Sambhav-2024

दिवस 83

प्रश्न 1. MSP निर्धारित करने के लिये स्वामीनाथन आयोग की C2+ 50% फॉर्मूले की सिफारिश के पीछे के तर्क को बताइये। (250 शब्द)

23 Feb 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • स्वामीनाथन आयोग और उसके फॉर्मूला के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
  • इसके उन घटकों पर चर्चा कीजिये जो MSP के निर्धारण में उपयोगी है।
  • उचित निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

स्वामीनाथन आयोग (जिसे आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय किसान आयोग के रूप में जाना जाता है) का गठन वर्ष 2004 में भारत में किसानों से संबंधित विभिन्न मुद्दों का समाधान करने के उद्देश्य से किया गया था, जिसमें कृषि नीतियाँ, फसल मूल्य निर्धारण एवं ग्रामीण संकट शामिल थे। स्वामीनाथन आयोग द्वारा की गई प्रमुख सिफारिशों में से एक फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित करने के लिये C2+50% फॉर्मूला को अपनाना था।

मुख्य भाग

C2+50% फॉर्मूला:

  • इसमें C2 का आशय उत्पादन की वास्तविक लागत है, जिसमें किसानों के स्वामित्व वाली भूमि के साथ मशीनरी पर खर्च, किराया और ब्याज शामिल है। इस आयोग ने MSP की गणना का फॉर्मूला MSP= C2+C2 का 50% निर्धारित किया। इस आयोग ने सिफारिश की कि MSP किसानों की कुल लागत का 1.5 गुना होना चाहिये।

फॉर्मूला का औचित्य:

  • लागत वसूली और लाभ: C2 घटक में सभी भुगतान किये गए खर्चों के साथ-साथ पारिवारिक श्रम और स्वामित्व वाली भूमि पर किराया (C2) जैसे अवैतनिक कारकों से संबंधित मूल्य शामिल है। C2 पर 50% अतिरिक्त मूल्य निर्धारण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को अपनी उत्पादन लागत की पूरी लागत मिलने के साथ उचित लाभ मिल सके।
  • निवेश और दक्षता को बढ़ावा देना: लागत पर न्यूनतम रिटर्न की गारंटी देकर यह फॉर्मूला बेहतर इनपुट प्रदान करने के साथ किसानों को प्रौद्योगिकी में निवेश करने के लिये प्रोत्साहित करता है, जिससे समय के साथ उत्पादकता एवं कृषि आय में संभावित वृद्धि संभव है।
  • निष्पक्षता और आय असमानता को कम करना: इस फॉर्मूला का उद्देश्य किसानों को अक्सर उनकी उत्पादन लागत से कम कीमत मिलने से संबंधित ऐतिहासिक मुद्दे को हल करना है, जिससे अन्य क्षेत्रों की तुलना में किसानों के समक्ष वित्तीय संकट एवं आय असमानता की स्थिति रहती है।
    • C2+50% फॉर्मूला लागू करने से न केवल उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित होगा बल्कि इससे कृषक समुदायों के समग्र कल्याण में भी योगदान मिलेगा। यह विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण समय के दौरान किसानों के लिये आजीविका सुरक्षा प्राप्त करने के लक्ष्य के अनुरूप है।

पक्ष में तर्क:

  • किसान संगठन इस फॉर्मूले को अपने प्रयासों के लिये उचित मुआवज़ा सुनिश्चित करने एवं बाज़ार के उतार-चढ़ाव के खिलाफ सुरक्षा जाल प्रदान करने के एक तरीके के रूप में देखते हैं।
  • कुछ अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि उच्च और पूर्वानुमानित MSP से कृषि उत्पादन को प्रोत्साहन मिलने के साथ खाद्य सुरक्षा में योगदान मिल सकता है।
  • इस फॉर्मूले को लागू करने से संभावित रूप से ग्रामीण लोगों की आय में वृद्धि होने के साथ गरीबी कम हो सकती है, जिससे समग्र आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा।

विपक्ष में तर्क:

  • आलोचकों का तर्क है कि यह फॉर्मूला बहुत कठोर है जिसमें बाज़ार की गतिशीलता को ध्यान में नहीं रखा गया है।
  • उच्च MSP से सरकारी वित्त पर दबाव पड़ने के साथ बाज़ार में विकृति आने से कृषि में निजी निवेश हतोत्साहित हो सकता है।
  • बजटीय बाधाओं और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण सभी फसलों के लिये इस फार्मूले को लागू करने की व्यवहार्यता के बारे में भी चिंताएँ बनी हुई हैं।

निष्कर्ष:

हालाँकि सरकार ने C2+ 50% फॉर्मूला को पूरी तरह से नहीं अपनाया है, लेकिन हाल के वर्षों में कुछ फसलों के लिये MSP में वृद्धि की गई है। किसान C2+ 50% फॉर्मूले के आधार पर MSP को कानूनी दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। इसे अपनाने के क्रम में इसके संभावित आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।