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23 Jan 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 1
भूगोल
दिवस 56
प्रश्न 2. महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत, सागर नितल प्रसरण सिद्धांत एवं प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के बीच प्रमुख अंतर बताइये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- विभिन्न सिद्धांतों के परिचय के साथ उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत और सागर नितल प्रसरण सिद्धांत के बीच अंतर लिखिये।
- सागर नितल प्रसरण सिद्धांत और प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के बीच अंतर का विश्लेषण कीजिये।
- दिये गए सिद्धांतों की आवश्यकता के अनुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
पृथ्वी की गतिशील प्रक्रियाओं के अध्ययन से विभिन्न सिद्धांतों का विकास हुआ है, जो इसकी सतह पर होने वाली गतिविधियों और परिवर्तनों को व्यक्त करते हैं। इस संबंध में तीन प्रमुख सिद्धांत महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत, सागर नितल प्रसरण सिद्धांत और प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत हैं।
निकाय:
महाद्वीपीय विस्थापन, सागर नितल प्रसरण और प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांतों के बीच बुनियादी अंतर:
- महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत:
- 20वीं सदी की शुरुआत में अल्फ्रेड वेगनर द्वारा प्रस्तावित, महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत से पता चलता है कि महाद्वीप कभी पैंजिया नामक एक सुपरकॉन्टिनेंट का भाग था।
- समयानुसार महाद्वीपीय विस्थापन की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप ये भू-भाग अपनी वर्तमान स्थिति से पृथक हो गए। वेगनर ने भू-वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ अपनी परिकल्पना का समर्थन किया, जैसे कि महासागरों द्वारा पृथक किये गए महाद्वीपों पर जीवाश्म और चट्टानी संरचनाओं का मिश्रण।
- हालाँकि प्रारंभ में इस सिद्धांत पर संदेह किया जाता था, लेकिन इसने प्लेट विवर्तनिकी में बाद के विकास की नींव रखी।
- सागर नितल प्रसरण सिद्धांत:
- महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के निर्माण के पश्चात्, वर्ष 1960 के दशक में हैरी हेस द्वारा सागर नितल प्रसरण सिद्धांत विकसित किया गया था।
- यह सिद्धांत प्रस्तावित करता है कि ज्वालामुखीय गतिविधि के माध्यम से मध्य महासागरीय शृंखलाओं पर नवीन सागरीय परत का निर्माण हुआ।
- जैसे ही मैग्मा मेंटल से ऊपर उठा, यह जमने लगा, जिससे नवीन सागरीय परत का निर्माण हुआ, जिसने मौजूदा परत को कटक के दोनों ओर दूर धकेल दिया।
- इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप महासागरीय बेसिनों का विस्तार हुआ और विवर्तनिकी प्लेटों की गति के लिये एक तंत्र का निर्माण हुआ।
- प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत:
- टुज़ो विल्सन द्वारा प्रस्तावित यह एक व्यापक सिद्धांत है जो महाद्वीपीय विस्थापन और सागर नितल प्रसरण दोनों को शामिल करता है।
- इसे 20वीं सदी के अंत में विभिन्न भूवैज्ञानिक अवधारणाओं को एक एकीकृत संरचना के साथ सम्मिलित करके विकसित किया गया था।
- इस सिद्धांत के अनुसार, पृथ्वी का स्थलमंडल कई कठोर प्लेटों में विभाजित है, जो नीचे अर्द्ध-द्रव एस्थेनोस्फीयर पर तैरती हैं।
- ये प्लेटें अपनी सीमाओं पर परस्पर क्रिया करती हैं, जो अभिसारी, अपसारी या रूपांतरित हो सकती हैं।
- अभिसारी सीमाओं में प्लेटों का टकराना तथा प्लेटों का पृथक होना शामिल है, जबकि रूपांतरित सीमाओं में प्लेटों का एक-दूसरे से आगे खिसकना शामिल होता है।
- प्लेट विवर्तनिकी भू-पर्पटी को आकार प्रदान करने वाली गतिशील प्रक्रियाओं की व्यापक समझ प्रदान करता है और भूकंप, ज्वालामुखीय गतिविधि तथा पर्वत शृंखलाओं के निर्माण जैसी घटनाओं की व्याख्या करता है।
निष्कर्ष:
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत, सागर नितल प्रसरण सिद्धांत और प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत पृथ्वी की गतिशील प्रक्रियाओं की हमारी समझ को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महाद्वीपीय विस्थापन से प्लेट विवर्तनिकी तक का विकास भू-विज्ञान के क्षेत्र में वैज्ञानिक ज्ञान के निरंतर शोधन का प्रतीक है।