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Sambhav-2024

  • 27 Dec 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    दिवस 33

    प्रश्न 1. संगम साहित्य से क्या तात्पर्य है? इस साहित्य से प्रदर्शित होने वाले राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण का वर्णन कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संगम साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • इस साहित्य में शामिल राजनीतिक अंतर्दृष्टि पर चर्चा कीजिये।
    • इस साहित्य में शामिल आर्थिक अंतर्दृष्टि पर चर्चा कीजिये।
    • इस साहित्य में शामिल सामाजिक अंतर्दृष्टि पर चर्चा कीजिये।
    • यथोचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    संगम साहित्य का आशय प्राचीन तमिल ग्रंथों के संग्रह से है जो संगम काल के दौरान संकलित (लगभग 300 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी तक) हुए थे। इसका नाम उस काल के दौरान आयोजित संगम सभाओं के नाम पर रखा गया है जो मदुरै के पांड्य राजाओं के शाही संरक्षण में हुई थीं।

    संगम साहित्य की विशेषता इसकी समृद्ध काव्य सामग्री है, जो अगम (मानवीय पहलुओं का आंतरिक क्षेत्र) और पुरम (मानवीय अनुभवों का बाहरी क्षेत्र) पर विभिन्न विषयों की खोज से संबंधित है।

    मुख्य भाग:

    राजनीतिक अंतर्दृष्टि:

    • राजनीतिक संगठन:
      • संगम साहित्य उस समय के राजनीतिक संगठन पर प्रकाश डालता है।
        • संगम काल के दौरान प्रत्येक राज्य के उचित प्रशासन के लिये उसे कई इकाइयों में विभाजित किया गया था जैसे मंडलम, नाडु, उर, पेरूर, वलनाडु और कुट्टरम। गाँवों के प्रशासन को लोगों के एक समूह द्वारा संभाला जाता था जो एक परिषद के रूप में होते थे। मनरम, अवाई, पोडियल और अम्बालाम ग्राम परिषदें थीं।
    • वीर शासक और सरदार:
      • संगम कविताएँ वीर शासकों और सरदारों के महिमामंडन से संबंधित हैं जो कवियों एवं योद्धाओं के संरक्षक थे।
        • हीरो स्टोन या नाडु काल पूजा संगम काल में महत्त्वपूर्ण थी और इनकी उत्पत्ति युद्ध में योद्धाओं द्वारा दिखाई गई बहादुरी की स्मृति में हुई थी।
    • सामाजिक संघर्ष और युद्ध:
      • संगम साहित्य सामाजिक संघर्षों और युद्धों के अस्तित्त्व को दर्शाता है। इनमें शामिल कविताओं में विभिन्न शासकों के बीच युद्ध का वर्णन किया गया है, जो उस समय की सैन्य एवं राजनीतिक गतिशीलता को अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।
        • तमिल संत तिरुवल्लुवर ने संगम साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया (विशेष रूप से अपने प्रसिद्ध कार्य, "तिरुक्कुरल" के माध्यम से) जिसमें अपने कार्यों में उन्होंने शासन और प्रेम पर चर्चा शामिल की है।

    आर्थिक अंतर्दृष्टि:

    • व्यापार एवं वाणिज्य:
      • संगम ग्रंथ प्राचीन तमिल समाज की आर्थिक गतिविधियों के संबंध में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। इनमें समकालीन बाज़ारों, समृद्ध व्यापार मार्गों एवं विभिन्न वस्तुओं के साथ जीवंत व्यापार तथा वाणिज्यिक गतिविधियों का वर्णन किया गया है।
        • पुहार (कावेरीपट्टिनम) शहर का उल्लेख अक्सर एक प्रमुख व्यापार केंद्र के रूप में किया जाता है।
    • कृषि:
      • संगम काल में कृषि, अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण पहलू थी। इसकी कविताएँ कृषि के महत्त्व को दर्शाने के साथ किसानों के जीवन को भी दर्शाती हैं।

    सामाजिक अंतर्दृष्टि:

    • सामाजिक संरचना:
      • संगम साहित्य में समाज को विभिन्न व्यावसायिक समूहों या वर्गों जैसे- योद्धाओं, किसानों, व्यापारियों तथा अन्य में विभाजित होने के रूप में दर्शाया गया है। ये विभाजन एक संरचित और संगठित समाज का संकेत देते हैं।
    • भाषा:
      • तोल्कापिय्यम को तमिल व्याकरण एवं कविता की बारीकियों को विस्तार से बताने के लिये लिखा गया था।
    • महिलाओं की भूमिका:
      • संगम साहित्य में महिलाओं की शक्तियों एवं गुणों का वर्णन किया गया है।
        • इन गुणों में पवित्रता को उनका सर्वोपरि और आवश्यक पहलू माना गया है।
      • संगम साहित्य में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इन कविताओं में अक्सर महिलाओं को जागरूक, स्वतंत्र एवं सक्रिय के रूप में चित्रित किया गया है।
        • अव्वैयार एक तमिल कवि थे जो संगम काल से संबंधित थे और उन्होंने पुराणनुरु (पुरम) में 59 कविताएँ लिखी थीं।
    • नैतिक मूल्य:
      • संगम साहित्य में नैतिक मूल्यों पर बल दिया गया है। इन कविताओं में अक्सर सदाचार, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के महत्त्व को दर्शाया गया है।

    निष्कर्ष:

    संगम साहित्य में संगम काल के दौरान लोगों के जीने के तरीके, उनके मूल्यों एवं सामाजिक-राजनीतिक तथा आर्थिक परिदृश्य की गतिशीलता का व्यापक दृष्टिकोण प्रदान किया गया है। यह साहित्य दक्षिण भारत के सांस्कृतिक इतिहास का अध्ययन करने वाले इतिहासकारों एवं विद्वानों के लिये एक मूल्यवान स्रोत बना हुआ है।

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