Q1. वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को साकार करने के उद्देश्य से अंतरिम बजट 2024-25 में उल्लिखित चुनौतियों एवं प्रस्तावित रणनीतियों का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
16 Feb 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- उत्तर की शुरुआत परिचय के साथ कीजिये, जो प्रश्न के लिये एक संदर्भ निर्धारित करता है।
- 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को साकार करने के उद्देश्य से अंतरिम बजट, 2024-25 में उल्लिखित प्रस्तावित रणनीतियों को बताइये।
- वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को साकार करने में आगामी चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
अंतरिम बजट, 2024-25 महत्त्वपूर्ण चुनौतियों और प्रस्तावित रणनीतियों की रूपरेखा तैयार करता है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण को साकार करना है। यह दृष्टिकोण भारत को एक संपन्न अर्थव्यवस्था, समावेशी विकास और सतत् विकास के साथ एक विकसित राष्ट्र में परिवर्तित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्य भाग:
अंतरिम बजट 2024-25 में उल्लिखित प्रस्तावित रणनीतियाँ:
- समावेशी विकास को बढ़ावा देना:
- इसने असमानता से निपटने के लिये समावेशी विकास रणनीतियों पर ज़ोर दिया, जिसमें 'गरीब', 'महिलाएँ', 'युवा' और 'अन्नदाता' (किसान) पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- SOP को छोड़कर और इसके बजाय अवसर उत्पन्न करने पर ध्यान केंद्रित कर यह विकास तथा राजकोषीय विवेक के बीच संतुलन बनाता है।
- महिला सशक्तीकरण:
- 3 करोड़ 'लखपति दीदी' बनाने या महिलाओं की वार्षिक आय एक लाख रुपए से अधिक करने के लक्ष्य (2 करोड़ के पिछले लक्ष्य से 50% अधिक) के साथ विकास के SHG मॉडल की सफलता का लाभ उठाना है।
- वित्त प्रावधान:
- 30 करोड़ मुद्रा योजना ऋण का प्रावधान एक और उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है, मूलतः ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ औपचारिक ऋण प्रणालियों तक पहुँच सीमित है।
- मुद्रा योजना ऋण वित्तीय अंतर को पाटने में सहायक हैं क्योंकि यह न केवल अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देता है बल्कि आत्मनिर्भरता एवं स्वतंत्रता की संस्कृति को भी बढ़ावा देता है।
- स्वास्थ्य रक्षा:
- बजट में शामिल एक और महत्त्वपूर्ण कदम आशा एवं आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं के लिये आयुष्मान भारत कवर का विस्तार है।
- विभिन्न योजनाओं के साथ 9 से 14 वर्ष की आयु की युवा लड़कियों के लिये सर्वाइकल कैंसर के टीकाकरण को बढ़ावा देने की पहल, स्वास्थ्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराना:
- PMAY-G के तहत गाँवों में 2 करोड़ अतिरिक्त घर बनाने का लक्ष्य न केवल आश्रय प्रदान करना है बल्कि संबंधित उद्योगों को बढ़ावा देना और रोज़गार उत्पन्न करना भी है।
- पिछले दस वर्षों में 'सबका साथ' पहल के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता ने 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से मुक्त होने में सहायता की है।
- नवाचार को प्रोत्साहित करना:
- भारत की प्रगति के पीछे युवाओं को प्रेरक शक्ति मानते हुए, सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए का कॉर्पस फंड बनाने की योजना बनाई है।
- यह फंड युवा लोगों को दीर्घकालिक और आसान ऋण पहुँच प्रदान करने तथा सहायता करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो शून्य ब्याज पर पचास वर्ष के ऋण की पेशकश करता है।
- यह रणनीतिक घोषणा राष्ट्रीय विकास हासिल करने में प्रौद्योगिकी और नवाचार के महत्त्व को रेखांकित करती है।
विकसित भारत के सपने को साकार करने में चुनौतियाँ:
- निम्न प्रति व्यक्ति आय:
- भारत महामारी के बाद के चरण में सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में यह 197 देशों में 142वें स्थान पर है।
- विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार, 'विकसित देश' का दर्जा हासिल करने के लिये देश की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 13,205 अमेरिकी डॉलर होनी चाहिये।
- मौजूदा विनिमय दर पर भारत में अनुमानित प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,500 अमेरिकी डॉलर है। इस प्रकार प्रति व्यक्ति आय में 5.3 गुना से अधिक वृद्धि करनी होगी।
- निरंतर उच्च GDP वृद्धि:
- आगामी 25 वर्षों के दौरान जनसंख्या धीमी दर से बढ़ेगी, वर्ष 2047 में 'विकसित देश' का दर्जा हासिल करने के लिये वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि लगभग 9% होनी चाहिये।
- समावेशी विकास की चिंताएँ:
- विकास संबंधी रोज़गार में लचीलेपन में कमी के कारण कार्यबल में प्रवेश करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को रोज़गार प्रदान करना एक चुनौती रही है और ऐसा अगले 25 वर्षों तक जारी रहने की संभावना है, जबकि जनसंख्या के चरम पर होने की उम्मीद है।
- रोज़गार संबंधी मुद्दे:
- OECD के अनुसार, 23-34 आयु वर्ग के दो-तिहाई से अधिक लोगों की शिक्षा का स्तर उच्च माध्यमिक से नीचे है या दूसरी ओर, इस आयु वर्ग के केवल 20% लोगों के पास तृतीयक शिक्षा है।
- इसका तात्पर्य यह है कि अधिकांश भारतीय IT, IT-सक्षम सेवाओं, वित्त और अन्य व्यावसायिक सेवाओं में उच्च-भुगतान वाले सेवा क्षेत्र की नौकरियों के लिये अर्हता प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
- असमान विनिर्माण क्षेत्र:
- भारत का श्रम-गहन विनिर्माण रोज़गार 20 से कम श्रमिकों वाली फर्मों में केंद्रित है, जबकि चीन का 1000 से अधिक श्रमिक वाली फर्मों में केंद्रित है, जिनकी उत्पादकता बहुत अधिक है।
- इस प्रकार अच्छी नौकरियाँ मुख्य रूप से श्रम-प्रधान उद्योगों में अपेक्षाकृत बड़े, औपचारिक क्षेत्र की विनिर्माण फर्मों में उत्पन्न करनी होंगी।
निष्कर्ष:
अंतरिम बजट 2024-25 में उल्लिखित चुनौतियाँ महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन प्रस्तावित रणनीतियाँ वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत' को साकार करने की दिशा में एक स्पष्ट दृष्टि और प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती हैं। आर्थिक विकास, बुनियादी ढाँचे के विकास और पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान देने के साथ भारत लक्ष्य हासिल करने के लिये तैयार है। इसका लक्ष्य निकट भविष्य में एक विकसित राष्ट्र का निर्माण करना है।