनियमित करने के लिये अनुकूल रहना चाहिये।
  • जलवायु परिवर्तन पर पारस्परिक प्रभाव: कुछ ओज़ोन-अनुकूल विकल्प, जैसे- HFC, शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसें हैं, जो जलवायु परिवर्तन में योगदान दे रही हैं। ओज़ोन संरक्षण और जलवायु शमन के उद्देश्यों को संतुलित करने के लिये जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत प्रयासों के साथ सावधानीपूर्वक विचार तथा समन्वय की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में सफल अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक उल्लेखनीय उदाहरण है। हालाँकि इसने ओज़ोन क्षरण को कम करने और ओज़ोन परत को बहाल करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन इसकी दीर्घकालिक प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिये निरंतर सतर्कता और प्रतिबद्धता आवश्यक है।