Sambhav-2024

दिवस 46

प्रश्न 2. दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के रचनात्मक अनुभवों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने के क्रम में उनकी रणनीतियों को किस प्रकार आकार दिया था? (150 शब्द)

11 Jan 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के उन रचनात्मक अनुभवों पर चर्चा कीजिये जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने में उनकी रणनीतियों को आकार दिया था।
  • उचित निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के परिवर्तनकारी अनुभवों ने उनके अहिंसक प्रतिरोध के दर्शन की नींव रखने के साथ उन रणनीतियों को आकार दिया जो उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने में अपनाईं थीं।

मुख्य भाग:

कुछ प्रमुख रचनात्मक अनुभव निम्नलिखित हैं:

  • सत्याग्रह की अवधारणा का समर्थन: दक्षिण अफ्रीका में गांधी को नस्लीय भेदभाव तथा अन्याय का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण उन्होंने सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तन के लिये एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में अहिंसक प्रतिरोध को अपनाया था।
    • उन्होंने उत्पीड़न का मुकाबला करने के लिये सत्य एवं अहिंसा की शक्ति पर बल देते हुए सत्याग्रह की अवधारणा विकसित की।
  • सविनय अवज्ञा और निष्क्रिय प्रतिरोध: दक्षिण अफ्रीका में गांधी के अनुभवों ने उन्हें अन्यायपूर्ण कानूनों को चुनौती देने में सविनय अवज्ञा एवं निष्क्रिय प्रतिरोध की प्रभावशीलता से अवगत कराया।
    • उन्होंने इन युक्तियों को भारत में लागू किया, जिससे ब्रिटिश नीतियों का शांतिपूर्वक विरोध करने के क्रम में नमक मार्च और असहयोग आंदोलन जैसे जन आंदोलनों को प्रोत्साहन मिला था।
  • सामुदायिक गतिशीलता और एकता: दक्षिण अफ्रीका में गांधी ने पाया कि लोगों के पास किसी उद्देश्य के हेतु भागीदारी करने और बलिदान देने की अपार क्षमता है, जिससे उन्हें आंदोलन हेतु प्रेरणा मिली। उन्होंने ऐसे अभियान चलाए जिनके द्वारा भेदभावपूर्ण कानूनों का सामूहिक रूप से विरोध करने के लिये विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाया गया।
    • उनका उद्देश्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के विभिन्न वर्गों के लोगों को एकजुट करना था।
  • आत्मनिर्भरता और सरल जीवन का सिद्धांत: दक्षिण अफ्रीका में गांधी के अनुभवों ने सरल जीवन एवं आत्मनिर्भरता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को प्रभावित किया।
    • आत्मनिर्भरता के लिये उनकी वकालत (जिसका उदाहरण खादी और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना है) का उद्देश्य भारतीयों को सशक्त बनाना तथा ब्रिटिश वस्तुओं पर निर्भरता को कम करना था।
  • सत्य और नैतिकता के प्रति समर्पण: सत्य और नैतिकता के प्रति गांधी की प्रतिबद्धता (जिसे वे "सत्य" और "अहिंसा" कहते थे), उनके दक्षिण अफ्रीकी अनुभवों के दौरान अंतर्निहित थी।
    • इन सिद्धांतों से भारत में उनके नेतृत्व को मार्गदर्शन मिलने के साथ राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति में नैतिक शक्ति एवं नैतिक आचरण के महत्त्व को बल मिला।

निष्कर्ष :

सहनशीलता और संघर्ष की प्रतिबद्धता के साथ इन सिद्धांतों ने न केवल भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में गांधी की भूमिका को परिभाषित किया बल्कि अहिंसक प्रतिरोध एवं सामाजिक परिवर्तन के रूप में एक स्थायी विरासत भी छोड़ी।