प्रश्न 2. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में आज़ाद हिंद फौज के गठन एवं प्रभाव का आकलन कीजिये। (250 शब्द)
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रश्न संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन पर चर्चा कीजिये।
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में भारतीय राष्ट्रीय सेना के प्रभाव पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ स्वतंत्रता के मार्ग को आकार दिया। इसके द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति में शांतिपूर्ण साधनों से निराशा के प्रतिरोध के रूप में सशस्त्र प्रतिरोध की ओर बदलाव को दर्शाया गया।
मुख्य भाग:
भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन:
- उत्पत्ति और प्रथम चरण:
- भारतीय युद्धबंदियों (POWs) से सेना के गठन का विचार मूल रूप से मोहन सिंह का था।
- जापानियों ने भारतीय युद्धबंदियों को मोहन सिंह को सौंप दिया जिनको उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना में भर्ती करने का प्रयास किया।
- सितंबर 1942 में 16,300 लोगों को शामिल करते हुए INA का पहला डिवीज़न बनाया गया था।
- भर्ती और संरचना:
- INA में मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में जापानियों द्वारा बंदी बनाए गए भारतीय युद्धबंदियों को भर्ती किया गया।
- विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के सैनिकों वाले INA का उद्देश्य एकजुट उपनिवेशवाद-विरोधी प्रतिरोध को बढ़ावा देना था।
- रासबिहारी बोस ने INA में शामिल होने के लिये दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय युद्धबंदियों और नागरिकों की भर्ती में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- दूसरा चरण :
- वर्ष 1943 में सुभाष बोस INA के मुख्य कमांडर बने थे।
- सुभाष चंद्र बोस ने प्रसिद्ध नारे - "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा" के साथ सिंगापुर में स्वतंत्र भारत हेतु अनंतिम सरकार का गठन किया।
- इस अनंतिम सरकार द्वारा ब्रिटेन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका पर युद्ध की घोषणा की गई तथा धुरी शक्तियों द्वारा इसे मान्यता दी गई।
- दिल्ली चलो अभियान:
- जनवरी 1944 में INA मुख्यालय को रंगून (बर्मा में) में स्थानांतरित कर दिया गया था और सेना को "दिल्ली चलो" के साथ वहाँ से मार्च करना था।
- जापानी सेना द्वारा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को INA को दे दिया गया था, इन द्वीपों का नाम क्रमशः शहीद द्वीप एवं स्वराज द्वीप रखा गया।
- बहादुर समूह के कर्नल मलिक ने भारत में पहली बार मणिपुर के मोइरांग में INA का ध्वज फहराया।
भारतीय राष्ट्रीय सेना का प्रभाव:
- राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा:
- INA के गठन से राष्ट्रवादी भावनाओं के साथ स्वतंत्रता की आकांक्षाओं को बढ़ावा मिला।
- INA कैदियों की रिहाई के लिये जिस तीव्रता से अभियान चलाया गया वह अभूतपूर्व था।
- राष्ट्रवादी ताकत के साथ मिलकर अंग्रेज़ों के खिलाफ संघर्ष करने वाले भारतीयों में गर्व और एकता की भावना पैदा हुई।
- अंग्रेज़ों पर व्यापक दबाव:
- दक्षिण-पूर्व एशिया में INA के सैन्य अभियानों ने इस क्षेत्र में ब्रिटिश सेना पर काफी दबाव डाला था।
- कुछ संघर्षों में INA की सफलता ने ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन की कमज़ोरी को उजागर किया।
- INA युद्धबंदियों पर मुकदमे के खिलाफ बड़े पैमाने पर दबाव के कारण ब्रिटिश नीति में निर्णायक बदलाव आया।
- अंतर्राष्ट्रीय आयाम:
- INA ने द्वितीय विश्व युद्ध के संदर्भ में अंग्रेज़ो के खिलाफ संघर्ष के लिये जापान और जर्मनी जैसी धुरी शक्तियों के साथ गठबंधन किया।
- इस अंतर्राष्ट्रीय आयाम से भारत का स्वतंत्रता संघर्ष की ओर वैश्विक स्तर पर ध्यान गया।
- बलिदान की विरासत:
- बोस के नेतृत्व में INA सैनिकों द्वारा दिये गए बलिदान की समृद्ध विरासत रही।
- स्वतंत्रता के लिये बलिदान देने के क्रम में INA की विरासत भारतीय आकांक्षाओं का प्रतीक बन गई।
निष्कर्ष:
INA के योगदान और उसके सदस्यों की विरासत ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई। INA के सिद्धांतों और बलिदानों ने एक संप्रभु एवं स्वतंत्र राष्ट्र का आधार तैयार किया।