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Sambhav-2024

  • 07 Feb 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस 69

    Q1. भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों के लाभ एवं चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। हाल की सरकारी पहलों ने देश में अंतर्देशीय जल परिवहन के विस्तार तथा दक्षता में किस प्रकार योगदान दिया है? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों का संक्षिप्त परिचय लिखिये।
    • भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों के दायरे और चुनौतियों का वर्णन कीजिये।
    • हाल की सरकारी पहलों की व्याख्या कीजिये, जिन्होंने देश में अंतर्देशीय जल परिवहन की वृद्धि और दक्षता में योगदान दिया।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    अंतर्देशीय जल परिवहन से तात्पर्य किसी देश की सीमाओं के भीतर स्थित नदियों, नहरों, झीलों और जल के अन्य नौगम्य निकायों जैसे जलमार्गों के माध्यम से लोगों, वस्तुओं एवं सामग्रियों के परिवहन से है। देश के 24 राज्यों में विस्तृत राष्ट्रीय जलमार्ग (NW) की कुल लंबाई 20,275 किमी. है।

    मुख्य भाग:

    भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग का दायरा:

    • परिवहन का सबसे किफायती तरीका: IWT परिवहन, विशेषतः कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट, खाद्यान्न और उर्वरक जैसे थोक कार्गो के लिये सबसे किफायती तरीका है। आज के भारतीय मॉडल में इसकी भागीदारी 2% से भी कम है।
    • विशाल नेटवर्क क्षमता: भारत के पास नदियों, नहरों और झीलों का एक व्यापक नेटवर्क है, जो अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) के लिये महत्त्वपूर्ण क्षमता प्रदान करता है।
      • राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 ने उन पर शिपिंग और नेविगेशन को बढ़ावा देने के लिये देश में 111 अंतर्देशीय जलमार्गों को 'राष्ट्रीय जलमार्ग' (एनडब्ल्यू) घोषित किया है।
    • कार्बन फुटप्रिंट में कमी: अंतर्देशीय जलमार्ग सड़क एवं रेल परिवहन के लिये एक हरित विकल्प प्रदान करते हैं, जिससे परिवहन किये गए प्रति टन-किलोमीटर कार्गो में न्यूनतम ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं।
      • जल परिवहन का उपयोग करने से सड़कों और रेलवे पर भीड़ कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे परिवहन बुनियादी ढाँचे पर बोझ कम हो जाएगा।
    • आर्थिक विकास के अवसर: जल परिवहन के माध्यम से बेहतर कनेक्टिविटी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकती है, रोज़गार उत्पन्न कर सकती है, साथ ही क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ा सकती है।
      • राष्ट्रीय जलमार्ग-1 का प्राथमिक विकास जल विकास मार्ग परियोजना (JVMP) के माध्यम से किया गया, जिसमें अर्थ गंगा भी शामिल है, जिसमें अगले पाँच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपए की आर्थिक वृद्धि होगी।

    भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग की चुनौतियाँ:

    • संपूर्ण वर्ष नौगम्य न होना: कुछ नदियाँ मौसमी होती हैं, जिसमें संपूर्ण वर्ष नौगम्यता नहीं होती। कथित तौर पर पहचाने गए 111 राष्ट्रीय जलमार्गों में से लगभग 20 को अव्यवहार्य पाया गया है।
    • गहन पूंजी और रखरखाव ड्रेजिंग (Maintenance Dredging): सभी पहचाने गए जलमार्गों को गहन पूंजी और रखरखाव ड्रेजिंग की आवश्यकता होती है, जिसका स्थानीय समुदाय विस्थापन भय की आशंका से पर्यावरणीय आधार पर विरोध कर सकता है, जिससे कार्यान्वयन चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं
    • नियामक ढाँचा: राज्यों और न्याय क्षेत्रों के नियमों में एकरूपता का अभाव ऑपरेटरों के लिये तार्किक बाधाएँ तथा देरी उत्पन्न करता है।
    • बाज़ार प्रतिस्पर्द्धात्मकता: कार्गो प्रबंधन और अंतिम मील कनेक्टिविटी में अक्षमताएँ सड़क एवं रेल विकल्पों की तुलना में अंतर्देशीय जल परिवहन की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को कम करती हैं।

    हाल की सरकारी पहल और विकास में योगदान:

    • जल मार्ग विकास परियोजना: वर्ष 2018 में IWAI ने गंगा नदी पर जल मार्ग विकास परियोजना के लिये विश्व बैंक के साथ एक परियोजना समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसका उद्देश्य वाराणसी से हल्दिया तक NW-1 (गंगा नदी) पर नेविगेशन की क्षमता में वृद्धि करना है।
    • फोरम ऑफ कार्गो ओनर्स एंड लॉजिस्टिक्स ऑपरेटर्स (FOCAL): वर्ष 2018 में IWAI ने कार्गो मालिकों और लॉजिस्टिक ऑपरेटरों के लिये जहाज़ों की उपलब्धता पर रियल टाइम डेटा तक पहुँचने के लिये फोरम ऑफ कार्गो ओनर्स एंड लॉजिस्टिक्स ऑपरेटर्स (FOCAL) के रूप में जाना जाने वाला एक पोर्टल भी लॉन्च किया।
    • उत्तर-पूर्वी राज्यों में अंतर्देशीय जलमार्गों के विकास के लिये सेंट्रल सेक्टर स्कीम (CSS): उत्तर-पूर्वी राज्यों में अंतर्देशीय जल परिवहन के विकास के लिये उत्तर-पूर्वी राज्यों को 100% अनुदान प्रदान किया जाता है।
    • मैरीटाइम इंडिया विज़न (MIV)-2030: सरकार का आशय MIV-2030 के तहत IWT की हिस्सेदारी को 5% तक बढ़ाना है।
    • आगामी पहल:
      • समुद्री विकास निधि: 25,000 करोड़ रुपए का निवेश जो इस क्षेत्र को कम लागत, दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करेगा, जिसमें केंद्र सात वर्षों में 2,500 करोड़ रुपए का योगदान देगा।
      • बंदरगाह नियामक प्राधिकरण: प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों पर निगरानी को सक्षम करने के लिये नवीन भारतीय बंदरगाह अधिनियम (पुराने भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 का परिवर्तित स्वरूप) के तहत एक अखिल भारतीय बंदरगाह प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी।
      • पूर्वी जलमार्ग कनेक्टिविटी परिवहन ग्रिड परियोजना: इसका लक्ष्य बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्याँमार के साथ क्षेत्रीय कनेक्टिविटी विकसित करना होगा।
      • नदी विकास निधि: अंतर्देशीय जहाज़ों के लिये न्यूनतम लागत, दीर्घकालिक वित्तपोषण का आह्वान किया जाएगा।

    निष्कर्ष:

    अंतर्देशीय जलमार्ग भारत में सतत् परिवहन और आर्थिक विकास के लिये एक आशाजनक अवसर का प्रतिनिधित्व करते हैं। बुनियादी ढाँचे की बाधाओं, नियामक बाधाओं को संबोधित करके तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देकर, भारत समावेशी विकास को प्रोत्साहित करने, रसद लागत को कम करने और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये अपने जल संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकता है।

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