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Sambhav-2024

  • 22 Nov 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 3

    प्रश्न.2 भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिये रिट के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। वे न्यायिक उपचार प्राप्त करने के साथ नागरिकों के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कैसे काम करते हैं? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अपना उत्तर रिटों के संक्षिप्त परिचय के साथ प्रारंभ कीजिये।
    • विभिन्न प्रकार के रिट और मौलिक अधिकारों की सुरक्षा में उनके महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
    • मुख्य बिंदुओं का सारांश देते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    रिट सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय का एक लिखित आदेश है जो भारतीय नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ संवैधानिक उपचार का आदेश देता है। अनुच्छेद-32 (उच्चतम न्यायालय) एवं अनुच्छेद-226 (उच्च न्यायालय) संवैधानिक उपचारों को लागू करने के लिये इन रिटों को जारी करने का अधिकार प्रदान करते हैं।

    मुख्य भाग:

    सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय पाँच प्रकार की रिट जारी कर सकते हैं:

    • बंदी प्रत्यक्षीकरण: यह रिट किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिये जारी की जाती है। इसका उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति की रिहाई सुनिश्चित करने के लिये किया जाता है, जिसे गैर-कानूनी रूप से हिरासत में लिया गया है अथवा कैद किया गया है।
    • परमादेश: लैटिन में परमादेश का अर्थ है “हम आदेश देते हैं”। यह रिट किसी सार्वजनिक अधिकारी, निगम अथवा अवर न्यायालय को उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले विशिष्ट कर्तव्य को पूरा करने का निर्देश देने के लिये जारी किया जाता है। इसका उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिये किया जाता है कि किसी को भी अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करने की अनुमति नहीं है।
    • प्रतिषेध: यह रिट किसी अवर न्यायालय अथवा न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने या अधिकार क्षेत्र से बाहर (अपने प्राधिकार से परे) कार्य करने से रोकने के लिये उच्च न्यायालय द्वारा जारी की जाती है। यह उन कार्यवाहियों को रोकता है जिन्हें अवैध माना जाता है अथवा अवर न्यायालय की शक्तियों से परे माना जाता है।
    • उत्प्रेषण : उत्प्रेषण का लैटिन में अर्थ है “प्रामाणित होना”। यह रिट किसी अवर न्यायालय, न्यायाधिकरण अथवा अर्ध-न्यायिक निकाय के आदेशों या निर्णयों को रद्द करने के लिये जारी की जाती है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब निर्णय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत, अधिकार क्षेत्र से परे अथवा किसी अन्य अनियमितता से ग्रस्त प्रतीत होता है।
    • अधिकार पृच्छा : यह रिट किसी सार्वजनिक पद पर आसीन व्यक्ति के अधिकार अथवा वैधता पर प्रश्न करने के लिये जारी की जाती है, साथ ही इसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिये भी किया जाता है कि संबंधित व्यक्ति के पास उस पद को धारण करने का अधिकार एवं योग्यता है या नहीं।

    भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिये रिट का महत्त्व:

    • तत्काल राहत: बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश तथा निषेध जैसे रिट, उन व्यक्तियों को तत्काल राहत प्रदान करते हैं जिनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। उदाहरण के लिये, बंदी प्रत्यक्षीकरण गैर-कानूनी रूप से हिरासत में लिये गए व्यक्तियों की रिहाई सुनिश्चित करके, उचित प्रक्रिया के बिना लंबे समय तक हिरासत में रखने को रोककर व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
    • न्यायिक समीक्षा: रिट नागरिकों को सरकारी कार्यों की न्यायिक समीक्षा का अनुरोध करने में सक्षम बनाती है। उत्प्रेषण, उच्च न्यायालयों को मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिये अवर न्यायालयों एवं प्रशासनिक निर्णयों का आकलन करने, नियंत्रण तथा संतुलन सुनिश्चित करने एवं संविधान के साथ सरकारी अनुपालन सुनिश्चित करने की सुविधा प्रदान करता है।
    • मनमाने कार्यों के विरुद्ध संरक्षण: परमादेश अधिकारियों को कर्तव्यों का पालन करने के लिये बाध्य करता है और प्रतिषेध, अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकता है। रिट मनमानी, असंवैधानिक कार्रवाइयों को रोकते हैं, नागरिक अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित करते हैं।
    • सामाजिक न्याय: सार्वजनिक कार्यालय में नियुक्तियों का विरोध करने के अतिरिक्त अधिकार पृच्छा सामाजिक न्याय, योग्यता एवं समानता को आगे बढ़ाने के लिये कार्य करता है और साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि केवल योग्य व्यक्ति ही पदों पर रहें।
    • निवारक एवं उपचारात्मक प्रकृति: रिट निवारक एवं उपचारात्मक हैं, यह अधिकारों के उल्लंघन के बाद राहत प्रदान करते हैं और साथ ही प्रतिषेध तथा उत्प्रेषण जैसी रिट के माध्यम से गैर-कानूनी कार्यों पर प्रतिबंद लगाकर उल्लंघन को रोकते हैं। मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिये यह दोहरी भूमिका महत्त्वपूर्ण है।

    निष्कर्ष:

    इस प्रकार, राज्य अथवा किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा उनके मौलिक अधिकारों के किसी भी उल्लंघन के खिलाफ न्यायिक उपचार प्राप्त करने के लिये रिट नागरिकों के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करती है। रिट भारत में कानून के शासन तथा संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखती है।

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