Sambhav-2024

दिवस 85

Q2. अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये आयात, विशेष रूप से कच्चे तेल पर भारत की महत्त्वपूर्ण निर्भरता के अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा पर निहितार्थ का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)

26 Feb 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • भारत की आयात पर निर्भरता का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • आयात (विशेष रूप से कच्चे तेल) पर भारत की अधिक निर्भरता के परिणामों पर चर्चा कीजिये।
  • अर्थव्यवस्था एवं ऊर्जा सुरक्षा पर आयात की अधिक निर्भरता के प्रभावों पर प्रकाश डालिये।
  • उचित निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये आयात (विशेषकर कच्चे तेल) पर अधिक निर्भर है। वर्ष 2018 में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के दौरान, एक प्रमुख तेल आयातक के रूप में भारत को प्रमुख आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। तेल की बढ़ी कीमतों के कारण चालू खाता घाटा बढ़ गया, जिससे रुपए पर दबाव पड़ा।

मुख्य भाग:

आयात पर भारत की अधिक निर्भरता के परिणाम:

  • आर्थिक प्रभाव:
  • व्यापार घाटा: कच्चे तेल का आयात करने के कारण भारत के व्यापार घाटे में वृद्धि हुई है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण सेल (PPAC) के आँकड़ों के अनुसार, भारत ने वर्ष 2021-22 में इस पर 119.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किये, जो पिछले वित्तीय वर्ष के 62.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
  • मुद्रास्फीति का दबाव: तेल आयात की भारत की आयात टोकरी में काफी अधिक हिस्सेदारी है। तेल की कीमतों में किसी भी तरह की वृद्धि से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिससे नागरिकों के जीवनयापन की लागत पर असर पड़ सकता है।
  • मुद्रा मूल्यह्रास: तेल आयात पर निरंतर निर्भरता से प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले रुपए का मूल्यह्रास हो सकता है, जिससे समग्र अर्थव्यवस्था की स्थिरता प्रभावित होगी।
  • विदेशी मुद्रा भंडार: भारत के तेल आयात के लिये काफी अधिक विदेशी मुद्रा की आवश्यकता होती है। विदेशी मुद्रा भंडार का एक बड़ा हिस्सा तेल खरीदने के लिये आवंटित होता है, जिससे देश की अन्य क्षेत्रों में निवेश करने की क्षमता कम हो जाती है।
  • राजकोषीय बोझ: सरकार उपभोक्ताओं को मूल्य अस्थिरता से बचाने के लिये पेट्रोलियम उत्पादों पर सब्सिडी देती है। वर्ष 2021-22 में LPG सब्सिडी लगभग 14,073 करोड़ रुपए (वर्ष 2020-21 में 36,072 करोड़ रुपए) होने का अनुमान लगाया गया था।

ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:

  • वैश्विक आपूर्ति व्यवधानों के प्रति संवेदनशीलता: आयात पर अधिक निर्भरता भारत को भू-राजनीतिक तनाव, प्राकृतिक आपदाओं एवं अन्य कारकों के प्रति संवेदनशील बनाती है जो वैश्विक तेल आपूर्ति शृंखला को बाधित कर सकते हैं, जिससे इसकी कमी होने के साथ कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
  • सामरिक चिंताएँ: तेल आयात पर अत्यधिक निर्भरता भारत को रणनीतिक रूप से कमज़ोर बनाती है। तेल उत्पादक क्षेत्रों में भू-राजनीतिक घटनाएँ आपूर्ति को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे भारत को अपनी विदेश नीति एवं ऊर्जा सुरक्षा रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिये मजबूर होना पड़ सकता है।
  • पर्यावरण और स्वास्थ्य: भारत की ऊर्जा खपत का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा जीवाश्म ईंधन से आता है, जिसमें आयातित कच्चा तेल भी शामिल है, जिससे प्रदूषण के कारण पर्यावरणीय क्षरण के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ पैदा होती हैं।
  • ऊर्जा मिश्रण विविधीकरण: तेल आयात पर निर्भरता ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाने के प्रयासों में बाधा डालती है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करके भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।
  • बुनियादी ढाँचे की संवेदनशीलता: आयात पर निर्भरता के लिये तेल के भंडारण, परिवहन एवं वितरण हेतु मज़बूत बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है। इस बुनियादी ढाँचे में कोई भी व्यवधान या अक्षमता से ऊर्जा सुरक्षा से समझौता हो सकता है।
  • नीतिगत निहितार्थ: ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक सुसंगत नीतिगत ढाँचे की आवश्यकता होती है जो मूल्य अस्थिरता जैसी अल्पकालिक चिंताओं के साथ जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने जैसे दीर्घकालिक उद्देश्यों को शामिल करती हो।

रणनीतियाँ:

  • ऊर्जा कूटनीति: तेल उत्पादक देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मज़बूत करने से उचित कीमतों पर स्थिर और विश्वसनीय तेल आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
  • रणनीतिक भंडार: रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार के निर्माण और रखरखाव से आपूर्ति में व्यवधान एवं मूल्य अस्थिरता के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना: घरेलू तेल के निष्कर्षण एवं उत्पादन को प्रोत्साहित करने से आयात पर निर्भरता कम हो सकती है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे परमाणु ऊर्जा) में निवेश से आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम हो सकती है।

निष्कर्ष:

आयात के नकारात्मक परिणामों को कम करने के लिये, ऊर्जा दक्षता, ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण एवं रणनीतिक योजना पर ध्यान देना अनिवार्य है। ऊर्जा सुरक्षा के लिये समग्र दृष्टिकोण अपनाकर भारत, आपूर्ति संबंधी व्यवधानों के प्रति अपनी संवेदनशीलता को कम करने के साथ अधिक सतत और सुरक्षित ऊर्जा भविष्य की ओर अग्रसर हो सकता है।