Sambhav-2024

दिवस 59

प्रश्न 1. उष्णकटिबंधीय तूफानों की उत्पत्ति एवं विकास हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ क्या हैं? परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवात की विशेषताओं की व्याख्या कीजिये। (250 शब्द)

26 Jan 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • उत्तर की शुरुआत प्रस्तावना के साथ कीजिये जो प्रश्न के लिये एक संदर्भ निर्धारित करती है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति और दृढ़ता के लिये अनुकूल परिस्थितियों का वर्णन कीजिये।
  • योजनाबद्ध तरीके से एक परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवात की विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
  • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

उष्णकटिबंधीय चक्रवात शक्तिशाली और विनाशकारी मौसमी तंत्र हैं, जिनकी विशेषता निम्न दाब केंद्र, तेज़ पवनें एवं भारी वर्षा है। इन चक्रवातों को अटलांटिक और उत्तर-पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में हरीकेन, उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में टाइफून एवं दक्षिण प्रशांत तथा हिंद महासागर में चक्रवात के रूप में भी जाना जाता है।

मुख्य भाग

उत्पत्ति के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ:

  • उष्ण महासागरीय जल:
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवात कम-से-कम 26.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले उष्ण महासागरीय जल पर निर्मित होते हैं।
    • यह उष्ण चक्रवात के विकास को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  • कॉरिओलिस प्रभाव:
    • पृथ्वी के घूर्णन के कारण होने वाला कोरिओलिस प्रभाव, उष्णकटिबंधीय चक्रवात के घूर्णन के लिये आवश्यक है।
    • इसके प्रभाव के अभाव में भूमध्य रेखा पर चक्रवात का निर्माण प्रत्यक्ष रूप से नहीं हो सकता।
    • कोरिओलिस बल चक्रवात को शुरू करने और बनाए रखने के लिये आवश्यक घूर्णन प्रदान करता है।
  • निम्न ऊर्ध्वाधर विंड शीयर:
    • ऊर्ध्वाधर विंड शीयर ऊँचाई के साथ पवन की गति और दिशा में बदलाव को संदर्भित करता है।
    • निम्न ऊर्ध्वाधर विंड शीयर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के लिये अनुकूल है क्योंकि उच्च शीयर उनके ऊर्ध्वाधर विकास को बाधित कर सकती है।
    • यह चक्रवात को अपना संगठन बनाए रखने और तीव्र होने की अनुमति प्रदान करता है।
  • वायुमंडलीय अस्थिरता:
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति के लिये अनुकूल वायुमंडल में उच्च स्तर की वायुमंडलीय अस्थिरता शामिल होती है।
    • सागरीय सतह से उठने वाली उष्ण, आर्द्र पवनें अस्थिरता उत्पन्न करती है, जिससे विशाल बादलों और चक्रवातों का विकास होता है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का सुदृढ़ीकरण:

  • उष्ण महासागरीय जल निर्वहन:
    • उष्ण जल गुप्त ऊष्मा प्रदान करता है, जो चक्रवातीय ऊर्जा के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • सघन उष्ण जल वाले क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के बने रहने और सुदृढ़ होने की अधिक संभावना होती है।
  • अक्षुभित्ति (Eyewall) का निर्माण:
    • यह अक्षु के चारों ओर तीव्र चक्रवातों का एक घेरा है, जहाँ तेज़ पवनें और भारी वर्षा होती है।
    • एक सुपरिभाषित अक्षुभित्ति का विकास और सुदृढ़ चक्रवात की परिपक्वता को प्रदर्शित करती है।

एक परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवात के लक्षण:

  • तीव्र पवनें:
    • परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशेषता तीव्र पवनें होती है, जो प्रायः 74 मील प्रति घंटे (119 किलोमीटर प्रति घंटे) की रफ्तार से अधिक होती है।
    • तीव्र पवनें आमतौर पर अक्षुभित्ति में चक्रवातों के केंद्र के पास पाई जाती हैं।
  • भारी वर्षा:
    • तीव्र वर्षा परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की पहचान है। चक्रवात तंत्र में ऊष्ण, आर्द्र पवन और शक्तिशाली ऊर्ध्वप्रवाह के संयोजन से भारी वर्षा होती है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है।
  • चक्रवातों में वृद्धि:
    • एक परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवात झंझावत उत्पन्न कर सकता है, तट के साथ सागरीय स्तर में तीव्रता से वृद्धि हो सकती है।
    • यह ऊर्ध्वप्रवाह, ऊँची लहरों के साथ विनाशकारी तटीय बाढ़ का कारण बन सकता है, जिससे चक्रवात इन झंझावतों के सबसे विनाशकारी पहलुओं में से एक बन जाएगा।
  • लंबा जीवनकाल:
    • परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का जीवनकाल अपेक्षाकृत लंबा हो सकता है, जो कई दिनों या हफ्तों तक रह सकता है।
    • लंबे समय तक दृढ़ता बनाए रखने की उनकी क्षमता आपदा तैयारियों और प्रतिक्रिया के लिये महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ उत्पन्न करती है।

निष्कर्ष:

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति और सुदृढ़ता के लिये अनुकूल परिस्थितियों के साथ-साथ परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशेषताओं को समझना, प्रभावी आपदा प्रबंधन और तैयारियों के लिये आवश्यक है। सरकारों को अपने लचीलेपन और प्रतिक्रिया रणनीतियों को बढ़ावा देने में इस ज्ञान का उपयोग करना चाहिये।