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16 Jan 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 1
भूगोल
दिवस 50
प्रश्न 2. द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भूमिका का परीक्षण कीजिये। अगस्त प्रस्ताव के महत्त्व का विश्लेषण करते हुए इस अवधि के दौरान क्रिप्स मिशन के परिणामों और संबंधित चुनौतियों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भूमिका का परीक्षण कीजिये।
- अगस्त प्रस्ताव के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये।
- क्रिप्स मिशन के परिणामों और संबंधित चुनौतियों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वैश्विक स्तर पर धुरी शक्तियों के खिलाफ संघर्ष में भारत सहित कई देशों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। युद्ध के दौरान भारत की भूमिका राजनीतिक विकास, विमर्श एवं चुनौतियों के रूप में देखी गई थी, अगस्त प्रस्ताव और क्रिप्स मिशन ने भारत की स्वतंत्रता को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
मुख्य भाग:
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत:
सैन्य योगदान:
- भारत के महत्त्वपूर्ण सैन्य योगदान के उदाहरण के रूप में उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य-पूर्व सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय सेना की तैनाती को देखा जा सकता है।
- टोब्रुक की घेराबंदी और बर्मा अभियान जैसे निर्णायक युद्धों में भारतीय सेना की भागीदारी ने मित्र राष्ट्रों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाया।
आर्थिक सहायता:
- भारत ने संसाधनों, जनशक्ति और धन की आपूर्ति के माध्यम से मित्र राष्ट्रों को आवश्यक आर्थिक सहायता प्रदान की।
- इस युद्ध से भारत में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलने के साथ युद्ध से संबंधित सामग्रियों के उत्पादन में वृद्धि हुई, जिससे समग्र अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ।
राजनीतिक गतिशीलता:
- भारत में राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव को वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में देखा जा सकता है, जिसमें ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के प्रति व्यापक असंतोष देखा गया।
- इस दौरान स्वशासन की मांग ने गति पकड़ी, जिससे ब्रिटिश सरकार पर भारत की राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने का दबाव बढ़ गया।
अगस्त प्रस्ताव का महत्त्व:
- वर्ष 1940 में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रस्तुत अगस्त प्रस्ताव, युद्ध के दौरान भारत की राजनीतिक मांगों को पूरा करने का एक प्रयास था।
- इसका लक्ष्य युद्ध प्रयासों में भारतीय समर्थन हासिल करना था।
- पूर्ण स्वशासन के लिये भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफलता के कारण अगस्त प्रस्ताव की आलोचना की गई।
- इसमें प्रस्तावित सीमित प्रतिनिधित्व को भारत की राजनीतिक जटिलताओं को हल करने के लिये अपर्याप्त माना गया।
- कॉन्ग्रेस सहित प्रमुख भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा अगस्त प्रस्ताव को अस्वीकृत किये जाने के कारण पूर्ण स्वतंत्रता के लिये नए सिरे से प्रयास शुरू हुए।
- इस असंतोष ने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन को गति प्रदान की।
क्रिप्स मिशन का आलोचनात्मक मूल्यांकन:
गुण:
- वर्ष 1942 के क्रिप्स मिशन का उद्देश्य संवैधानिक प्रस्तावों की पेशकश करके युद्ध प्रयासों में भारतीय समर्थन हासिल करना था।
- इसके द्वारा भारत को युद्धोपरांत डोमिनियन स्टेटस देने तथा ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने का अधिकार दिया गया।
- इस मिशन ने भारत की राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये अधिक समावेशी एवं पारदर्शी दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित किया।
दोष:
- क्रिप्स मिशन में स्वशासन के संदर्भ में समयसीमा की अस्पष्टता के कारण, इसकी आलोचना की गई।
- तत्काल स्वतंत्रता देने से मना करने के कारण भारतीय नेताओं में असंतोष फैल गया।
- क्रिप्स मिशन से वांछित परिणाम नहीं मिले क्योंकि यह युद्ध प्रयासों के क्रम में भारतीय राजनीतिक समर्थन हासिल करने में विफल रहा।
- इस मिशन से ब्रिटिश इरादों एवं भारतीय अपेक्षाओं के बीच अंतर स्पष्ट हुआ, जिससे दोनों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी।
निष्कर्ष:
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भूमिका बहुआयामी थी, जिसको सैन्य योगदान, आर्थिक सहायता और महत्त्वपूर्ण राजनीतिक विकास के रूप में देखा जा सकता है। अगस्त प्रस्ताव तथा क्रिप्स मिशन ने स्वतंत्रता की दिशा में भारत के पथ को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता हेतु संघर्ष की इस अवधि से आगे चलकर स्वतंत्रता प्राप्ति का आधार तैयार हुआ।