Q2. भारत के भौगोलिक वर्गीकरण की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत के भौगोलिक क्षेत्रों की विशेषताओं पर चर्चा कीजिये।
- यथोचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
किसी क्षेत्र का भूगोल उसकी संरचना, प्रक्रिया एवं विकास के चरण का परिणाम होता है। भारत की भूमि भौतिक विशेषताओं, स्थलाकृति एवं भू-आकृतियों के दृष्टिकोण से विविधतापूर्ण है।
मुख्य भाग:
भारत के प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र:
- उत्तरी और उत्तर-पूर्वी पर्वत:
- इसमें हिमालय और पूर्वोत्तर पहाड़ियाँ (पूर्वांचल पहाड़ियाँ) शामिल हैं।
- माउंट एवरेस्ट सहित विश्व की कुछ सबसे ऊँची चोटियाँ यहाँ पर हैं।
- इसका निर्माण भारतीय तथा यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण हुआ और यह युवा एवं गतिशील पर्वत शृंखला है।
- यह ग्लेशियरों, नदियों एवं अल्पाइन वनस्पतियों से समृद्ध है।
- यह भारतीय उपमहाद्वीप और मध्य एवं पूर्वी एशियाई देशों के बीच एक मज़बूत तथा लंबी दीवार की तरह स्थापित है।
- उत्तरी मैदान: यह हिमालय के दक्षिण में फैला हुआ है
- उत्तरी मैदान (भारत-गंगा के मैदान) सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाए गए जलोढ़ निक्षेपों से बने हैं।
- ये मैदान पूर्व से पश्चिम तक लगभग 3,200 किमी. तक फैले हुए हैं।
- उत्तर से दक्षिण तक इन्हें तीन प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है: भाबर, तराई और जलोढ़ मैदान।
- समृद्ध मिट्टी और प्रचुर जल आपूर्ति के कारण ये मैदान कृषि के लिये आदर्श हैं।
- प्रायद्वीपीय पठार: भारत का मध्य भाग
- उत्तर-पश्चिम में दिल्ली रिज, (अरावली का विस्तार), पूर्व में राजमहल पहाड़ियाँ, पश्चिम में गिर पर्वतमाला और दक्षिण में इलायची पहाड़ियाँ प्रायद्वीपीय पठार की बाहरी सीमा का निर्माण करती हैं।
- प्रायद्वीपीय पठार को तीन व्यापक समूहों में विभाजित किया जा सकता है:
- दक्कन का पठार: इसकी सीमा पश्चिम में पश्चिमी घाट, पूर्व में पूर्वी घाट और उत्तर में सतपुड़ा, मैकाल श्रेणी तथा महादेव पहाड़ियों से लगती है।
- केंद्रीय उच्चभूमि: यह दक्कन के पठार और सिंधु-गंगा के मैदानों के बीच स्थित एक बड़ी भू-वैज्ञानिक संरचना एवं जैव-भौगोलिक क्षेत्र है। इसमें विंध्य एवं अरावली पर्वतमाला तथा छोटा नागपुर एवं मालवा पठार सहित कई पर्वत शृंखलाएँ शामिल हैं।
- पूर्वोत्तर पठार: मेघालय और कार्बी आंगलोंग पठार मुख्य प्रायद्वीपीय क्षेत्र से अलग है
- भारतीय रेगिस्तान (थार): भारत का उत्तर-पश्चिमी भाग
- यह क्षेत्र शुष्क होने के साथ यहाँ रेत के टीले, चट्टानी भू-भाग के साथ सीमित वनस्पति है।
- यहाँ वार्षिक वर्षा कम होती है, जिससे कृषि चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
- तटीय मैदान: पूर्वी और पश्चिमी तटीय क्षेत्र
- यह रेतीले समुद्र तटों के समानांतर संकीर्ण मैदान होते हैं।
- यह समुद्र द्वारा तलछट के जमाव से निर्मित होते हैं।
- मालाबार तट पर 'कयाल' (बैकवाटर) के रूप में अनूठी विशेषताएँ देखी जाती हैं, जिनका उपयोग मछली पकड़ने तथा अंतर्देशीय नौवहन के लिये किया जाता है।
- द्वीप समूह: बंगाल की खाड़ी और अरब सागर
- विशेष रूप से लक्षद्वीप में मूंगा द्वीप मिलते हैं।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पहाड़ी क्षेत्र एवं उष्णकटिबंधीय वर्षावन पाए जाते हैं।
- भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी (बैरेन द्वीप) भी निकोबार द्वीप समूह में स्थित है।
निष्कर्ष:
कृषि, जैवविविधता और संसाधन प्रबंधन सहित विभिन्न पहलुओं के लिये इन भौगोलिक विभाजनों को समझना आवश्यक है। विविध प्रकार की स्थलाकृति और भू-वैज्ञानिक विशेषताएँ भारत के समृद्ध प्राकृतिक संसाधन एवं सांस्कृतिक विविधता में योगदान देते हैं।