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16 Feb 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस 77
Q2. भारत में GST व्यवस्था के कार्यान्वयन से देश की कराधान संरचना में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव आया है लेकिन इसमें कुछ चुनौतियों और अवरोध का सामना करना पड़ा है। टिप्पणी कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- उत्तर की शुरुआत GST व्यवस्था को लागू करने के साथ कीजिये।
- यह भी बताइये कि कैसे GST ने देश की कराधान संरचना में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित किया।
- भारत की GST व्यवस्था के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों का वर्णन कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
वस्तु एवं सेवा कर (GST) को भारत में 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य अप्रत्यक्ष करों की एक जटिल शृंखला को प्रतिस्थापित करते हुए संपूर्ण देश में एक एकीकृत कर संरचना का निर्माण करना था। हालाँकि GST व्यवस्था ने कराधान को काफी हद तक सुव्यवस्थित कर दिया है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में चुनौतियों और गड़बड़ियों का सामना करना पड़ा है।
मुख्य भाग:
भारत में GST व्यवस्था की उपलब्धियाँ:
- राजस्व संग्रह:
- यह व्यवस्था इस आँकड़े को प्रत्येक माह 1.4 लाख करोड़ रुपए तक ले जाने की ओर अग्रसर है। अप्रैल, 2022 में संग्रह रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया था। जबकि अप्रैल, 2018 में संग्रहण में पहली बार 1 लाख करोड़ रुपए का आँकड़ा पार हुआ था।
- राज्य के राजस्व में तीव्र वृद्धि:
- GST की शुरूआत के बाद से पाँच वर्षों (2017-18 से 2021-22) में राज्यों के लिये कुल संसाधन वृद्धि 14.8% प्रतिवर्ष थी, जबकि वर्ष 2012 और वर्ष 2015 के बीच वार्षिक औसत वृद्धि दर 9% थी।
- इस प्रकार राज्य बेहतर स्थिति में प्रतीत होते हैं। राज्यों के राजस्व में GST की भागीदारी वर्ष 2014-17 की तुलना में वर्ष 2018-21 में मामूली रूप से बढ़ी है।
- करों के बढ़ते बोझ से बचना:
- इसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे 17 स्थानीय शुल्क तथा 13 उपकर शामिल किये गए हैं।
- विभिन्न करों की दर में वस्तुओं के नियमित समायोजन के साथ, प्रभावी GST दर वर्ष 2019 में अपनी शुरुआत में 14.4% से घटकर 11.6% हो गई थी।
- व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देना:
- GST परिषद ने चंडीगढ़ में अपनी 47वीं बैठक में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से आपूर्ति करने वाले छोटे करदाताओं के लिये अनुपालन को आसान बनाने का निर्णय लिया है।
- ऐसे आपूर्तिकर्त्ता, जो केवल अंतर-राज्य आपूर्ति करते हैं, उन्हें GST पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है।
- अनुपालन में सुधार:
- आपूर्ति चालान अपलोड करने से जुड़े इनपुट क्रेडिट लाभ से भी अनुपालन की सुविधा मिलती है।
- GST-टू-GST अनुपात, वर्ष 2020-21 में 5.8% से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 6.4% हो गया, जो अनुपालन में उत्तरोत्तर सुधार को दर्शाता है।
GST संरचना के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियाँ:
- एकाधिक कर दरें:
- इस कर व्यवस्था को लागू करने वाली कई अन्य अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत, भारत में कई कर दरें हैं।
- अधिकांश वस्तुएँ 18% की उच्च कर श्रेणी में आती हैं। जो प्रतिगामी कार्य करती हैं, क्योंकि इसका प्रभाव समाज के निर्धन वर्ग पर पड़ता है।
- मुद्रास्फीति और राजस्व संग्रह:
- कुछ अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि GST संग्रह में मौजूदा वृद्धि उच्च मुद्रास्फीति का परिणाम है। वास्तविक रूप से (मुद्रास्फीति के लिये समायोजित) GST संग्रह की वृद्धि दर बहुत कम है।
- पूर्व के लिये- मार्च, 2022 में GST संग्रह में साल-दर-साल वृद्धि दर नाममात्र के संदर्भ में 14.7% थी, लेकिन वास्तविक संदर्भ में केवल 3.7% (मुद्रास्फीति के लिये समायोजित)।
- कवरेज का अभाव:
- पेट्रोल, डीज़ल, ATF, GST से बाहर होने के कारण अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अभी भी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के दायरे में नहीं आता है।
- राज्यों को मुआवज़ा:
- GST (राज्यों को मुआवज़ा) अधिनियम राज्यों को GST के पहले 5 वर्षों के लिये तब पूर्ण मुआवज़ा सुनिश्चित करता है, यदि उनका राजस्व 14% वार्षिक वृद्धि से कम होता है।
- इसके अलावा केंद्र सरकार ने वर्ष 2019-20 से राज्यों को GST मुआवज़े में देरी की थी जब अर्थव्यवस्था धीमी होने लगी थी। इसका भुगतान मई, 2022 में बहुत देरी के बाद किया गया था।
- AAR द्वारा विरोधाभासी आदेश:
- राज्य स्तरीय अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (AAR) ने वस्तुओं की प्रकृति पर विभिन्न मामलों में परस्पर विरोधी फैसले दिये हैं, जो यह निर्धारित करते हैं, कि वे किस कर स्लैब के अंतर्गत आते हैं।
- ये 'पापड़', फ्रायम्स जैसे खाद्य पदार्थों और सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने, मध्यस्थ सेवाओं आदि जैसे अन्य क्षेत्रों से संबंधित हैं।
निष्कर्ष:
भारत में GST के कार्यान्वयन से कर संरचना में महत्त्वपूर्ण बदलाव आया है, लेकिन इसमें चुनौतियों और गड़बड़ियों का भी सामना करना पड़ा है। इन मुद्दों को संबोधित करना, जैसे- कर संरचना को सरल बनाना, अनुपालन बोझ को कम करना और प्रौद्योगिकी बुनियादी ढाँचे में सुधार, GST शासन की सफलता सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है।