Q1. भारत में GDP की गणना किस प्रकार होती है? GDP आँकड़ों की सटीकता से संबंधित चिंताओं का परीक्षण करते हुए इन आँकड़ों की सटीकता को बेहतर बनाने के उपाय बताइये। (250 शब्द)
14 Feb 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- उत्तर की शुरुआत परिचय के साथ कीजिये, जो प्रश्न के लिये एक संदर्भ निर्धारित करता है।
- GDP आँकड़ों की सटीकता को लेकर व्यक्त की गई चिंताओं का वर्णन कीजिये।
- GDP गणना की सटीकता बढ़ाने के उपायों को लिखिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) किसी देश के आर्थिक प्रदर्शन का एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है, जो इसकी सीमाओं में उत्पादित सभी वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है। भारत में, GDP गणना सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करती है।
मुख्य भाग:
भारत में GDP की गणना:
उत्पादन विधि: GDP की गणना कृषि, विनिर्माण और सेवाओं सहित अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के सकल मूल्य एवं मध्यवर्ती खपत के मूल्य को घटाकर की जाती है।
- आय विधि: सकल घरेलू उत्पाद की गणना देश में निवासियों द्वारा अर्जित समग्र आय को जोड़कर भी की जा सकती है, जिसमें वेतन, मुनाफा और कर को घटाकर दी गई सब्सिडी भी शामिल है।
- व्यय विधि: सकल घरेलू उत्पाद की गणना उपभोग, निवेश, सरकारी व्यय और शुद्ध निर्यात (निर्यात - आयात) सहित अर्थव्यवस्था में किये गए सभी व्ययों को जोड़कर की जा सकती है।
भारत निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करके अपनी GDP की गणना करता है:
GDP = C + I + G + (X - M)
जहाँ;
C निजी उपभोग व्यय,
I सकल पूंजी निर्माण (निवेश),
G सरकारी उपभोग व्यय, और
(X - M) शुद्ध निर्यात (निर्यात में से आयात को घटाकर) है।
GDP आँकड़ों की सटीकता को लेकर चिंताएँ:
- अनौपचारिक क्षेत्र:
- भारत में अनौपचारिक क्षेत्र का बढ़ता दायरा एक बड़ी चिंता है, जिसे GDP गणना में पर्याप्त रूप से शामिल नहीं किया गया है।
- यह क्षेत्र, जिसमें अपंजीकृत व्यवसाय और स्व-रोज़गार वाले व्यक्ति शामिल हैं, अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है, लेकिन प्रायः आधिकारिक आँकड़ों में इसका प्रतिनिधित्व कम है।
- देश का 90% से अधिक कार्यबल अनौपचारिक रोज़गार में लगा हुआ है।
- डेटा संग्रहण:
- यह माना जाता है कि डेटा संग्रहण प्रक्रिया भारत की अर्थव्यवस्था की विविधता और जटिलता को समझने के लिये पर्याप्त नहीं है।
- इसमें संयुक्त राष्ट्र के राष्ट्रीय लेखा प्रणाली का कड़ाई से अनुपालन में नहीं होता है।
- आधार वर्ष संशोधन:
- GDP गणना के लिये आधार वर्ष के आवधिक संशोधन से भी आँकड़ों में विसंगतियाँ हो सकती हैं, क्योंकि यह वर्तमान आर्थिक वास्तविकताओं को सटीक रूप से प्रतिबिंबित नहीं कर सकता है।
- वर्तमान में भारत का सकल घरेलू उत्पाद का आधार वर्ष पुराना (2011-12) है, जो हाल की आर्थिक गतिविधियों और निवेशों को शामिल नहीं कर सकता है।
- कोई कल्याणकारी उपाय न होना:
- GDP समग्र कल्याण या प्रसन्नता को नहीं मापता है।
- GDP की अवधारणा विकसित करने वाले साइमन कुज़नेट्स ने चेतावनी दी थी कि यह किसी देश के आर्थिक विकास का उपयुक्त उपाय नहीं है।
- विकास और रोज़गार के बीच संबंध:
- स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया (SWI 2023) रिपोर्ट बताती है, कि भारत में GDP वृद्धि और रोज़गार के बीच संबंध कमज़ोर है।
- सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि आनुपातिक रोज़गार सृजन का आश्वासन नहीं देती है।
GDP गणना में परिशुद्धता बढ़ाने के उपाय:
- डेटा संग्रहण के तरीकों में सुधार:
- विशेष रूप से कृषि और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में डेटा संग्रहण तकनीकों को बढ़ाने से GDP गणना की सटीकता में सुधार हो सकता है।
- नियमित संशोधन और अद्यतन:
- आधार वर्ष को नियमित रूप से संशोधित और अद्यतन करने से अर्थव्यवस्था में परिवर्तनों को अधिक सटीक रूप से प्रतिबिंबित करने में मदद मिल सकती है, जैसे आधार वर्ष को 2017-18 में परिवर्तित करना आदि।
- MOSPI GDP गणना के लिये आधार वर्ष को 2011-12 से बदलकर 2017-18 करने पर विचार कर रहा है।
- अनौपचारिक क्षेत्र को शामिल करना:
- बेहतर डेटा संग्रहण विधियों और अनुमान तकनीकों के माध्यम से अनौपचारिक क्षेत्र को GDP गणना में बेहतर ढंग से शामिल करने का प्रयास किया जाना चाहिये।
- सटीकता के लिये GST, NSSO, PLFS, NFHS और डिजिटल भुगतान डेटा का उपयोग करना चाहिये।
- डेटा गुणवत्ता बढ़ाना:
- GDP गणना के लिये उपयोग किये जाने वाले डेटा स्रोतों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना सटीकता में सुधार हेतु महत्त्वपूर्ण है।
- स्थिरता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न एजेंसियों से एकीकृत एवं केंद्रीकृत डेटा रिपॉज़िटरी तैयार करना।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग:
- उपग्रह इमेजिंग और बड़े डेटा विश्लेषण जैसी प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर, अधिक सटीक और समय पर डेटा प्रदान करके GDP गणना की सटीकता में सुधार किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
प्रभावी आर्थिक योजना और नीति निर्माण के लिये सटीक GDP आँकड़े आवश्यक हैं। जबकि भारत अपनी GDP की गणना, उत्पादन पद्धति का उपयोग करके करता है, इन आँकड़ों की सटीकता को लेकर चिंता बनी रहती है। बेहतर डेटा संग्रहण विधियों और नियमित संशोधनों के माध्यम से इन चिंताओं को दूर करने से भारत में GDP गणना की सटीकता बढ़ सकती है।