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17 Jan 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस 51
प्रश्न 1. “भारत छोड़ो आंदोलन, गांधीवादी विचारधारा के विपरीत है।” आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि भारत छोड़ो आंदोलन गांधीवादी विचारधारा के विपरीत था।
- यथोचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1942 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया भारत छोड़ो आंदोलन, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्त्वपूर्ण आयाम था। गांधी इस आंदोलन के पीछे प्रेरक शक्ति थे लेकिन यह तर्क दिया जा सकता है कि भारत छोड़ो आंदोलन गांधीवादी विचारधारा के कुछ प्रमुख सिद्धांतों के विपरीत था।
मुख्य भाग:
गांधीवादी सिद्धांतों से विचलन:
- "करो या मरो" दृष्टिकोण एवं नैतिकता से समझौता:
- इस अवधि के दौरान गांधी ने "करो या मरो" का नारा दिया, जिसमें दृढ़ संकल्प व्यक्त किया गया कि या तो भारत को स्वतंत्रता मिले नहीं तो लोग स्वतंत्रता प्राप्ति के प्रयास में प्राण न्योछावर करेंगे।
- इसमें गांधीजी के सामान्य अहिंसक और सैद्धांतिक दृष्टिकोण से इतर अधिक मुखर एवं संघर्षवादी दृष्टिकोण देखा गया।
- लोगों में अशांति:
- भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की व्यापक घटनाएँ हुईं।
- आम लोगों ने सत्ता के प्रतीकों पर हमला करते हुए सार्वजनिक भवनों पर राष्ट्रीय झंडे फहराये।
- सत्याग्रहियों ने गिरफ्तारी दी तथा पुलों, रेलवे ट्रैक एवं टेलीग्राफ लाइनों को ध्वस्त कर दिया।
- विचार-विमर्श का अभाव:
- इसमें शांतिपूर्ण संवाद एवं विमर्श जैसी गांधीवादी दृष्टिकोण का अभाव देखा गया।
- अहमदाबाद, मुंबई, जमशेदपुर और पूना में मज़दूर, हड़ताल पर चले गए।
- इस संबंध में छात्रों ने स्कूलों और कॉलेजों में हड़ताल कर, जुलूसों में भाग लेकर तथा समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में लेख लिखकर व उन्हें वितरित करके प्रतिक्रिया व्यक्त की।
- भूमिगत गतिविधियाँ:
- कई राष्ट्रवादी भूमिगत हो गए और उन्होंने विध्वंसक गतिविधियाँ अपना लीं।
- भूमिगत गतिविधियाँ अपनाने वालों में राममनोहर प्रमुख थे।
- लोहिया, जयप्रकाश नारायण, अरुणा आसफ अली, उषा मेहता, बीजू पटनायक, छोटूभाई पुराणिक, अच्युत पटवर्धन, सुचेता कृपलानी और आर.पी. गोयनका इसमें प्रमुख थे। उषा मेहता ने मुंबई में एक भूमिगत रेडियो की शुरुआत की थी।
- समानांतर सरकारें
- कई स्थानों पर समानांतर सरकारें गठित की गईं:
- बलिया (अगस्त 1942 में एक सप्ताह के लिये)-चित्तू पांडे के तहत।
- तामलुक (मिदनापुर में दिसंबर 1942 से सितंबर 1944 तक) - जातीय सरकार के तहत विद्युत वाहिनी का गठन किया गया।
- सतारा (1943 के मध्य से 1945 तक) - इसका नाम "प्रति सरकार" रखा गया था, इसको वाई.बी. चव्हाण, नाना पाटिल जैसे नेताओं के अधीन गठित किया गया था।
- कई स्थानों पर समानांतर सरकारें गठित की गईं:
- रचनात्मक कार्य एवं आत्मनिर्भरता की उपेक्षा:
- गांधी ने रचनात्मक गतिविधियों सहित आत्मनिर्भर गाँवों की वकालत की थी। यह आंदोलन स्व-शासन और राष्ट्र-निर्माण जैसे सकारात्मक पहलुओं पर गांधी के दृष्टिकोण से परे हो गया।
- भारत छोड़ो आंदोलन प्रत्यक्ष राजनीतिक कार्रवाई और संघर्ष पर अधिक केंद्रित था।
निष्कर्ष:
भारत छोड़ो आंदोलन संवैधानिक तरीकों, विचार-विमर्श और प्रशासनिक सुधारों के संदर्भ में पूर्व की तुलना में अधिक मुखर और हिंसक था। इस आंदोलन के दौरान प्राप्त अनुभव और उसके बाद के घटनाक्रम ने वर्ष 1947 में स्वतंत्रता तथा उसके बाद लोकतांत्रिक एवं संप्रभु राष्ट्र के गठन का मार्ग प्रशस्त किया था।