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Sambhav-2024

  • 02 Mar 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    दिवस 90

    प्रश्न 1. समुद्र के अम्लीकरण की घटना को बताते हुए समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके संभावित प्रभावों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • समुद्र के अम्लीकरण का संक्षिप्त परिचय लिखिये।
    • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर समुद्र के अम्लीकरण के प्रभाव का उल्लेख कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    समुद्र के अम्लीकरण से तात्पर्य पृथ्वी के महासागरों के pH में चल रही कमी से है, जो मुख्यतः वायुमंडल से कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) के अवशोषण के कारण होता है। जब CO2 समुद्री जल में घुल जाता है, तो यह कार्बनिक अम्ल का निर्माण करता है, जिससे pH में कमी आती है और जल की रासायनिक संरचना में परिवर्तन होता है। इस घटना का भारत सहित विश्वभर के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

    मुख्य भाग:

    हालिया वर्षों में भारत ने समुद्र के अम्लीकरण के संबंध में बढ़ती चिंताओं का अनुभव किया है, विशेषतः तटीय क्षेत्रों में जहाँ समुद्री जीवन प्रचुर मात्रा में है।

    • प्रवाल भित्तियों पर प्रभाव: प्रवाल भित्तियाँ विशेष रूप से समुद्री अम्लीकरण के प्रति संवेदनशील हैं। भारत में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप और मन्नार की खाड़ी के कुछ हिस्सों के तटों पर मूँगा चट्टानें संकट में हैं। pH में कमी मूँगे के कंकालों को कमज़ोर कर देती है, जिससे मूँगों के लिये कैल्शियम कार्बोनेट संरचनाओं का निर्माण और रखरखाव करना कठिन हो जाता है। इससे चट्टानीय झंझावत जैसी प्राकृतिक गतिविधियों को झेलने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है और मूँगा विरंजन घटनाएँ होती हैं।
      • उदाहरण के लिये, हालिया वर्षों में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में समुद्र के अम्लीकरण के कारण बढ़ते समुद्र के तापमान के कारण मूँगा विरंजन की कई घटनाएँ देखी गई हैं।
    • समुद्री खाद्य शृंखलाओं पर प्रभाव: महासागरीय अम्लीकरण विभिन्न जीवों की कैल्सीफिकेशन प्रक्रियाओं को प्रभावित करके समुद्री खाद्य शृंखलाओं को बाधित कर सकता है। उदाहरण के लिये, शेल निर्माण वाले जीव जैसे- मोलस्क और कुछ प्रकार के प्लैंकटन को अपने कैल्शियम कार्बोनेट शेल को बनाने एवं बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है, जिससे उनके अस्तित्त्व तथा उन प्रजातियों पर असर पड़ सकता है जो भोजन के लिये उन पर निर्भर हैं।
      • भारतीय जलक्षेत्र में इसका असर झींगा और शंख जैसी व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण प्रजातियों पर पड़ सकता है, जिससे स्थानीय मत्स्य पालन एवं आजीविका प्रभावित हो सकती है।
    • समुद्री जैवविविधता पर प्रभाव: महासागर का अम्लीकरण समुद्री जीवों के व्यवहार, विकास और प्रजनन को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे संभावित रूप से प्रजातियों के वितरण में बदलाव एवं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में परिवर्तन हो सकता है। भारत में इसका अर्थ विभिन्न मत्स्य प्रजातियों के वितरण और बहुतायत में बदलाव हो सकता है, जिससे मत्स्याग्रहण पर निर्भर तटीय समुदायों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।
    • आर्थिक निहितार्थ: समुद्र के अम्लीकरण के प्रभाव पारिस्थितिक चिंताओं से परे आर्थिक चिंताओं तक फैले हुए हैं। भारत में तटीय समुदाय मत्स्याग्रहण और पर्यटन सहित आजीविका के लिये समुद्री संसाधनों पर निर्भर हैं। समुद्र के अम्लीकरण के कारण समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण के दूरगामी आर्थिक परिणाम हो सकते हैं, जिससे इन संसाधनों पर निर्भर उद्योगों और समुदायों पर असर पड़ सकता है।

    निष्कर्ष:

    समुद्र के अम्लीकरण को संबोधित करने के लिये CO2 उत्सर्जन को कम करने और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर अन्य तनावों को कम करने के लिये वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है। भारत में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और समुद्री आवासों की रक्षा करने के उद्देश्य से नीतियों के साथ-साथ समुद्र के अम्लीकरण एवं उसके प्रभावों की निगरानी करने की पहल आवश्यक है। सरकारी एजेंसियों, शैक्षणिक संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों से जुड़े सहयोगात्मक अनुसंधान प्रयास समुद्र के अम्लीकरण की समझ को बेहतर बनाने तथा भारत एवं उसके बाहर समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर इसके प्रभावों को कम करने के लिये रणनीति विकसित करने में मदद कर सकते हैं।

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