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Sambhav-2024

  • 23 Jan 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस 56

    प्रश्न 1. उन प्रमुख प्रक्रियाओं एवं घटनाओं पर चर्चा कीजिये जिन्होंने भू-वैज्ञानिक समयकाल में पृथ्वी के स्थलमंडल, वायुमंडल और जलमंडल के निर्माण में योगदान दिया है। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उत्तर की शुरुआत परिचय के साथ कीजिये, जो प्रश्न के लिये एक संदर्भ निर्धारित करती है।
    • उन घटनाओं पर चर्चा कीजिये, जिन्होंने पृथ्वी के स्थलमंडल के विकास में योगदान दिया है।
    • पृथ्वी के वायुमंडल और जलमंडल के विकास में योगदान देने वाली घटनाओं की व्याख्या कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    पृथ्वी, प्रायः गतिशील और परिवर्तनकारी ग्रह है, जिसमें भू-वैज्ञानिक काल के साथ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। इसके स्थलमंडल, वायुमंडल और जलमंडल का विकास विभिन्न प्रक्रियाओं एवं घटनाओं की एक जटिल परस्पर क्रिया है जिसने ग्रह को उसकी वर्तमान स्थिति में आकार दिया है।

    निकाय:

    स्थलमंडल का विकास:

    • पृथ्वी का निर्माण (4.6 अरब वर्ष पूर्व): पृथ्वी का निर्माण ब्रह्मांडीय धूल और गैस के संचय से हुआ, जिसके परिणामस्वरूप परतों में अंतर आया, जिसमें भारी पदार्थ कोर में जमा हो गए और हल्के पदार्थ प्रारंभिक परत का निर्माण करने लगे।
    • प्रारंभिक विवर्तनिकी सक्रियता (4 अरब वर्ष पहले): प्रारंभिक ज्वालामुखीय सक्रियता से गैस और विगलित पदार्थ निष्काषित होते थे, जो भू-पर्पटी को आकार देने में योगदान करते थे।
    • महाद्वीपों का निर्माण (लगभग 3 अरब वर्ष पहले): प्लेट विवर्तनिकी ने महाद्वीपों के निर्माण और विघटन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे आधुनिक महाद्वीपों का विकास हुआ।
    • सतत् प्लेट विवर्तनिकी (लगभग 3 अरब साल पहले से वर्तमान तक): विवर्तनिकी प्लेटों की निरंतर गति, जिसके कारण भूकंप, ज्वालामुखीय सक्रियता और पृथ्वी की सतह का आकार परिवर्तित होता है।
    • पर्वत निर्माण और अपरदन: विवर्तनिकी प्लेटों के टकराने से पर्वत शृंखलाओं का निर्माण होता है और अपरदन प्रक्रियाएँ निरंतर परिदृश्य को संशोधित करती हैं।

    वायुमंडल का विकास:

    • आदिकालिक वायुमंडल (4.4 अरब वर्ष पूर्व): ज्वालामुखी विस्फोट से जलवाष्प, कार्बन डाइ-ऑक्साइड, मीथेन और अमोनिया के द्वारा प्रारंभिक वायुमंडल का निर्माण हुआ।
    • ऑक्सीजन उत्सर्जन (2.4 अरब वर्ष पहले): साइनोबैक्टीरिया जैसे प्रकाश संश्लेषक जीवों के उद्भव के कारण ऑक्सीजन का उत्सर्जन हुआ, जिससे ऑक्सीजन उत्सर्जन की घटना के दौरान वायुमंडलीय संरचना में काफी बदलाव आया।
    • नाइट्रोजन और ट्रेस गैसों का विकास: जैविक और भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएँ वायुमंडल की संरचना को प्रभावित करती हैं, जिसमें नाइट्रोजन, ट्रेस गैसें एवं ग्रीनहाउस गैसों का संतुलन शामिल है।
    • मानव-प्रेरित परिवर्तन (विगत कुछ शताब्दियों): औद्योगीकरण और मानव गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि हुई है, जो ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन में योगदान कर रही है।

    जलमंडल का विकास:

    • महासागरों का निर्माण (लगभग 4 अरब वर्ष पूर्व तक): जलवाष्प के संघनन से पहले महासागरों का निर्माण हुआ, जिससे पृथ्वी की सतह को आकार मिला और प्रारंभिक जीवन के लिये आवास उपलब्ध हुआ।
    • जीवन का उद्भव (3.8 अरब वर्ष पूर्व तक): साइनोबैक्टीरिया जैसे सरल सूक्ष्मजीव, जलमंडल की संरचना को प्रभावित करते हुए, महासागरों में निवास करने लगे।
    • हिमयुग का प्रभाव: हिमनदी और हिमनद की घटना ने परिदृश्य को आकार दिया एवं समुद्र के स्तर को प्रभावित किया।
    • महासागरों पर मानव प्रभाव (विगत कुछ शताब्दियों तक): अत्यधिक मत्स्यग्रहण, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी मानवीय गतिविधियों ने विश्व के महासागरों के स्वास्थ्य एवं जैवविविधता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला है।

    निष्कर्ष:

    पृथ्वी के स्थलमंडल, वायुमंडल और जलमंडल का विकास भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाएँ एवं घटनाएँ परस्पर संबंधित है। ग्रह के प्रारंभिक निर्माण से लेकर प्लेट विवर्तनिकी की सतत् गतिशीलता तक भू प्रणालियाँ निरंतर विकसित हुई हैं, जिसने ग्रह के भू-विज्ञान और पर्यावरण पर अमिट छाप छोड़ी है।

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