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Sambhav-2024

  • 05 Feb 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस 67

    प्रश्न 1. जनसांख्यिकीय संक्रमण की तीन अवस्थाओं को बताइये। भारत में जनसंख्या वितरण एवं घनत्व के निर्धारक क्या हैं? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जनसांख्यिकीय परिवर्तन का संक्षिप्त परिचय लिखिये।
    • भारत में वितरण और जनसंख्या घनत्व को आकार देने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    जनसांख्यिकीय संक्रमण एक अवधारणा है, जो समय के साथ जनसंख्या प्रारूप के विकास को परिभाषित करती है। सामान्यतः इसमें तीन चरण शामिल होते हैं, जिनमें से प्रत्येक की विशेषता अलग-अलग जनसंख्या रुझान है।

    मुख्य भाग:

    जनसांख्यिकीय संक्रमण के तीन चरण:

    • चरण 1: उच्च जन्म दर और उच्च मृत्यु दर
      • प्रारंभिक चरण में जन्म दर और मृत्यु दर दोनों अधिक होती हैं, जिससे जनसंख्या वृद्धि अपेक्षाकृत धीमी हो जाती है।
      • यह परिदृश्य प्रायः पूर्व-औद्योगिक समाज से संबंधित है, जहाँ स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुँच और उच्च शिशु मृत्यु दर के परिणामस्वरूप अनिश्चित जनसांख्यिकीय संतुलन होता है।
    • चरण 2: उच्च जन्म दर और गिरती मृत्यु दर
      • जैसे-जैसे समाज आर्थिक विकास से गुज़र रहा होता है, स्वास्थ्य देखभाल और जीवन स्तर में सुधार मृत्यु दर के गिरावट में योगदान देता है। हालाँकि जन्म दर प्रायः ऊँची रहती है, जिससे जनसंख्या में तीव्रता से वृद्धि होती है।
      • इस चरण की विशेषता महत्त्वपूर्ण जनसंख्या वृद्धि है, जो आमतौर पर औद्योगीकरण के प्रारंभिक चरणों के दौरान देखी जाती है।
    • चरण 3: निम्न जन्म दर और निम्न मृत्यु दर
      • जनसांख्यिकीय संक्रमण के उन्नत चरणों में बढ़ती शिक्षा, शहरीकरण और परिवार नियोजन तक पहुँच जैसे कारकों के कारण जन्म दर का क्षय शुरू हो जाता है। साथ ही मृत्यु दर न्यून हो जाती है।
      • इस अभिसरण के परिणामस्वरूप धीमी लेकिन अधिक सतत् जनसंख्या वृद्धि होती है, जो विकसित और औद्योगिक समाज की विशेषता है।

    भारत में जनसंख्या वितरण को आकार देने वाले कारक:

    • भौगोलिक कारक: मैदानों, पर्वतों और पठारों सहित भारत की विविध स्थलाकृति जनसंख्या वितरण को प्रभावित करती है। गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के उपजाऊ मैदानों में घनी आबादी पाई जाती है, जबकि पर्वतीय तथा शुष्क क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम है।
    • जलवायु और कृषि: अनुकूल जलवायु और प्रचुर जल संसाधनों वाले क्षेत्रों में प्रायः उच्च जनसंख्या घनत्व देखा जाता है। कृषि उत्पादकता एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, सघन आबादी वाले क्षेत्र प्रायः उपजाऊ कृषि भूमि के साथ मेल खाते हैं।
    • शहरीकरण: शहरी केंद्र आर्थिक अवसरों, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और शैक्षिक सुविधाओं के कारण जनसंख्या को आकर्षित करते हैं। शहरी क्षेत्रों में उद्योगों और सेवाओं का संकेंद्रण असमान जनसंख्या वितरण में योगदान देता है।
    • बुनियादी ढाँचे का विकास: पहुँच और कनेक्टिविटी जनसंख्या वितरण पर प्रभाव डालती है। सुविकसित परिवहन नेटवर्क वाले क्षेत्र अधिक आबादी को आकर्षित करते हैं, जबकि दूरस्थ या दुर्गम क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम हो सकता है।
    • राजनीतिक स्थिरता: राजनीतिक स्थिरता या अस्थिरता जनसंख्या वितरण को प्रभावित कर सकती है। राजनीतिक अशांति का सामना करने वाले क्षेत्रों में प्रवासन पैटर्न देखा जा सकता है क्योंकि लोग अधिक स्थिर वातावरण चाहते हैं।
    • सांस्कृतिक और सामाजिक कारक: सांस्कृतिक प्रथाएँ और सामाजिक मानदंड जनसंख्या वितरण को प्रभावित कर सकते हैं। इसमें जनसंख्या बस्तियों के संदर्भ में जाति, वर्ग और जातीयता के विचार शामिल हैं।

    निष्कर्ष:

    भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों की परस्पर क्रिया भारत के जनसंख्या पैटर्न की जटिलता को रेखांकित करती है, जो जनसांख्यिकीय चुनौतियों एवं अवसरों को संबोधित करने के लिये समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।

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