प्रश्न 2. डिजिटल युग में चतुर्थक गतिविधियों के विकास एवं प्रभाव का परीक्षण कीजिये। वैश्विक नवाचार एवं प्रतिस्पर्द्धात्मकता में उनके महत्त्व को बताइये। (250 शब्द)
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- डिजिटल युग में चतुर्थक गतिविधियों का संक्षिप्त परिचय लिखिये।
- डिजिटल युग में चतुर्थक गतिविधियों के विकास का वर्णन कीजिये।
- डिजिटल युग में चतुर्थक गतिविधियों के प्रभाव और योगदान की व्याख्या कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
चतुर्थक गतिविधियाँ जिन्हें प्रायः ज्ञान-आधारित गतिविधियाँ या "सूचना क्षेत्र" कहा जाता है, डिजिटल युग में महत्त्वपूर्ण रूप से विकसित हुई हैं। इन गतिविधियों में अनुसंधान एवं विकास, सूचना प्रौद्योगिकी (IT), नवाचार, शिक्षा, परामर्श और विभिन्न ज्ञान-आधारित सेवाएँ शामिल हैं।
मुख्य भाग:
डिजिटल युग में चतुर्थक गतिविधियों का विकास:
- सूचना प्रौद्योगिकी (IT) सेवाओं का उद्भव (1970-1980): डिजिटल युग के शुरुआती चरणों में सॉफ्टवेयर विकास, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और डेटा प्रोसेसिंग सहित IT सेवाओं का उदय हुआ।
- माइक्रोसॉफ्ट (1975) और ओरेकल (1977) जैसी कंपनियों की स्थापना ने IT क्रांति की शुरुआत को चिह्नित किया।
- इंटरनेट क्रांति और डॉट-कॉम बूम (1990): इस अवधि के दौरान इंटरनेट को व्यापक रूप से अपनाने से डिजिटल कनेक्टिविटी में वृद्धि हुई और ऑनलाइन सेवाओं तथा प्लेटफॉर्मों का उदय हुआ।
- अमेज़न (वर्ष 1994 में स्थापित) और ईबे (वर्ष 1995 में स्थापित) जैसी कंपनियों के उदय ने ई-कॉमर्स एवं ऑनलाइन मार्केटप्लेस की क्षमता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
- ज्ञान प्रबंधन और परामर्श (2000 के दशक के प्रारंभ में): संगठनों ने एक सामरिक संपत्ति के रूप में ज्ञान के प्रबंधन और लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया, जिससे ज्ञान-प्रबंधन परामर्श सेवाओं का विकास हुआ।
- मैकिन्से एंड कंपनी और एक्सेंचर जैसी परामर्श फर्मों ने ज्ञान-प्रबंधन को शामिल करने के लिये अपनी सेवाओं का विस्तार किया।
- सोशल मीडिया और डिजिटल सामग्री का उदय (2000 के दशक के अंत में): सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के प्रसार और डिजिटल सामग्री निर्माण ने उपयोगकर्त्ताओं को वैश्विक स्तर पर मल्टीमीडिया सामग्री बनाने, साझा करने एवं उसके साथ संवाद करने में सक्षम बनाया।
- फेसबुक (2004), यूट्यूब (2005) और ट्विटर (2006) जैसे प्लेटफॉर्मों के लॉन्च ने सोशल नेटवर्किंग एवं सामग्री साझाकरण में क्रांति ला दी।
- बिग डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (वर्ष 2010): बिग डेटा एनालिटिक्स और AI प्रौद्योगिकियों में प्रगति ने संगठनों को बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करने एवं निर्णय लेने तथा नवाचार के लिये मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करने में सक्षम बनाया।
- Google जैसी कंपनियों ने Google सर्च, Google मैप और Google असिस्टेंट जैसी AI-संचालित सेवाओं के विकास के साथ, विभिन्न उद्योगों में क्रांति लाने के लिये AI की क्षमता का प्रदर्शन किया।
- डिजिटल परिवर्तन और रिमोट वर्क (2020): COVID-19 महामारी ने उद्योगों में डिजिटल परिवर्तन प्रयासों को तेज़ कर दिया, जिससे रिमोट वर्क, ऑनलाइन असिस्टेंट इक्विपमेंट और डिजिटल प्लेटफॉर्म को व्यापक रूप से अपनाया गया।
- वर्चुअल असिस्टेंट और संचार को सक्षम करने के लिये कंपनियों ने ज़ूम, माइक्रोसॉफ्ट टीम्स तथा स्लैक जैसी रिमोट वर्क तकनीकों को तेज़ी से अपनाया।
डिजिटल युग में चतुर्थक गतिविधियों का प्रभाव और योगदान:
- वैश्विक नवाचार: चतुर्थक गतिविधियाँ वैश्विक नवाचार में सबसे आगे हैं, जो प्रौद्योगिकी, विज्ञान और अनुसंधान में प्रगति ला रही हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में सिलिकॉन वैली, भारत में बंगलुरू और चीन में शेन्ज़ेन जैसे नवप्रवर्तन केंद्र चतुर्थक गतिविधियों तथा तकनीकी नवाचार का पर्याय बन गए हैं।
- प्रतिस्पर्द्धात्मकता: चतुर्थक गतिविधियाँ फर्मों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और सरकारों के बीच ज्ञान के प्रसार एवं सहयोग को सुविधाजनक बनाती हैं। सहयोगात्मक नेटवर्क विचारों, विशेषज्ञता एवं संसाधनों के आदान-प्रदान को सुनिश्चित करते हैं, नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देते हैं जो आर्थिक विकास और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाता है।
- अमूर्त संपत्तियों की ओर बदलाव: डिजिटल युग में बौद्धिक संपदा, पेटेंट, ट्रेडमार्क और मानव पूंजी जैसी अमूर्त संपत्तियों का मूल्य तीव्रता के साथ महत्त्वपूर्ण हो गया है।
- ज्ञान-आधारित उद्योगों का उद्भव: चतुर्थक गतिविधियों के कारण आईटी, जैव प्रौद्योगिकी, फार्मास्युटिकल्स, वित्तीय सेवाओं और रचनात्मक उद्योगों जैसे ज्ञान-आधारित उद्योगों का उदय हुआ है।
- रोज़गार विविधीकरण: डिजिटल युग ने रोज़गार के नए रूपों जैसे फ्रीलांस वर्क, गिग इकॉनमी प्लेटफॉर्म और रिमोट असिस्टेंट को भी जन्म दिया है, जिससे व्यक्तियों को वैश्विक स्तर पर चतुर्थक गतिविधियों में भाग लेने के अवसर मिलते हैं।
निष्कर्ष:
चतुर्थक गतिविधियाँ पारंपरिक उद्योगों पर निर्भरता को कम करके और ज्ञान-आधारित क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देकर आर्थिक विविधीकरण में योगदान करती हैं। जो देश सफलतापूर्वक ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तित हो जाते हैं, वे आर्थिक आघातों का सामना करने, निवेश आकर्षित करने और दीर्घकालिक विकास एवं समृद्धि बनाए रखने के लिये बेहतर स्थिति में होते हैं।