Sambhav-2024

दिवस 57

प्रश्न 2. मृदा निर्माण में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं को बताते हुए इसके विकास में योगदान देने वाले कारकों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

24 Jan 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • मृदा और उसकी संरचना का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • मृदा निर्माण में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं को बताइये।
  • मृदा निर्माण में योगदान देने वाले कारकों को भी परिभाषित कीजिये।
  • मृदा निर्माण की आवश्यकता के अनुसार निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

मृदा, पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्त्वपूर्ण घटक, एक जटिल प्रक्रिया से गुज़रती है जिसे मृदा निर्माण या पेडोजेनेसिस के रूप में जाना जाता है। इसमें परस्पर संबंधित भौतिक, रासायनिक, जैविक और जलवायु प्रक्रियाओं की एक शृंखला शामिल है जो मूल सामग्री को पौधों के जीवन को सक्षम बनाती है।

निकाय:

मृदा निर्माण की प्रक्रियाएँ:

  • अपक्षय:
    • यांत्रिक अपक्षय: तापमान में उतार-चढ़ाव, पाले की क्रिया और दाब परिवर्तन के कारण चट्टानों का भौतिक रूप से छोटे-छोटे कणों में विघटन।
    • रासायनिक अपक्षय: रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से चट्टानों का अपघटन, जिसमें हाइड्रोलिसिस, ऑक्सीकरण और विघटन जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
  • कार्बनिक पदार्थ संचय:
    • मृत पौधे और जानवर कार्बनिक पदार्थ के निर्माण में योगदान करते हैं, जो विघटित होने पर ह्यूमस का निर्माण करते हैं। यह पोषक तत्त्वों से भरपूर सामग्री मृदा संरचना और उर्वरता को बढ़ाती है।
  • स्थानांतरण:
    • अपक्षालन: मृदा संरचना के माध्यम से जलीय गति, विगलित पदार्थों को पृथक करना और उन्हें निम्न परतों में एकत्रित करना।
    • जलोदर (Illuviation): निम्न मृदा के क्षितिज में अपक्षालित पदार्थों का संचय, जो मृदा की रासायनिक संरचना को प्रभावित करता है।
  • क्षितिज निर्माण:
    • O क्षितिज: पौधों के मलबे और विघटित कार्बनिक पदार्थ जैसे कार्बनिक पदार्थों से निर्मित है।
    • A क्षितिज: ऊपरी मृदा के रूप में जाना जाता है, जो खनिजों और पोषक तत्त्वों से समृद्ध है, अपक्षालन तथा कार्बनिक सामग्री के अपघटन का परिणाम है।
    • B क्षितिज: उपमृदा, निक्षालित खनिजों और पोषक तत्त्वों के संचय की विशेषता है।
    • C क्षितिज: मूल सामग्री, आंशिक रूप से विघटित चट्टान जो ऊपरी क्षितिज के लिये खनिज सामग्री के स्रोत के रूप में कार्य करती है।

मृदा विकास में योगदान देने वाले कारक:

  • जलवायु:
    • तापमान: रासायनिक प्रतिक्रियाओं और जैविक गतिविधियों की दर को प्रभावित करता है।
    • वर्षा: अपक्षालन और पोषक तत्त्वों की उपलब्धता को प्रभावित करती है। अत्यधिक वर्षा से पोषक तत्त्वों की हानि हो सकती है, जबकि शुष्क परिस्थितियाँ मृदा निर्माण में बाधा बन सकती हैं।
  • स्थलाकृति:
    • तीक्ष्ण ढाल अपरदन को तेज़ कर सकती हैं, जिससे मृदा की गहराई और संरचना पर असर पड़ सकता है।
    • समतल क्षेत्रों में जल का जमाव हो सकता है, जिससे मृदा की जल निकासी प्रभावित हो सकती है।
  • जैविक कारक:
    • वनस्पति: पौधों की जड़ें भौतिक अपक्षय में योगदान करती हैं, जो वनस्पति का प्रकार कार्बनिक पदार्थ सामग्री को प्रभावित करता है।
    • सूक्ष्मजीव: बैक्टीरिया, कवक और अन्य सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थों के अपघटन, पोषक चक्र तथा मृदा संरचना में सुधार में सहायता करते हैं।
  • मूल पदार्थ (Parent Material):
    • खनिज संरचना: विभिन्न चट्टानें मृदा की भिन्न-भिन्न विशेषताएँ बताती हैं। उदाहरण के लिये, ग्रेनाइट से रेतीली मृदा का निर्माण होता है, जबकि चूना पत्थर क्षारीय मृदा में योगदान देता है।
    • गठन (Texture): मृदा के कणों के आकार को संदर्भित करता है और जल धारण, जल निकासी तथा पोषक तत्त्वों की उपलब्धता को प्रभावित करता है।
  • कालावधि (Time):
    • पुरानी मृदा में आमतौर पर दीर्घ काल तक जलवायु और जैविक गतिविधियों के कारण सुविकसित क्षितिज तथा अधिक उर्वरता होती है।
  • मानवीय गतिविधियाँ:
    • गहन कृषि पद्धतियों से मृदा क्षरण, पोषक तत्त्वों की कमी और संघनन हो सकता है।
    • निर्माणकारी गतिविधियाँ और अभेद्य सतहें प्राकृतिक मृदा निर्माण प्रक्रियाओं को बाधित कर सकती हैं।

निष्कर्ष:

मृदा निर्माण एक गतिशील और जटिल प्रक्रिया है जो असंख्य रूप से परस्पर संबंधित कारकों से प्रभावित होती है। जलवायु, स्थलाकृति, जीव विज्ञान, मूल पदार्थ, कालावधि और मानवीय गतिविधियों के प्रभाव के साथ-साथ अपक्षय, कार्बनिक पदार्थ संचय, स्थानांतरण तथा क्षितिज निर्माण के बीच परस्पर क्रिया को समझना, स्थायी भूमि प्रबंधन के लिये आवश्यक है।