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16 Jan 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस 50
प्रश्न 1. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर द्वितीय विश्व युद्ध के प्रभावों का आकलन कीजिये। अगस्त प्रस्ताव के संदर्भ में होने वाली विभिन्न प्रतिक्रियाओं पर चर्चा करते हुए क्रिप्स मिशन की सफलता एवं कमियों का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर द्वितीय विश्व युद्ध के प्रभावों की चर्चा कीजिये।
- अगस्त प्रस्ताव से संबंधित प्रतिक्रियाओं का मूल्यांकन कीजिये।
- क्रिप्स मिशन की सफलताओं और कमियों का परीक्षण कीजिये।
- यथोचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
द्वितीय विश्व युद्ध ( वर्ष 1939 से 1945) ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को प्रमुख रूप से प्रभावित किया। इस युद्ध से राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बनने के साथ ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता चाहने वाले भारतीय नेताओं के समक्ष विभिन्न अवसर और चुनौतियाँ प्रस्तुत हुईं।
मुख्य भाग:
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव:
- द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत से कॉन्ग्रेस को ब्रिटिश शासन को तत्काल समाप्त करने की मांग के साथ वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू करने की प्रेरणा मिली। इससे स्वतंत्रता संग्राम में उल्लेखनीय वृद्धि हुई थी।
- इस युद्ध के कारण कॉन्ग्रेस के अंदर मतभेद पैदा हो गया, जिसमें सुभाष चंद्र बोस ने अधिक कट्टरपंथी दृष्टिकोण की वकालत की। उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया तथा भारत को आज़ाद कराने के लिये धुरी राष्ट्रों से सहायता मांगी।
- इस युद्ध से भारत में आर्थिक कठिनाइयों में वृद्धि हुई, जिससे भुखमरी के साथ मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न हुई। इससे ब्रिटिश विरोधी भावना को बल मिलने के कारण राष्ट्रवादी गतिविधियों में वृद्धि हुई।
- जापानी समर्थन से बोस द्वारा गठित INA ने राष्ट्रवादी उत्साह को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने भारत की स्वतंत्रता के बाद के सैन्य आधार को प्रभावित किया।
अगस्त प्रस्ताव, प्रारंभिक प्रतिक्रिया और महत्त्व:
- अगस्त प्रस्ताव में पूर्ण स्वतंत्रता के संबंध में स्पष्ट रोडमैप की कमी के कारण, महात्मा गांधी जैसे नेताओं के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस ने इसे संदेह की दृष्टि से देखा।
- मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने राजनीतिक लाभ और मुस्लिम हितों की सुरक्षा की उम्मीद में अस्थायी रूप से अगस्त प्रस्ताव का समर्थन किया।
- अगस्त प्रस्ताव भारत के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हुआ, क्योंकि इससे औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक गुटों की एकीकृत प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ा।
- भारतीय नेताओं ने वर्ष 1940 के अगस्त प्रस्ताव का स्वागत किया, जिसमें ब्रिटिश सरकार ने संवैधानिक सुधारों और कार्यकारी परिषद के विस्तार का प्रस्ताव रखा।
क्रिप्स मिशन की सफलताएँ:
- क्रिप्स मिशन द्वारा भारतीय स्वतंत्रता के सिद्धांत को स्वीकार किया गया, जो पूर्व के ब्रिटिश दृष्टिकोण से भिन्नता को दर्शाता था।
- इस मिशन द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अधिक भारतीयों को शामिल करने का प्रयास करते हुए वायसराय की कार्यकारी परिषद में भारतीयों को और अधिक प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव रखा गया।
- क्रिप्स मिशन के दौरान हुई चर्चाओं से युद्धोपरांत संवैधानिक सुधारों के साथ भारत की अंतिम स्वतंत्रता के लिये मंच तैयार हुआ।
क्रिप्स मिशन की कमियाँ:
- इसमें स्व-शासन प्रदान करने की समयसीमा के संबंध में स्पष्टता की कमी के कारण ब्रिटिश दृष्टिकोण के बारे में संदेह उत्पन्न हुआ।
- प्रस्तावित संवैधानिक ढाँचे में रियासतों की चिंताओं को दूर करने में विफलता से इस मिशन की समावेशिता पर सवाल उठे।
- इस मिशन को विभिन्न राजनीतिक दलों से समर्थन नहीं मिला था, जिससे इसकी प्रभावशीलता में बाधा उत्पन्न हुई।
निष्कर्ष:
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर द्वितीय विश्व युद्ध का गहरा प्रभाव पड़ा, जिससे संघर्ष के दौरान और उसके बाद इसके विकास के प्रक्षेप-पथ को आकार मिला। अगस्त प्रस्ताव और क्रिप्स मिशन से संबंधित प्रतिक्रियाओं से ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन तथा स्वशासन के संदर्भ में भारतीयों की आकांक्षाओं के बीच जटिल गतिशीलता देखी गई। इन घटनाओं ने भारत के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया जिससे अंततः वर्ष 1947 की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हुआ।